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नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया है, वे बाल श्रम पर नवगठित केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की पहली बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय को बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून 1986 के कार्यान्वयन का महत्वपूर्ण अधिकार मिला हुआ है, जिसके तहत 14 वर्ष की आयु से कम के बच्चों को 16 व्यवसायों एवं 65 प्रक्रियाओं में लगाए जाने की मनाही है। ये व्यवसाय हैं-कसाई घर, पशु वध स्थल, मोटर व्यवसाय, हानिकारक अथवा ज्वलनशील सामग्री को संभालना, कपड़ा उद्योग, खान उद्योग, घरेलू नौकरों के तौर पर, ढाबों में, तैराकी, सर्कस और हाथियों की देख-रेख।
अपने मंत्रालय का ब्यौरा देते हुए श्रम मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बाल श्रम नीति के अनुपालन में वर्ष 1988 में बाल श्रमिकों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत 271 जिलों की पहचान की गई और वर्तमान में यह योजना 20 राज्यों के 266 जिलों में लागू है, जिसमें लगभग 3.39 लाख बच्चों को 7300 विशेष विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। इस योजना के अंतर्गत बच्चों को काम से हटाकर विशेष स्कूल में भर्ती कराया जाता है और उन्हें ब्रिज शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, 150 रुपये का मानदेय, मध्यान भोजन तथा स्वास्थ्य देख-रेख की जाती है, इसके अलावा मंत्रालय बाल श्रम के लिए अनुदान सहायता योजना भी चला रहा है, जिसमें परियोजना लागत की 75 प्रतिशत धनराशि स्वयंसेवी संगठनों को सीधे दी जाती है, जो उन जिलों में बाल श्रम उन्मूलन के काम कर रहे है, जहां एनसीएलपी विद्यालय बनाना संभव नहीं है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून 1986 में संशोधन करने का विचार भी कर रही है, जिसके तहत 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को काम पर लगाने की मनाही का प्रस्ताव है। ऐसा शिक्षा के अधिकार कानून-2009 के लागू होने के कारण किया जा रहा है, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दिये जाने का प्रावधान है। यह विषय हाल में ही आयोजित एक बैठक में उठाया गया, जिसमे सभी राज्यों के सचिव और केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे, जो लगभग 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को रोजगार में लगाने पर प्रतिबंध के लिए एकमत थे। यह बैठक इस कानून में संशोधन पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। इस अवसर पर श्रम मंत्रालय में संयुक्त सचिव अनूप पांडेय ने बाल श्रम कानून के विभिन्न पहलूओं तथा अंतर्राष्ट्रीय राय से सम्बद्ध एक प्रस्तुति भी।