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नई दिल्ली। उन्नीसवें विधि आयोग (2009-12) ने दो रिपोर्ट और एक परामर्श-पत्र तैयार कर भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसका विवरण इस प्रकार है-सम्मान के नाम पर शादियों के संबंध में जाति पंचायतों का गैर कानूनी हस्तक्षेप : अनुशंसित विधायी ढांचा नामक परामर्श-पत्र, माफी योग्य अपराध पर 237वीं रिपोर्ट, नागरिक प्रक्रिया संहिता 1908 और उससे संबंधित प्रावधानों की धारा 89 में संशोधन पर 238वीं रिपोर्ट।
विधि आयोग की 237वीं रिपोर्ट दो मामलों में उच्चतम न्यायालय के अवलोकनों के जवाब में जारी की गई है, जिनमें विधि आयोग को माफी योग्य अपराधों की पहचान करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति पीवी रेड्डी की अध्यक्षता में विधि आयोग ने इस निर्देश के अनुसार माफी योग्य अपराधों की पहचान की और ये आपराधिक न्याय संहिता की धारा 320 के तहत माफी योग्य अपराधों की सूची में जोड़े जाएंगे। यह कार्य सिर्फ भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराधों तक सीमित था।
विधि आयोग की 238वीं रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय के संदर्भ में है, जो एफ्कोंस बुनियादी ढांचा मामले (2010 8 एससीसी 24) से संबंधित है। इस मामले में सीपीसी की धारा 89 में कई मसौदागत त्रुटियों का पता चला है तथा इस धारा में संशोधन करने का सुझाव दिया गया था, जिन पर विधि आयोग विचार कर सकता है। धारा 89 में विसंगतियों को दूर करने के लिए तथा इस धारा को और अधिक सरल बनाने के लिए विधि आयोग ने इस धारा में सुझाव का प्रस्ताव किया है।
परामर्श-पत्र और दोनों रिपोर्ट, विधि आयोग की वेबसाइट http://lawcommissionofindia.nic.in पर उपलब्ध हैं। इसके साथ ही 19वें विधि आयोग ने अब तक कुल चार रिपोर्ट पेश की हैं। इससे पहले दो रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी हैं।