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नई दिल्ली। भारत में विद्युत उपकरण उद्योग का एक लंबा और उतार-चढ़ाव वाला इतिहास है। आज इसकी विभिन्न प्रकार की 1500 से अधिक इकाइयां हैं, जिनका वार्षिक व्यापार लगभग 1,10,000 करोड़ रूपए का है। उद्योग का वार्षिक निर्यात 20,000 करोड़ रूपए और आयात 32,000 करोड़ रूपए का है। इस प्रकार इसका ऋणात्मक व्यापार संतुलन है, जो हाल के वर्षों में बढ़ता जा रहा है। विषम स्वरूप होने के कारण घरेलू विद्युत उपकरण उद्योग ने नीति निर्माताओं का ध्यान आकर्षित नहीं किया है, हालांकि अर्थव्यवस्था में इसकी विशिष्ट भूमिका है। इसी प्रकार निर्माताओं सहित अनेक भागीदारों ने इस उद्योग की वृद्धि और विकास की कार्य योजना नहीं बनाई है और उन्होंने केवल थोड़ा-थोड़ा करके अल्पावधि रणनीतिक प्रयासों पर ही ध्यान दिया है।
इस उद्योग के तेजी से विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण और कार्य योजना की आवश्यकता है। सभी भागीदारों के सक्रिय सहयोग करने और संगठित और तालमेलपूर्ण कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि उद्योग अपनी विकास की प्रक्रिया में तेजी ला सकें और यह देश में बिजली की मांग और आपूर्ति के मध्य अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान कर सके। इस उद्देश्य के लिए भारी उद्योग विभाग (डीएचआई) और आईईईएमए के सहयोग से विद्युत उपकरण उद्योग के लिए सभी प्रमुख भागीदारों से परामर्श करके एक मिशन योजना 2012 से 2022 तैयार की गई है। यह योजना घरेलू विद्युत उपकरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए स्पष्ट रोड मैप उपलब्ध कराएगी।
आईईईएमए ने इस प्रक्रिया के लिए इंसर्ट एंड यंग (Ernst & Young) को तकनीकी जानकारी देने वाला भागीदार नियुक्त किया है और एक बेस-दस्तावेज (भारतीय विद्युत उपकरण उद्योग मिशन योजना 2012-22 बेस दस्तावेज) केंद्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री मुंबई में 26 सितंबर 2011 को आयोजित आईईईएमए के वार्षिक सम्मेलन में जारी किया गया था। बेस दस्तावेज में 14 यौद्धिक प्रयासों की पहचान की गई है, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित सरकारी मंत्रालय विभागों और उद्योग के नामितों का प्रतिनिधित्व करते हुए पांच कार्य दलों का गठन किया गया है, जिसे इन क्षेत्रों में की जाने वाली हस्तक्षेप सिफ़ारिशों को तैयार करना है।
ये पांच कार्य दल हैं-भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी को उन्नत करना, उद्योग प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना, गुप्त मांग को वास्तविक मांग में बदलना, कौशल विकसित करना और विद्युत उपकरणों का निर्यात। कार्य दल विचार-विमर्श करने और अपने संबंधित क्षेत्रों में हस्तक्षेपों की सिफ़ारिशों को अंतिम रूप देने के लिए बेस-दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। सिफ़ारिश किये गए हस्तक्षेपों को अंतिम रूप देने के बाद इन्हें अंतिम मिशन योजना में सही रूप से शामिल कर लिया जाएगा और भारतीय विद्युत एवं संबद्ध उद्योगों की विकास परिषद को प्रस्तुत कर दिया जाएगा। मिशन योजना को तीन मास की अवधि में अंतिम रूप दिया जाना निर्धारित है।