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जयपुर। प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने जयपुर में प्रवासी भारतीय दिवस को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस वर्ष मुख्य अतिथि के रुप में एक बेहद विशिष्ट प्रवासी भारतीय का स्वागत करना हमारे लिए गौरव का विषय है। त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री के रुप में कमला प्रसाद बिसेसर ने इतिहास रचा है। इससे पूर्व शिक्षा और कानून के क्षेत्र में उन्होंने विशिष्टता प्राप्त की, इसके पश्चात उन्होंने जन सेवा के क्षेत्र में पदार्पण किया और इस बात को साबित किया कि अपनी प्रतिभा, समर्पण और प्रतिबद्धता की बदौलत इंसान विश्व में कहीं भी क्या कुछ हासिल कर सकता है। इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस की दसवीं वर्षगांठ है, जिसे मनाने की शुरुआत वर्ष 2003 से हुई थी। यह दशक दुनिया भर में वैश्विक भारतीयों के प्रभाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि संसद के पिछले सत्र में हमने नागरिक कानून में संशोधन कर भारतीय मूल के लोगों और प्रवासी भारतीयों की योजना के विलयन और इसे सरल और कारगर बनाने के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया था, इससे इस योजना की कुछ असंगतियां दूर हो जाएंगी और इस प्रकार के कार्ड धारकों के विदेशी पति-पत्नियों को प्रवासी भारतीय कार्ड प्रदान किया जाएगा।
प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय द्वारा ई-प्रवास परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है जिससे आव्रजन प्रणाली में सभी प्रक्रियाओं के लिए शुरु से अंत तक कंप्यूटरीकृत समाधान प्राप्त हो सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि सरकार ने प्रवासी भारतीय श्रमिकों के लिए एक नवीन पेंशन और जीवन बीमा फंड को पेश करने और इसका प्रायोजक बनने का निर्णय लिया है। यह योजना प्रवासी भारतीयों को स्वेच्छा से उनकी वापसी और पुनःस्थापन तथा बुढ़ापे के लिए बचत करने में प्रोत्साहन, सक्षम और मददगार होगी। प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में यह कम लागत की जीवन बीमा भी मुहैया कराएगी। यह योजना विदेशों में रह रहे भारतीय श्रमिकों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि-खाड़ी और पश्चिम एशिया में छह मिलियन से भी अधिक भारतीय रह रहे हैं। दुनिया के इस भाग में हाल ही में हो रहे घटनाक्रमों के संबंध में हमें सतर्क रहना होगा। इस क्षेत्र के देशों को हमने यह बात बता दी है कि हम इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहते हैं और हम आशा करते हैं कि वे अपने देशों में भारतीय समुदाय के हितों की रक्षा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष मंत्रिमंडलीय सचिव के तहत हमने एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था, जो पश्चिम एशिया में हाल के घटनाक्रमों से प्रभावित भारतीय नागरिकों के स्वदेश लौटने, उन्हें राहत पंहुचाने और उनके पुनःस्थापन संबंधी मुद्दों पर अपनी संस्तुतियां प्रस्तुत कर सके। प्रवासी मामलों के मंत्रालय ने इन संस्तुतियों को लागू करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। इस वर्ष आयोजन का विषय है-वैश्विक भारतीय-समावेशी विकास। भारतीय सभ्यता और समाज का चरित्र हमेशा ही समावेशी रहा है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि हमारी राजनैतिक और आर्थिक गतिविधियों को भी अपने अनुस्थापन और अपने परिणामों में समावेशी होना होगा।