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नई दिल्ली। राजपथ पर अग्नि IV हरक्यूल्स मिसाइल का पहली बार प्रदर्शन किया गया, भारतीय वायुसेना की मार्चिंग टुकड़ी का भी पहली बार महिला ने नेतृत्व किया, इस प्रकार भारत ने अपना 63वां गणतंत्र दिवस मनाया। इस बार परेड का मुख्य आकर्षण विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियां, सैनिक वीरता, वायु शक्ति के शानदार प्रदर्शन के साथ-साथ देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर रही। इस वर्ष की परेड का प्रमुख आकर्षण 3000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाला अग्नि मिसाइल थी। मध्यम दूरी तक जमीन से जमीन पर मार करने वाले बैलेस्टिक मिसाइल को रोड मोबाइल लांचर पर लगाया गया था, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसे दिखाया। इस मिसाइल का पिछले वर्ष नवंबर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। डीआडीओ ने पहली बार 150 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली प्रहार टैक्टीकल बैटलफील्ड सपोर्ट मिसाइल और रूस्तम-1 मानवरहित विमान को भी पहली बार प्रदर्शित किया गया।
भारतीय सेना ने परेड में जिन अस्त्र-शस्त्रों को शामिल किया, उनमें टी-72 टैंक, कैरियर मोर्टार ट्रैक्ड, एसएमईआरसीएच मल्टीपल लांच रॉकेट प्रणाली, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट प्रणाली, पूर्ण चौड़ाई के साथ खान खोदने वाला, एनबीसी जल शुद्धिकरण प्रणाली और जैमर स्टेशन वीएचएफ, यूएचएफ शामिल था। सेना के मैकेनाइज्ड कॉलम अत्याधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव के फ्लाईपास्ट के साथ समापन किया। भारतीय वायुसेना ने किसी विमान का स्थिर प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन उसके द्वारा हाल ही में हासिल किए गए सी-130जे सुपर हरक्यूल्स टेक्टीकल विमान को पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया। फ्लाईपास्ट में अमेरिका से हासिल किए गए छह विमानों में से तीन ने परेड में भाग लिया। भारतीय नौसेना की झांकी में उसके द्वारा हाल ही प्राप्त क्षमताओं को दिखाया गया।
हर व्यक्ति के प्रभाव का एक समय होता है, यह कहावत परेड में शामिल सूंघ कर अपराधी का पता लगाने वाले कुत्तों पर लागू होती है। परेड में शामिल दिल्ली पुलिस के बम निष्क्रिय दस्ते और एनएसजी के जवान राजपथ पर मनुष्य के सबसे अच्छे दोस्त के साथ दिखाई दिए। इस बार परेड में उन्हें भी स्थान दिया गया। उन्होंने कमल के फूल के आकार में अपनी क्षमता दिखाई। परेड समारोह इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति से शुरू हुआ, जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्र की ओर से शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की। देश की सेवा में अपने प्राणों की आहूति देने वाले सशस्त्र सेना के जवानों के अद्भूत साहस की स्मृति में अमर जवान ज्योति हमेशा जलती रहती है। एक उल्टी राइफल पर रखा हुआ हेलमेट अमर जवान का प्रतीक है।
परंपरा के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद राष्ट्र गान हुआ। इसके बाद राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटील ने मराठा लाइट इनफेंट्री की सेना ऑर्डनेंस कोर/15वीं बटालियन के लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को मरणोपरांत अशोक चक्र प्रदान किया। इसके बाद परेड शुरू हुई और राष्ट्रपति ने परेड की सलामी ली। इस बार गण्तंत्र दिवस परेड की मुख्य अतिथि थाईलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा थीं। परेड की अगुवाई दिल्ली एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार पिल्लै ने की। दिल्ली एरिया के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजबीर सिंह परेड में सेकंड इन कमान थे।
