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विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना का विरोध

पहाड़ में लोगों ने विश्व बैंक मिशन को घेरा

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विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना का विरोध/vishnugad-pipalkoti project opposed

चमोली। विश्व बैंक पोषित विष्णुगाड-पीपलकोटी जल-विद्युत परियोजना (444 मेवा) के विरोध में हेलंग से हाट तक के ग्रामीणों ने विश्व बैंक के मिशन के सदस्यों और टीएचडीसी को काले झंडे दिखाकर विरोध किया। ,महिलाओं ने विश्व बैंक से आये पैनल अधिकारियों से कहा कि अलकनंदा नदी के मालिक हम हैं, हमारी नदियों का सौदा नहीं किया सकता। ,विश्व बैंक ने उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा गंगा पर प्रस्तावित इस परियोजना का जुलाई 2011 में  वित्त पोषण किया है। बाईस दिसंबर को विश्व बैंक के अधिकारी रैहॉन, माईकेल और पार्थो घोष, परियोजना क्षेत्र में गये थे। विश्व बैंक अपने दौरे को मिशन कहता है।
लोगों ने परियोजना का पूर्ण विरोध किया और माटू जन संगठन की ओर से एक ज्ञापन दिया जिसमें कहा गया है कि लोगों को सामने दिख रहा है कि आज तक विश्व बैंक पोषित परियोजनाओं में लोगों के अधिकारों और पर्यावरण का नुकसान ही हुआ है, वही स्थिति अब यहां भी दिखाई दे रही है। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर से हजारों बेघर लोगों का आज भी पुनर्वास नही हो पाया है, विश्व बैंक जिस टीएचडीसी को पैसा दे रहा है, उसके बनाये टिहरी बांध से पुनर्वास और पर्यावरण के नुकसान का आकलन तक नही हो पाया है। सन् 2004 से जहां, परियोजना का विद्युत घर बनना है, विस्फोटों के इस्तेमाल के कारण कई घरों में दरारें आ गई हैं। सड़क बनाने के कारण गांव का जंगल बर्बाद हुआ है। और भी अनेक खतरे सामने दिख रहे हैं, किंतु विश्व बैंक और टीएचडीसी एक के बाद एक, मात्र रिपोर्ट बना रहे हैं। ज्ञापन में मांग की गई है कि परियोजना के कारण हुए अब तक के नुकसान की भरपाई की जाए और परियोजना को विश्व बैंक से दिया गया पैसा वापिस लिया जाए।
बाईस दिसंबर से ही लोगों ने विश्व बैंक मिशन को मिलने की कोशिश की, किंतु वो नहीं मिले। चौबीस दिसंबर की सुबह मिशन को वापिस लौटना था। जहां विश्व बैंक मिशन ठहरा हुआ था वहां सुबह 9 बजे से परियोजना प्रभावित ग्रामीणों ने घेराव किया और मांग की कि मिशन बाहर आये और लोगों से बात करें। विश्व बैंक वापिस जाओ, साढ़े तीन घंटे के घेराव के बाद मजबूरन मिशन को बाहर आना पड़ा। उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ जब विश्व बैंक को विरोध का सामना करना पड़ा। महिला मंगल दल की अध्यक्ष सरिता राणा ने कहा कि विश्व बैंक की टीम से टीएचडीसी के अधिकारी कभी मिलने नहीं देते, यह एक तरफा बात है। विश्व बैंक केवल टीएचडीसी की ही बात सुनता है, जनता की आवाज़ को दबा दिया जाता है। सरपंच किरूली बस्ती लाल ने कहा कि हमारी नदी को स्वतंत्र बहने दो, इससे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नही की जा सकती है, विश्व बैंक लोगों को लगातार कर्जे में डुबो रहा है, हम इनके कर्जदार नहीं बनना चाहते हैं, हमारे भविष्य का निर्धारण करने वाला विश्व बैंक नही है।
ग्राम हडसारी के लोगों ने कहा कि पुनर्वास और विस्थापन के जो कदम टीएचडीसी ने उठाये हैं, वे गैर जिम्मेदाराना हैं, हम पिछले 6-7 सालों से इस कंपनी के कार्यो को देख रहे हैं, कंपनी ने लोगों के सौहार्द को तोड़ने का काम किया है। नरेंद्र प्रसाद पोखरियाल ने कहा कि विश्व बैंक, टीएचडीसी को हथियार देने बंद करे, विश्व बैंक तुरंत टीएचडीसी को ऋण देना बंद करे। वृहर्ष राज तड़ियाल ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमारा आंदोलन जारी है। टीएचडीसी की पूर्व की करतूतों से विश्व बैंक ने अभी तक सबक नही लिया है। टीएचडीसी के पूर्व इतिहास में कहीं भी, कभी भी पुनर्वास नही हो पाया है, हम इस बांध का पूरी तरह से विरोध करते हैं। विश्व बैंक और टीएचडीसी लोगों को बर्बाद न करें, अलकनंदा, क्षेत्र की एकमात्र नदी है, जिसका फैलाव हेंलंग से बिरही तक 25 किलोमीटर है। इस घाटी में लगभग 7500 परिवार निवासरत हैं, जो अलकनंदा नदी पर अपने धार्मिक, सांस्कृतिक, शवदाह आदि के लिए निर्भर हैं, लेकिन टीएचडीसी ने कहीं भी इसका जिक्र नहीं किया है। टीएचडीसी और विश्व बैंक, पुलिस बल की सहायता लेकर बांध निर्माण का कार्य करना चाहती है, जो कि अलोकतांत्रिक है।
जवाब में विश्व बैंक की ओर से लोगों को जवाब देते हुये माइकल हेनरी ने कहा कि इस परियोजना से पर्यावरण पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा, टीएचडीसी क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है, लोग अपनी समस्याएं टीएचडीसी से कहें और अपने मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानून की शरण में जाएं। पार्थो घोष ने कहा कि हम टीएचडीसी को दिया फंड बंद नही कर सकते और हम यहां जनता को मिलने नही, परियोजना देखने आये हैं, आप हमारे प्रबंधक से बात करें। इस तरह विश्व बैंक ने अपने आपको साफ सुथरा बताने की कोशिश की, जिसका ग्रामीणों ने विश्व बैंक वापस जाओ, नारे के साथ विश्व बैंक का विरोध किया और काफी बहस के बाद विश्व बैंक का मिशन वापस लौट गया। इस पूरे प्रकरण से विश्व बैंक और टीएचडीसी के दावों की पोल खुल गई, कि यहां परियोजना का विरोध नही है और विश्व बैंक पर्यावरणीय और पुनर्वास के मानको का पालन कर रहा है। परियोजना का स्थानीय स्तर पर भी विरोध है, भले ही एक एनजीओं को परियोजना के असर लोगों को बताने के लिये लाखों रुपये खर्च कर दिये गये हों। असलियत में उस एनजीओं ने लोगों को परियोजना के पक्ष में करने की कोशिश की।
परियोजना क्षेत्र से आनंद सिंह, प्रमिला देवी, नंद सिंह, मणि लाल शाह, कन्हैया लाल शाह, गीता देवी, सरिता देवी, वसंती देवी, कालू लाल, हरेंद्र भंडारी, राम लाल, सोहन लाल, दीपा देवी, चमेली देवी, पुष्पा देवी, गुड्डी देवी, आदि ग्रामीण उपस्थित थे।

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