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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरूवार को नई दिल्ली में 'द ट्रिब्यून 130 ईयर्स : अ विटनेस टू हिस्ट्री' पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें एक बार फिर खुद को ट्रिब्यून परिवार के बीच में पाकर बेहद खुशी हुई है, इससे पहले भी उन्हें इस शानदार अखबार के 125 वर्ष पूरे होने पर चुने हुए लेखों के संकलन को जारी करने का अवसर मिला था। उन्होंने कहा कि अपनी पसंद के इस अखबार को पढ़ने के साथ ही वह अतीत की स्मृतियों में चले जाते हैं, इस पुस्तक में द ट्रिब्यून के 130 वर्ष के विस्तृत इतिहास को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ पत्रकारिता बहुत गंभीर और कठिन काम है, तथापि मैं विश्वास करता हूं कि देश के पत्रकारों ने सामूहिक रूप से अपने आपको उचित रूप से मुक्त कर लिया है, मैं इस बात से सहमत हूं कि भारतीय मीडिया संतुलित रूप से जिम्मेदार है और उसने राष्ट्रीय हितों की सेवा के लिए अपने आपको ढाल लिया है, मुझे इस बात का भी विश्वास है कि आने वाले वर्षो में हमारा मीडिया और ऊंचे स्तर पर पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अखबार के संस्थापक दयाल सिंह मजीठिया असाधारण दूरदर्शी और महान सुधारवादी थे, वह उच्च आदर्शों से प्रेरित थे और चाहते थे कि यह अखबार किसी तरह के सांप्रदायिक या व्यवसायिक पक्षपात से मुक्त रहे, उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि अखबार ने कुल मिलाकर अपने संस्थापक की दूरदर्शिता को पूरा किया। प्रधानमंत्री ने पुस्तक के लेखक प्रोफेसर ईएन दत्ता को शानदार लेखन के लिए बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के भारतीय मीडिया की अपनी अपरिहार्य बुलंदियां और गहराइयां हैं, हम रोजाना अत्याधिक श्रेष्ठ बौद्धिक पत्रकारिता के उदाहरण देखते हैं, बिना पक्षपात के सही रिपोर्टिंग करने के अनेक उदाहरण हैं, उन्हें समर्थन देने के लिए गंभीर अनुसंधान की कहानियां भी हैं, पत्रकार अक्सर खुद को जोखिम में डालकर गलत कारनामों का भंडाफोड़ करते हैं, अत्याधिक राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर सार्थक रूप से खबर देने के प्रयास किये जाते हैं।
उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर किसी खबर को बेचने की इच्छा से खलबली भी देखते हैं, कभी-कभी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग भी देखने को मिलती है, हाल ही में प्रकाश में आई पैसा देकर खबर छपवाने की प्रथा सही विचार वाले लोगों के लिए हृदय विदारक सिद्ध हुई है। मनमोहन सिंह ने कहा कि मीडिया हमारे लोकतंत्र का एक अनिवार्य स्तंभ है, हम मीडिया के विदेशी नियंत्रण से पूर्ण स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं, यह सच है कि कभी-कभी गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता के सामाजिक सौहार्द और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं, लेकिन सेंसरशिप उसका जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिया के सदस्यों को सामूहिक रूप से सुनिश्चित करना चाहिए कि निष्पक्षता को बढ़ावा दिया जाए और सनसनीखेज बातों को नियंत्रित किया जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मीडिया के लिए आत्ममंथन की बात है कि वह देश और समाज की कैसे बेहतर तरीके से सेवा कर सकता है और साथ ही कैसे आम नागरिकों का सम्मान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया के लोगों को ‘पैड़ न्यूज’ जैसी विकृतियों के निवारण के लिए अत्याधिक आत्म नियंत्रण करना होगा। मीडिया का यह महत्वपूर्ण दायित्व है कि वे व्यवस्था और हमारे समाज में फैले भ्रष्टाचार और अन्य कुरीतियों को प्रकाश में लाये, उसे सरकार को भी परामर्श देना चाहिए और जब कभी वह गलत करती है, तो उसे घुड़की भी देनी चाहिए, लेकिन मेरा सुझाव है कि हर समय निराशा और विनाश की बातें नहीं करनी चाहिएं, विश्व आज हमारी ओर देख रहा है और यह उचित होगा कि सार्थक खबरों को उचित स्थान दिया जाए।