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नई दिल्ली। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वय राज्य मंत्री श्रीकांत कुमार जेना ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स) को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के साथ मिलाने की मंजूरी दे दी है। एमपीलैड्स को मनरेगा के साथ मिलाने के संबंध में सरकार को अनेक ज्ञापन मिले थे। इन पर गौर करने के बाद इन दोनों को मिलाने की इजाजत देने का फैसला किया गया। इसे एमपीलैड्स दिशा निर्देशों के पैरा 3.17.1 के रूप में शामिल किया गया है।
अधिक स्थायी परिसंपत्तियां बनाने के उद्देश्य से सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना कोष को मनरेगा के साथ मिलाया जा सकेगा। वर्ष के लिए जिला पंचायत में मंजूर मनरेगा परियोजनाओं में से सांसद एमपीलैड्स के अंतर्गत कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं, जो जिला कार्यक्रम संयोजक से स्वीकृत हों और जिले के मनरेगा कार्यक्रम के अंतर्गत मंजूर वार्षिक कार्य योजना का हिस्सा हों। जहां तक संभव हो, सांसद स्थानीय क्षेत्र निधि को ‘मैटेरियल’ पर खर्च करना होगा।
एक बार मनरेगा के लिए काम की सिफारिश होने पर सांसद को इसे वापस लेने अधिकार नहीं होगा। एमपीलैड्स निधि से हटने का अनुरोध करने की स्थिति में मनरेगा से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। इसके लिए मनरेगा के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। एमपीलैड्स के अंतर्गत अभिसरण कार्य के लिए जिला योजना समिति (डीपीसी) क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में ग्राम पंचायत को मनोनीत करेगी। कार्यों के क्रियान्वयन के लिए डीपीसी ग्राम पंचायत को आवश्यक प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करेगी, चूंकि मैटेरियल और श्रम का अनवरत प्रवाह होने की उम्मीद है, एमपीलैड्स के अभिसरण के मामलों में यह जरूरी नहीं होगा कि धन का इस्तेमाल अंत में किया जाये।
एमपीलैड्स और मनरेगा के खर्च का खाता अलग-अलग रखा जाएगा। एक संयुक्त पट्टिका (पत्थर-धातु) वहां स्थायी रूप से लगाई जाएगी जिसमें इसकी लागत, एमपीलैड्स-मनरेगा से योगदान, इसके शुरू होने, पूरा होने और उद्घाटन तथा एमपीलैड्स-मनरेगाके अंतर्गत कार्य को प्रायोजित करने वाले सांसद का नाम होगा।