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काशी। सेक्युलरवादी शक्तियों को हिंदू शब्द से ही घृणा है और इसलिये जब से देश स्वतंत्रत हुआ और हिंदू विश्वविद्यालय केंद्रीय सरकार के अधीन चला गया, इस विश्वविद्यालय की गरिमा को केंद्रीय सरकार की नीतियां ही नष्ट करने में सहायक हो गईं। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल इसे नष्ट करने में सबसे आगे निकल गये। आशा की जाती थी कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय राष्ट्र के हर क्षेत्र में अग्रिम भूमिका का निर्वाह करेगा। एक समय ऐसा आया भी जब काशी हिंदू विश्वविद्यालय की सभी तकनीकी विधाएं, दीर्घकाल तक देश के औद्योगिक क्षेत्र को श्रेष्ठतम तकनीकी विशेषज्ञ उपलब्ध कराते रहे। आईआईटी के संचालन में भी हिंदू विश्वविद्यालय के तकनीकी स्नातक ही अधिकांश स्थानों पर प्रमुख के रूप में देखे गये हैं।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंहल ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा है कि हिंदू विश्वविद्यालय की उपेक्षा इस हद तक बढ़ गई कि छात्रों और अध्यापकों को बाध्य होकर बीएचयू के आईटी को आईआईटी में परिवर्तित करने की मांग करनी पड़ी, आज अंतर इतना बड़ा हो गया है कि बीएचयू के तकनीकी शिक्षण संस्थान को 20 करोड़ की राशि प्राप्त होती है तो आईआईटी को 200 करोड़ रूपये की राशि मिलती है। इसी दुर्बुद्धि के कारण से ही बीएचयू के तकनीकी संस्थान का ह्रास हुआ है। उन्होंने मांग की कि सरकार सबसे पहले इस भेदभाव को ठीक करे।
उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द जुड़े होने के कारण न केवल उसके हिंदू चरित्र को नष्ट किया गया है, अपितु संपूर्ण विश्वविद्यालय की शिक्षा और विशेष रूप से प्रौद्योगिकी शिक्षा को योजनापूर्वक नष्ट किया गया है। आईआईटी के नाम से प्रौद्योगिकीय शिक्षा से संबंधित विश्वविद्यालय की समस्त सम्पत्ति आईआईटी को सुपुर्द करके विश्वविद्यालय के टुकड़े-टुकड़े करना चाहते हैं, उनको किसने अधिकार दिया है विश्वविद्यालय की सम्पत्ति से खिलवाड़ करने का? सिंघल ने कहा कि मालवीयजी ने सर्वविद्या की राजधानी इसके कुल गीत में इसीलिये रखी ताकि विश्वविद्यालय की समग्रता बनी रहे, जिसकी एक-एक ईंट पर काहिवि लिखा है, उस सम्पत्ति को किसी भी दूसरी संस्था को देने का किसी सरकार को अधिकार नही है, यह एक षड़यंत्र है, हिंदू विश्वविद्यालय को टुकड़े-टुकड़े करने का।
उन्होंने कहा है कि आईटी में एक आई शब्द जोड़कर उसको आईआईटी घोषित करने का कोई विरोध नहीं करेगा, किंतु यदि वह सम्पत्ति, शैक्षणिक तथा प्रशासनिक रूप में विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग नहीं रहता तब तो यही कहा जायेगा कि मालवीयजी की 150वीं वर्षगांठ पर मालवीय जी की समग्र शिक्षा के महान सिद्धान्त और उनके द्वारा खड़े किये गये विश्वविद्यालय की महान सम्पत्ति को खंड-खंड करके उसे नष्ट करने का प्रयत्न हो रहा है। विश्वविद्यालय के समग्र शिक्षाधिकार और उसकी सम्पत्ति से किये जा रहे खिलवाड़ का उन्होंने विरोध किया है न कि आईआईटी का। प्रत्येक राष्ट्रवादी को इस षड़यंत्र का विरोध करना चाहिये और इसे असफल करना चाहिये। राज्यसभा के सदस्यों से उन्होंने अनुरोध किया है कि लोकसभा में पारित इस विधेयक में वे आवश्यक संशोधन प्रस्तुत करें और बच्चों की शिक्षा के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, उसे ध्यान में रखते हुये बीएचयू में समग्र शिक्षा केंद्र एवं विश्वविद्यालय की सम्पत्ति के अंतर्गत आईआईटी का विचार करें।
अशोक सिंघल ने कहा कि मालवीयजी के समग्र शिक्षा की कल्पना भौतिक गुणों के साथ-साथ आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करने वाली है, इस हेतु इन सब संकायों में पश्चिम की चकाचौंध से बचाते हुये भारतीय जीवन मूल्यों और राष्ट्रभक्ति को सर्वोपरि रखते हुये शिक्षा प्रदान करने की पराधीन भारत में अद्वितीय कल्पना मालवीय जी ने साकार की थी, जिसे अब स्वतंत्र भारत में नष्ट किया जा रहा है, इसे रोका जाना ही चाहिये।