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नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण संबंधी मुद्दों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने व्यापक चर्चा और इस बात पर गौर करते हुए कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) इन दोनों के उद्देश्य अलग-अलग हैं, इस बात पर सहमति जताई कि एनपीआर और यूआईडीएआई नामांकन प्रक्रिया एक साथ चलनी चाहिए, इसमें इस बात का उपयुक्त प्रावधान हो जिससे नामांकन में दोहराव न हो सके। आधार और एनपीआर के संदर्भ में समिति ने चार प्रावधानों को मंजूरी दी है।
ईएफसी की 20 करोड़ की संस्तुति से परे यूआईडीएआई को अतिरिक्त 40 करोड़ लोगो का नामांकन करने की मंजूरी। जिन राज्यों में यूआईडीएआई ने अच्छी प्रगति की है, जहां राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों ने आधार नामांकन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है और सेवा प्रदान करने के विभिन्न प्रयोजनों के साथ आधार को एकीकृत करने की योजना बना रहे हैं, वहां गैर-आरजीआई पंजीयकों के द्वारा 60 करोड़ के सीमा के दायरे के तहत पूरी गति के साथ आधार नामांकन किया जाएगा। राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों की एक सुझाई गई सूची को भी अनुमति प्रदान की गई। एनपीआर नामांकन पहले की तरह ही चलता रहेगा, लेकिन नामांकन की प्रक्रिया में यदि कोई व्यक्ति इंगित करता है कि उसने पहले ही आधार के लिए नामांकन कर रखा है, तो एनपीआर बायोमिट्रिक आंकडे नहीं लेगा, बल्कि एनपीआर आधार संख्या, नामांकन को दर्ज कर लेगा और फिर बायोमिट्रिक आंकडो को यूआईडीएआई से प्राप्त किया जाएगा। गृह मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समन्वय समिति के जरिए विस्तृत प्रोटोकॉल तैयार किया जाएगा, ताकि इन प्रयासों को निर्बाध तरीके से लागू किया जा सके।
मंत्रिमंडलीय समिति ने 8,814.75 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र योजना के तीसरे चरण को मंजूरी भी प्रदान कर दी। इसमें 3,023.01 करोड़ रुपए की पहले मंजूर की गई धनराशि भी शामिल है। मार्च 2012 तक 20 करोड़ आधार संख्या जारी करने और मार्च 2017 तक संपूर्ण अनुमानित जनसंख्या आधार का लाभ उठा सके, इसलिए 20 करोड़ आधार पत्रों का मुद्रण और उन्हें नियत स्थान तक पहुंचाने, आंकडों को तैयार करने, संग्रहण और रखरखाव के लिए तकनीक और आधारभूत सुविधाओं का खर्च भी शामिल है।