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वित्तमंत्री की अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक

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वित्तमंत्री की अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक/the finance minister's meeting with economists

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि गठबंधन राजनीति के इस दौर में आपको अपने साथ बाकी लोगों को भी लेकर चलना होता है, इसलिए निर्णय प्रक्रिया में आपसी सहमति आवश्यक है। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान वर्ष एक चुनौतीपूर्ण वर्ष था, इस वर्ष मुद्रास्फीति की समस्या, राजकोषीय घाटे और सतत एवं समावेशी विकास को बनाए रखने का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अंतर राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता, यूरो जोन सकंट और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि प्रक्रिया में मंदी की वजह से भारत समेत उभरती हुई, अर्थव्यवस्थाओं को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, हमें आशा है कि मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति 6 से 7 प्रतिशत के बीच होगी और वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है।
प्रणब मुखर्जी बजट पूर्व बैठक में हिस्सा लेने वाले अर्थशास्त्रियों को संबोधित कर रहे थे, इस बैठक का आयोजन प्रमुख आर्थिक मुद्दों पर राय करने के लिए किया गया था। ओक्सअस रिसर्च एंड इंवेस्ट्मेंट्स से डॉ सुरजीत भल्ला, भारतीय वाणिज्य और उद्योग परिसंघ (फिक्की) से नितिन देसाई और डॉ राजीव कुमार, राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) से डॉ सुदीप्तो मंडल, भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) दिल्ली से भरत रामास्वामी, आदित्य बिरला समूह से अजीत रानाडे, राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) से डॉ एम गोविंद राव, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर रोहिणी सोमनाथन और मणिपुर के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज से प्रोफेसर अमर यूमनाम इस बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों में शामिल थे।
अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि इस वर्ष बजट का प्रमुख उद्देश्य भारतीय विकास में, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के निवेशकों में विश्वास बहाली होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट में लोक-लुभावन कदमों को तरजीह देने की बजाय इन्हें लागू करने में लगने वाली राशि में कटौती की जानी चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने डीजल के विनियंत्रण, डीजल कारों पर सीमा-शुल्क कर और लाभार्थियों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए नकद हस्तांतरण प्रणाली का सुझाव दिया। राजस्व राज्य मंत्री एसएस पलानीमणिक्कम, वित्त सचिव आरएस गुजराल, वित्तमंत्री की सलाहकार ओमिता पाल, आर्थिक मामले विभाग के सचिव आर गोपालन, व्यय सचिव सुमित बोस, वित्तीय सेवा सचिव डीके मित्तल, विनिवेश सचिव मोहम्मद हलीम खान, प्रमुख आर्थिक सलाहकार डॉ कौशिक बसु और अपर सचिव शक्तिकांत दास ने भी बैठक में हिस्सा लिया।

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