परमवीर चक्र विजेता नायब सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव, 18 गैनेडियर और हवलदार संजय कुमार, 13 जेएके राइफल्स और अशोक चक्र विजेता ब्रिगेडियर सीए पीठावाला, बीजीएस(टीआरजी), मुख्यालय दक्षिणी कमान, लेफ्टिनेंट कर्नल जसराम सिंह (सेवानिवृत), मेजर डी श्रीराम कुमार, इन्सट्रक्टर, आईएमए देहरादून, नायब सुबेदार, चेरिंग मुतुप (सेवानिवृत), हुकुम सिंह और गोविंद सिंह, दोनों मध्यप्रदेश में जिला छतरपुर से और गुना जिले भूरी लाल जीपों में उप परेड कमांडर के पीछे थे।
सेना की मार्चिंग टुकड़ी में 61वीं कैवेलरी के घोड़ों पर सवार सेन्य दल, पैराशूट रेजीमेंट, बंगाल इंजीनियर ग्रुप और सेंटर, गार्डों की ब्रिगेड, कुमाऊं रेजीमेंट, असम रेजीमेंट, महार रेजीमेंट, गोरखा राइफल रेजीमेंट और सेना पुलिस शामिल थे। नौसेना की मार्चिंग टुकड़ी का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर मणिकंदन ने और वायुसेना की टुकड़ी का नेतृत्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्नेह शेखावटी ने किया। वह परेड में भारतीय वायुसेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं।
अर्धसैनिक और अन्य सैनिक बलों की मार्चिंग टुकडि़यों में सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, तटरक्षक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल, रेलवे सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस, नेशनल कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना शामिल थी। ऊंट पर सवार सीमा सुरक्षा बल का बैंड और भूतपूर्व सैनिकों की मार्चिंग टुकड़ी परेड का अन्य प्रमुख आकर्षण रहीं।
तेईस राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की झांकियों ने देश की विविध ऐतिहासिक, वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर को पेश किया। इन झांकियों में विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति को भी दर्शाया गया है। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2009 के लिए चुने गए 24 में से 19 बच्चे भी परेड में शामिल हुए। पांच बच्चों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया है। बच्चों के वर्ग में दिल्ली के दो स्कूलों-केंद्रीय विद्यालय, सेक्टर-2, आरके पुरम और सर्वोदय कन्या विद्यालय, हस्तसाल, दिल्ली के 1200 सौ लड़के लड़कियां अपनी कला का प्रदर्शन किया। इनके अलावा क्षेत्रीय सांस्कृतिक क्षेत्रों-दक्षिणी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तन्जावूर, पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता और उत्तरी केंद्रीय क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने मध्यप्रदेश नृत्य और अन्य कार्यक्रम पेश किए। सीमा सुरक्षा बल के मोटर साइकिल पर सवार जांबाज परेड का प्रमुख आकर्षण रहे। इंस्पेक्टर अनिल कुमार की अगुवाई में 154 चालक 30 मोटर साइकिलों पर सवार होकर बॉर्डरमैन सेल्यूट, साइड राइडिंग, योग, जांबाज-1, लैडर डबल, हारमनी, पिरामिड, पैरेलल बार, गुलदस्ता और फ्लैग मार्च का प्रदर्शन किया।
परेड के अंत में भारतीय वायुसेना ने शानदार फ्लाइपास्ट किया। परेड में पहली बार सी-130जे सुपर हरक्यूल्स विमान शामिल हुए। फ्लाइपास्ट में तीन एमआई-35 हेलीकॉप्टर ने वीआईसी फार्मेशन बनाया। इसके बाद तीन सुपर हरक्यूल्स ने भी यही फार्मेशन बनाई। इनके पीछे एक आईएल-78, दो एएन-32 और दो डोरनियर विमान थे। अगली पंक्ति में पांच लड़ाकू जगुआर विमान थे, जिनके पीछे त्रिशूल के आकार में पांच मिग-29 विमान थे। तीन एसयू-30 एमकेआई राजपथ से गुजरेंगे और सलामी देने के बाद त्रिशूल का आकार बनाते हुए निकल गए। फ्लाइपास्ट का समापन एक अन्य सुखोई एसयू-30 एमकेआई के साथ हुआ।