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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने हिंदू भावनाओं को चोट पहुंचाई, जानबूझकर उच्च न्यायालय के निर्णय की अवहेलना की, भाजपा इसके लिए माफी मांगने की मांग करती है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र के अनेक ऐसे पहलू हैं, जिनसे यह पता चलता है कि पार्टी के पास न तो कोई विज़न है और न ही कोई ध्येय। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि उत्तर प्रदेश में सुशासन और उसके विकास की गंभीर चुनौतियों का समाधान करने के लिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक वोट बैंक को आकर्षित करने के अपने बौखलाहटपूर्ण प्रयास में कांग्रेस ‘अल्पसंख्यक तुष्टीकरण’ के निंदनीय स्तर पर उतर आई है, कांग्रेस के घोषणा पत्र की एक विशिष्ट बात है, जोकि अत्यंत आपत्तिजनक है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में पृष्ठ 18 पर-‘अल्पसंख्यक’ वर्ग के तहत कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी बाबरी मस्जिद विवाद के न्यायसंगत समाधान की पैरवी करेगी, इसमे आगे कहा गया है कि सभी पार्टियों को न्यायालय का निर्णय मानना चाहिए। भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस की मूल विचारधारा को अत्यंत आपत्तिजनक और वास्तव में विकृत मानती है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में राम जन्मभूमि का जानबूझकर उल्लेख नहीं करना, उचित समझा। ऐसा करके कांग्रेस ने यह संकेत दिया है कि अयोध्या में विवाद केवल ‘बाबरी मस्जिद’ के बारे में है। कांग्रेस का यह भी मानना है कि राम जन्मभूमि नाम की कोई चीज न तो पहले थी और न अब है।
अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में केवल ‘बाबरी मस्जिद’ का उल्लेख करके यह भी संकेत दिया है कि अयोध्या विवाद का समाधान ध्वस्त ‘बाबरी मस्जिद’ ढांचे का पुनर्निर्माण करने में ही निहित है। इस बात को इस तथ्य से और भी बल मिलता है कि अपने घोषणा पत्र में अल्पसंख्यक वर्ग के तहत इस मुद्दे का उल्लेख किया गया है। रामजन्मभूमि के बारे में कोई उल्लेख न करके कांग्रेस ने न केवल उत्तर प्रदेश अपितु पूरे भारत के हिंदू समुदाय की भावनाओं और ‘सांस्कृतिक भारत’ को चोट पहुंचाई है। उसका मानना है कि बहुसंख्यक हिंदू समुदाय का अयोध्या में विवादित स्थल पर कोई दावा नहीं है, इसी वजह से इसने अपने घोषणा पत्र में अयोध्या मुद्दे को ‘अल्पसंख्यक’ वर्ग के तहत रखा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रवैया न केवल पूर्णतया हिंदू-विरोधी है, अपितु न्यायपालिका-विरोधी भी है, सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने सितंबर 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के स्पष्ट और ऐतिहासिक निर्णय को आसानी से भुला दिया है, उच्च न्यायालय ने स्पष्टरूप से तथा सर्वसम्मति से हिंदुओं के दावे को स्वीकार किया है कि अयोध्या में विवादित स्थल, जहां पर राम लला की मूर्ति विद्यमान है, वास्तव में ‘राम जन्मभूमि’ है-अर्थात् भगवान राम की जन्मभूमि है। उच्च न्यायालय, बहुसंख्यक समुदाय के प्रस्तुत, हजारों पृष्ठों के ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुरातत्व-संबंधी साक्ष्यों की जांच करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा था।
इस समय अयोध्या मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष है। समूचा राष्ट्र उच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय पर उच्चतम न्यायालय की शीघ्र एवं अंतिम मोहर लगाये जाने की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे प्रश्न निम्न प्रकार हैं-क्या कांग्रेस नेतृत्व उच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय को स्वीकार करता है या अस्वीकार ? यूपीए नई दिल्ली में गत 7 वर्षों से सत्ता में है, यदि कांग्रेस ईमानदारी से अयोध्या मुद्दे का न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान चाहती है, तो इसके नेताओं को यह स्पष्ट बताना चाहिए कि यूपीए सरकार ने इस दिशा में अब तक क्या कदम उठाए हैं ?