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नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस बात पर गहरी चिंता प्रकट की है कि हमारे समाज में महिला भ्रूण हत्या और बालिकाओं की अनदेखी अब भी कायम है, जिससे पुरूष और महिलाओं के बीच अनुपात बुरी तरह प्रभावित है। मीरा कुमार बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के 17वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर केंद्रीय स्वाथ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे। समारोह में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी, बोर्ड के उपाध्यक्ष और प्रशासनिक निकाय के सदस्य भी उपस्थित थे।
मीरा कुमार ने कहा कि हमें अपने गांवों और देश के दुर्गम इलाकों में काम करने के इच्छुक शिक्षित और प्रशिक्षित डॉक्टरों की जरूरत है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने साढ़े चार हजार से अधिक डिग्री प्रदान कीं। इस अवसर पर आजाद ने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि इनमें चालीस प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 30 हजार से अधिक डॉक्टरों को राष्ट्रीय बोर्ड की डिग्री प्रदान की जा चुकी है, जो देश विदेश में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। आजाद ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अनेक सुधार किए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष कर दी गई है।
मेडिकल शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के प्रोफेसनल्स को मान्यता दी गई है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में शिक्षक और विद्यार्थी का अनुपात एक-एक के बजाय एक-दो कर दिया गया है। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की स्थापना 1975 में की गई थी। औषधि के क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा के मानक में एकरूपता लाने की आवश्यकता के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा बनाये कार्य समूह की रिपोर्ट के आधार पर इस बोर्ड की स्थापना की गई थी। यह बोर्ड देश में आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में अपनी तरह का अकेला परीक्षा बोर्ड है।