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नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारिणी बोर्ड के 130वें सत्र में मानसिक विकारों का वैश्विक बोझ तथा राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों से व्यापक एवं समन्वित प्रतिक्रिया की जरूरत विषय पर पेश किये गये एक प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है। पिछले एक दशक में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने उच्चतम स्तर पर पहली बार स्वास्थ्य चिंता से जुड़े इस क्षेत्र पर यह कदम उठाया है। इस मामले में भारत ने 20 जनवरी 2012 को प्रस्ताव का एक मसौदा पेश किया था। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव पीके प्रधान के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल को इसकी शुरूआत की जिम्मेदारी दी गई थी। रोगों के वैश्विक बोझ के मामले में मानसिक विकारों का अनुपात 13 प्रतिशत है और वर्तमान सोच को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव मानसिक विकार की शीघ्र पहचान, देखभाल और स्वास्थ्य सुधार, गरीबी और बेघर होने की स्थिति तथा इस क्षेत्र में समुदाय आधारित हस्तक्षेप की जरूरतों को मान्यता देता है। यह स्पष्ट रूप से स्वीकारा गया है कि सभी देशों को समाज में पूर्ण और सृजनात्मक जीवन के लिए मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने और मानसिक विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों को मानसिक रूप से स्वस्थ्य बनाने के लिए कदम उठाने चाहिएं।