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वित्त मंत्रालय में सीआरआईएस का गठन

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नई दिल्ली। बड़ी क्रेडि‍ट रेटिंग एजेंसि‍यां प्रत्‍येक देश की प्रभुसत्तात्‍मक साख मूल्‍यांकन तय करती हैं। कि‍सी राष्‍ट्र वि‍शेष के मूल्‍यांकन आंकड़ों के नि‍र्धारण में अन्‍य देशों की स्‍थि‍ति ‍से कोई फर्क नहीं पड़ता, यह तुलनात्‍मक रेटिंग से बि‍ल्‍कुल अलग है। तुलनात्‍मक रेटिंग का एक उदाहरण प्रति‍शतात्‍मक आंकड़ा है जैसे जीआरई के परि‍णाम दि‍ए जाते हैं। यदि ‍एक छात्र को यह कहा जाता है कि ‍वह 99वें परसंटाइल पर रहा, तो इससे साफ पता चलता है कि‍ इस छात्र का प्रदर्शन अन्‍य छात्रों से तुलनात्‍मक है। यह बहस करने योग्‍य विषय है कि‍ सावरेन क्रेडि‍ट रेटिंग भी मूल्‍यांकन का एक तुलनात्‍मक प्रकार ही है, जब एक नि‍वेशकर्ता अपने पैसों के नि‍वेश के लि‍ए अनेक देशों में कि‍सी एक देश का चयन करना चाहता है, तो उस देश की रेटिंग उसके लि‍ए महत्‍वपूर्ण हो जाती है। यदि‍ देश आई की रेटिंग एक समान रहती है और दूसरे देशों की रेटिंग में समय के साथ सुधार हो तो इस बात की प्रबल संभावना होती है कि ‍आई देश में नि‍वेश कम होगा।
पि‍छले पांच साल के दौरान वि‍श्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में व्‍यापक बदलाव के साथ उतार-चढ़ाव देखे गए हैं, देशों की क्रेडि‍ट रेटिंग भी काफी बढ़ी और घटी है, जि‍स देश की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ उसके लि‍ए काफी संभावना रहती है कि ‍तुलनात्‍मक रूप में वह काफी बेहतर या बदतर हो सकता है। यदि ‍एक देश जि‍सकी रेटिंग नि‍रपेक्ष संदर्भ में कम रही, सापेक्ष संदर्भ में वह बेहतर हो सकता है, यदि ‍अन्‍य देशों का प्रदर्शन खराब रहा हो तो। नि‍वेशकों के लि‍ए सापेक्ष रेटिंग की अवधारणा काफी महत्‍वपूर्ण होती है। यह महसूस कि‍या जा रहा था कि ‍वित्त मंत्रालय को एक नया इंडेक्‍स वि‍कसि‍त करना चाहि‍ए जो इस वि‍चार को वि‍धि‍पूर्वक प्रदर्शि‍त करे। तदनुसार जि‍स नए इंडेक्‍स का वि‍कास कि‍या गया है उसे कंपेरेटि‍व रेटिंग इंडेक्‍स फार सावरेंस (सीआरआईएस) का नाम दि‍या गया।
सीआरआईएस का अभि‍कलन मूडी (MOODY’S) की रेटिंग और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष के दि‍ए गए वि‍भि‍न्‍न देशों के सकल घरेलू आंकड़ों पर आधारि‍त हैं। रेटिंग के लि‍ए पहले औपचारि‍क तौर पर देशों का तुलनात्‍मक रेटिंग देखते हैं और उसके बाद यह जानने की कोशि‍श करते हैं कि‍ एक समयावधि ‍के दौरान कोई देश कैसा प्रदर्शन करता है। इस प्रभाव को समझने के लि‍ए वित्त मंत्रालय ने देशों के सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के आधार पर उनकी आर्थि‍क सक्रि‍यता और पांच साल के दौरान उनकी रेटिंग के ऐति‍हासि‍क आकड़ों और सापेक्ष कर्ज को आधार बनाया है। वित्त मंत्रालय ने 2007 से 2011 के मध्‍य में 101 अर्थव्‍यवस्‍थाओं की सापेक्ष सूची बनाई है। इस सूची में जीडीपी आंकड़ों और उनकी रेटिंग को संयुक्‍त रूप से बि‍ना हस्‍तक्षेप एवं व्‍याख्‍या के वि‍शुद्ध गणि‍तीय एवं सांख्‍यकीय आधार पर तैयार कि‍या गया है।
मंत्रालय ने सभी देशों के लि‍ए मूडी की दीर्घावधि‍ वि‍देशी मुद्रा सापेक्ष रेटिंग का इस्‍तेमाल कि‍या है। भारत के लि‍ए 2007 एवं 2011 के लि‍ए मूडी की रेटिंग समान (Baa3) थी। सीआरआईएस ने इन वर्षों में स्वयं भारत के लि‍ए क्रमश: 66.47 (2007) और 69.83 (2011) रेटिंग दी थी। दूसरे शब्‍दों में भारत सापेक्ष संदर्भों में 5.06 प्रति‍शत के साथ नि‍वेश के लि‍ए बेहतर वि‍कल्‍प है। सीआरआईएस ने ग्रीस के लि‍ए जो रेटिंग की है उसमें 81 प्रतिशत की गि‍रावट रही। यह 2007 में 74.24 की तुलना में 2011 में 13.97 पर आ गया। आयरलैंड और पुर्तगाल में 14 प्रतिशत की गि‍रावट रही। यह दि‍लचस्‍प है, कि ‍सीआरआईएस के मुताबि‍क अमरीका की रेटिंग 78.20 से बढ़कर 81.81 हो गयी। वर्ष 2007 में सापेक्ष संदर्भ में पहले स्‍थान पर 20 अर्थव्‍यवस्‍थाएं थीं, जबकि‍2011 में घटकर 15 रह गयीं।
सीआरआईएस की भारत, चीन और इंडोनेशि‍या जैसे देशों के लि‍ए रेटिंग में यह आंशि‍क सुधार इसलि‍ए रहा क्‍योंकि‍ यूरोपीय देशों की रेटिंग में नाटकीय गि‍रावट रही। वर्ष 2007 से 2011 के दौरान सीआरआईएस की उच्‍च बदलाव वाली 10 रेटिंग्स–पैरागुवे (31.26%), लेबनान (22.71%), बोलीवि‍या (21.2%), उरुग्‍वे (18.9%), बेलीज़ और नि‍कारागुआ (दोनों 15.63%), फि‍लीपींस (14.26%), इंडोनेशि‍या (12.83%), पेरू (12.75%) और इक्‍वाडोर (12.27%) हैं। इन आकड़ों के आधार पर यह व्‍याख्‍या की गयी कि‍ चूंकि ‍इन देशों की रेटिंग कम है इसलि‍ए सुधार के लि‍ए यहां ज्‍यादा संभावनाएं हैं। इस अवधि‍ के दौरान सीआरआईएस की रेटिंग में 17 अर्थव्‍यवस्‍थाओं की रेटिंग नि‍गेटि‍व रही। इनमें से 10 बड़ी गि‍रावट वाले देश हैं–ग्रीस (-81.19%), पुर्तगाल (-14.82%), आयरलैंड (-.14%), आइसलैंड (-11.52%), बेलारूस (-10.05%), जमैका (-7.45%), मि‍स्र (-7.16%), साइप्रस (-5.94%), पाकि‍स्‍तान (-.83%) और हंगरी (-4.66%) हैं।

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