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शिकागो। भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि विश्व प्रसिद्ध शिकागो विश्वविद्यालय में आकर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है, जहां हमारे सहयोग का बहुत लाभदायक अध्याय शुरू हो रहा है, हमने अभी भारत के संस्कृति मंत्रालय की स्वामी विवेकानंद पीठ की स्थापना के सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें भारतीय विद्याओं के क्षेत्र के लिए अतिथि प्रोफेसर शिप की व्यवस्था होगी। यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बनी राष्ट्रीय समिति का फैसला था कि भारत की महानतम आत्माओं में से एक स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती, शिकागो नगर में मनाई जाए, जहां 1893 में उन्होंने एक भावोत्तेजक भाषण दिया था। राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति, जिसका मैं अध्यक्ष हूं, ने कई विकल्पों पर विचार किया और सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि उन सार्वलौकिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना के लिए शिकागो विश्वविद्यालय का प्रस्ताव सबसे अधिक उपयुक्त रहेगा, जिन मूल्यों में स्वामी विवेकानंद विश्वास रखते थे, क्योंकि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के महान केंद्रों में से एक है।
भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद पीठ की स्थापना के लिए शिकागो विश्वविद्यालय को 15 लाख अमरीकी डॉलर की राशि दी है। इस पीठ के अंतर्गत जिन गतिविधियों को चलाया जाएगा, उनमें भाषणों, गोष्ठियों और भारतीय संस्कृति और भारतीय विद्याओं से संबंधित समुचित कार्यकलापों के जरिए विवेकानंद की महत्ता को दर्शाया जाएगा। स्वामी विवेकानंद पीठ प्रत्येक विद्वान के लिए दो वर्ष के लिए होगी। शिकागो विश्वविद्यालय, भारत सरकार और शिकागो विश्वविद्यालय के बीच शोधकर्ता विद्वानों के आदान-प्रदान की भी व्यवस्था करेगा। वित्तमंत्री ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि विवेकानंद पीठ, इन दोनों महान प्रजातंत्रों की संस्कृति और लोगों की जीवन शैली के बारे में अध्ययन को बढ़ावा देगी, ताकि दोनों देशों के लोग एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकें और नजदीक आएं। इस राशि से विभिन्न धर्मों के बीच सामंजस्य, राष्ट्रों के बीच सद्भाव और मानव जाति के बीच आध्यात्मिक एकता के संदेश को फैलाने में सहायता मिलेगी, जिसके लिए स्वामी विवेकानंद ने कार्य किया।
अपना संबोधन समाप्त करने से पहले प्रणब मुखर्जी ने डीन मार्था रॉथ के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने भारत के इस महान सपूत और उनके वैश्विक दृष्टिकोण के सम्मान में इस पीठ की स्थापना में योगदान दिया है। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय के प्रधान डॉ राबर्ट जिम्मर का, उनके नेतृत्व और उनकी सोच के लिए भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने भारत के साथ इस ऐतिहासिक संबंध को मजबूत बनाने के लिए यह कदम उठाया। मुखर्जी ने शिकागो में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों का भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने दोनों देशों के बीच सद्भाव कायम करने में योगदान दिया है।