स्वतंत्र आवाज़
word map

भारतीय साहि‍त्‍य को विदेशों तक पहुंचाने की ‍योजना

यूनि‍यन एकेडमि‍क इंटरनेशनल की 86वीं महासभा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

एकेडेमिक इंटरनेशनल यूनियन महासभा में कुमारी शैलजा/kum selja at academic international union general assembly

नई दि‍ल्‍ली। यूनि‍यन एकेडमि‍क इंटरनेशनल (अंतर्राष्‍ट्रीय साहि‍त्‍यि‍क संघ) की 86वीं महासभा के उद्घाटन पर केंद्रीय संस्‍कृति ‍मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि ‍भारतीय साहि‍त्‍य को अन्‍य देशों में पहुंचाने के लि‍ए उनके मंत्रालय ने एक परि‍योजना की शुरूआत की है, जहां चयनि‍त शास्‍त्रीय और समकालीन कार्यों को वि‍श्‍व की अन्‍य भाषाओं में अनुवादि‍त कि‍या जायेगा। उन्‍होंने कहा कि ‍उनका मंत्रालय इस अनुवाद की शुरूआत के लि‍ए जापान और इटली की भाषाओं सहि‍त छह संयुक्‍त राष्‍ट्र की भाषाओं पर काम कर रहा है और मंत्रालय इस दि‍शा में सभी प्रयासों और उठाए गए कदमों का समर्थन करेगा।
संस्‍कृति मंत्री ने कहा कि भारत में एक से अधि‍क भाषाओं में पारांगत व्‍यक्‍ति‍यों का मि‍लना आम है, बहुत से शि‍क्षि‍त व्‍यक्‍ति एक से अधि‍क भाषाओं में साहि‍त्‍यों को पढ़ना पसंद करते हैं, साथ ही वैसे लेखकों का भी एक बहुत बड़ा समूह है, जो एक से अधि‍क भाषाओं में बखूबी लेखन कार्य कर सकते हैं। कुमारी सैलजा ने कहा कि‍ साहि‍त्‍य अकादमी इस महत्‍वपूर्ण स्रोत को तलाशने के साथ-साथ श्रेष्‍ठ साहि‍त्‍यि‍क कार्यों को भारत की वि‍भि‍न्‍न भाषाओं में वि‍स्‍तृत अनुवाद सुनि‍श्‍चि‍त करने की ओर कार्य करेगी, ‍साहि‍त्‍य अकादमी का प्रयास यह होना चाहि‍ए कि देश के अंदर पुस्‍तक प्रेमि‍यों की एक बड़ी संख्‍या साहि‍त्‍यि‍क कार्यों को पढ़ सके और उनकी प्रशंसा कर सके।
कुमारी सैलजा ने कहा कि ‍समकालीन लेखन प्रचुर और काफी लाभप्रद है, हालांकि‍ हम अच्‍छे साहि‍त्‍य को सशक्‍त बनाने और मान्‍यता देने का काम कर रहे हैं, वहीं यह दुःख की बात है कि ‍वि‍भि‍न्‍न भाषाओं में अनुवाद करने का महत्‍वपूर्ण कार्य एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अभी बहुत कुछ कि‍या जाना अपेक्षि‍त है। उन्‍होंने कहा कि‍ कार्यों का वि‍भि‍न्‍न भाषाओं में अनुवादन वि‍श्‍व के लोगों को एकीकृत करने संबंधी एक महत्‍वपूर्ण उद्देश्‍य की पूर्ति करता है, यह कलात्‍मक अभि‍व्‍यक्‍ति ‍है, जि‍समें क्षेत्रीय सांस्‍कृति‍क वि‍षय, पारि‍स्‍थि‍ति‍की पर्यावरण और अमूर्त प्रथाएं साहि‍त्‍य के अंश के रूप में शामि‍ल हैं, जि‍सके जरि‍ए यह सांस्‍कृति‍क अनुभवों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ले जाने का काम करता है, वि‍श्‍व के कि‍सी भी दूरस्‍थ भाग में स्‍थि‍त कोई भी पाठक उसी अनुभव के साथ जीवन व्‍यतीत करेगा, जैसा कि ‍लेखक अपने लेखन में अनुभव को दर्शाता है।
साहि‍त्‍य अकादमी जोकि ‍इस कार्यक्रम का आयोजन कर रही है, उसके योगदान के बारे में बोलते हुए संस्कृति मंत्री ने कहा कि ‍साहि‍त्‍य अकादमी देश में साहि‍त्‍यि‍क वार्ताएं, प्रकाशन और संवर्धन के लि‍ए केंद्रीय संस्‍था है, यह एकमात्र ऐसी संस्‍था है, जो अंग्रेजी सहि‍त 24 भारतीय भाषाओं में साहि‍त्‍यि‍क गति‍वि‍धि‍यों का संचालन करती है। उन्‍होंने कहा कि 56 वर्षों से कार्य कर रहा यह संस्‍थान अच्‍छी और स्‍वस्‍थ्‍य पठन की परंपरा के साथ-साथ साहि‍त्‍यि‍क क्षेत्रों और वि‍भि‍न्‍न भाषाओं वाले क्षेत्रों के बीच परस्‍पर वार्ता की परंपरा को कायम रखने में लगातार प्रयासरत है। उन्होंने आशा व्‍यक्‍त की है कि साहि‍त्‍य अकादमी अपने प्रभाव को और वि‍स्‍तारि‍त करने के साथ-साथ देश में साहि‍त्‍य को प्रखर बनाने में और प्रभावी तथा व्‍यापक रूप में कार्य करेगी। अंतर्राष्‍ट्रीय अकादमी संघ (यूएआई) के अध्‍यक्ष जैनुस्‍ज कोस्‍लोवस्‍की, यूएआई के महासचि‍व फ्रेंक्‍वाइस डी कलाटे एवं साहि‍त्‍य अकादमी के अध्‍यक्ष सुनील गंगोपाध्‍याय सहि‍त 60 देशों के प्रति‍नि‍धि इस महासभा में भाग ले रहे हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]