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इस्पात मंत्रालय की ग्रामीण डीलरशिप

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नई दिल्ली। इस्पात मंत्रालय, भारत में इस्पात क्षेत्र को विकसित करने के ठोस प्रयास कर रहा है। मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के अपने प्रतिष्ठानों सेल और आरआईएनएल के जरिए एक ग्रामीण डीलरशिप योजना शुरू की है ताकि इस्पात ग्रामीण ग्राहकों के द्वार पर पहुंचाया जा सके। इसके अलावा इस्‍पात मंत्रालय ने एक प्रोत्‍साहन अभियान भी शुरू किया है, जिसका उद्देश्‍य इस्‍पात के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना है।
इस्‍पात निर्माताओं जिनकी इस्‍पात बनाने की पृष्‍ठभूमि नहीं रही है, को प्रोत्‍साहित करने और देश में भारतीय खनिज लौह के प्रयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से इस्‍पात मंत्रालय ने निर्यात शुल्‍क को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। इसके अलावा अतिरिक्‍त सचिव और वित्त सचिव की अध्‍यक्षता में एक उच्‍च स्‍तरीय समिति गठित की गई है, इसमें शामिल सेल, आरआईएनएल और एनएमडीसी के मुख्‍य प्रबंध निदेशक और सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्‍ठानों के संबद्ध संयुक्‍त सचिव आयाति‍त कोकिन कोल से संबंधित विभिन्‍न मामलों पर विचार करेंगे।
इस्‍पात मंत्रालय ने अनुसंधान और विकास (आरएनडी) नीति भी तैयार की है, जिसका उद्देश्‍य भारत में आरएनडी निवेश को वर्ष 2015-16 तक कारोबार के वर्तमान 0.15-0.3 प्रतिशत से बढ़ाकर एक प्रतिशत करना और वर्ष 2020 तक दो प्रतिशत करना है। इस नीति में लोहा तैयार करने के वैकल्पिक तरीकों को विकसित करने और फिनेक्‍स, फास्‍टमेट, फास्‍टमेल्‍ट, आईटी एम के 3 जैसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर भी जोर दिया जाएगा। इस नीति का उद्देश्‍य लौह अयस्‍क की भट्टियां और कोयला साफ करने की सुविधाएं स्‍थापित करने को बढ़ावा देने को प्रोत्‍साहित करना भी है। इस नीति का उद्देश्‍य इस्‍पात कंपनियों के अपने आरएनडी संस्‍थानों को सुदृढ़ करना और उपकरणों के डिजाइन तैयार करने और निर्माण की स्‍वदेशी क्षमताएं विकसित करना भी है।

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