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नई दिल्ली। ऑपरेशन एक्सिलेंस फॉर लंदन ओलंपिक्स (ओपेक्स 2012) योजना के अधीन बैंडमिंटन खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, विदेशी दौरों पर अब तक 4.63 करोड़ रूपये खर्च किए गए हैं। इसमें से 2.58 करोड़ रुपये 38 खिलाड़ियों (24 पुरूष और 14 महिलाओं) के प्रशिक्षण के लिए आयोजित राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों पर खर्च किए गए हैं। इन खिलाड़ियों को 10 प्रशिक्षकों (कोच) और पांच सहायक कर्मचारियों ने प्रशिक्षण दिया, जबकि 2.05 करोड़ रुपये की शेष राशि खिलाड़ियों के विदेशी दौरों पर खर्च की गई। शिविरों की कुल अवधि अब तक 276 दिन रही है।
खिलाड़ियों का प्रशिक्षण लंदन ओलंपिक्स से बहुत पहले अप्रैल 2011 में शुरू हुआ, ताकि खेलों में भारत के पदक जीतने के आसार बढ़ाए जा सकें। भारतीय बैडमिंटन परिसंघ के उपाध्यक्ष (प्रशासन) टीपीएस पुरी ने ओलंपिक 2012 की तैयारी की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी। यह बैठक केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अजय माकन ने बुलाई थी, खेल मंत्री ने परिसंघ के उपाध्यक्ष को खिलाड़ियों के विदेशों में प्रशिक्षण के लिए गैजिटों और उपकरणों के सभी अनुरोध दो-तीन दिन में देने को कहा, ताकि उनके लिए आवश्यक स्वीकृति यथाशीघ्र दी जा सके।
बैठक में टीपीएस पुरी ने खेल मंत्री को लंदन ओलंपिक्स के लिए योग्यता कसौटी के बारे में भी जानकारी दी। एकल प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ी को बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) रैंकिंग की दृष्टि से शीर्ष 32 में और डबल्स के लिए किसी टीम को शीर्ष 16 में आना जरूरी है। ओलंपिक्स के लिए चल रही तैयारी में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों का निष्पादन अब तक संतोषजनक रहा है। इनमें सानिया नेहवाल, ज्वाला गुट्टा, अश्विनी पोनप्पा, वी डीजू, अजय जयराम और पी कश्यप शीर्ष स्तर पर रहे हैं। नई दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में सुनेहवाल ने महिलाओं की एकल प्रतियोगिता में और सुगुट्टा और सुपोनप्पा ने महिलाओं की डबल्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीते थे।
वर्ष 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक्स में भारत के दो खिलाड़ियों सानिया नेहवाल ने महिलाओं की एकल प्रतियोगिता में और अनुप श्रीधर ने पुरूषों की एकल प्रतियोगिता में क्वालीफाइ किया था। नेहवाल क्वार्टर फाइनल स्तर तक पहुंची, जबकि श्रीधर पहले राउंड में हार गए थे।