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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुख्य सचिवों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा है कि मुख्य सचिवों का सम्मेलन देश की वार्षिक गतिविधियों में वास्तव में एक महत्वपूर्ण घटना है, आप सब में से प्रत्येक व्यक्ति इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में लगभग जीवन काल के प्रशासनिक अनुभव के साथ आता है, इसलिए सामूहिक रूप से आप ज्ञान और प्रतिभा की एक विशाल संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे देश लाभान्वित हो सकता है और होना भी चाहिए, इस सम्मेलन से मेरी सच्ची आशा है कि हम यहां होने वाले विचारों के आदान-प्रदान से अधिकाधिक लाभान्वित होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक अनिश्चित दौर में से गुजर रहे हैं और राज्यों के मुख्य सचिवों से बढ़कर इस बारे में कोई नहीं जानता, देश के रूप में हम विभिन्न क्षेत्रों में अनेकों चुनौतियों का सामना करते हैं। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को अपने संदेश में हमने इन चुनौतियों को पांच विशाल वर्गों में समाहित किया था। ये हैं-अजीविका सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा को साकार रूप देना, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरणीय सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इन चुनौतियों को स्पष्ट रूप से समझ लें, इन चुनौतियों का कारगर रूप में मुकाबला करने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करने की जरूरत है, इस क्षेत्र में सफलता सुनिश्चित करने में मुख्य सचिवों की नि:संदेह महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने कहा कि हालांकि हम इस काम में आने वाली कठिनाईयों को समझते हैं और हमें उनका मुकाबला करने के लिए रणनीतियां तैयार करनी चाहिएं, हमें इस बात का भी विश्वास होना चाहिए कि इन कठिनाईयों को दूर करना असंभव नहीं हैं, नि:संदेह हम पहले भी अनिश्चितता के दौर से गुजरे हैं, हमने संकटों का सामना किया है, हमने कठिन परेशानियों का सामना किया है, परंतु हर बार हमारा राष्ट्र और मजबूत होकर उभरा है, मुझे कोई संदेह नहीं है कि जो भी चुनौती होगी, उस पर सफलता प्राप्त करने की हम में इच्छा भी है और योग्यता भी है, बशर्ते कि हम सभी मिलकर और दृढ़ संकल्प के साथ काम करें। सम्मेलन में चर्चा के विषय था, ‘पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन तथा कारगर सार्वजनिक सेवा डिलीवरी प्रणालियां।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि गत वर्ष जब चार फरवरी 2011 को उन्होंने मुख्य सचिवों को संबोधित किया था, तब सुव्यवस्थित दायित्व की आवश्यकता पर बल दिया था, जो हमारे सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के अवसर कम करता है, मैंने कहा था कि हमारी सरकार सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को खत्म करने के सभी कानूनी और प्रशासनिक उपाय करने को प्रतिबद्ध है, मैंने यह भी कहा था कि हमारी सार्वजनिक सेवा प्रणाली की उपलब्धता सुधारने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी में प्रगति का पूरा-पूरा उपयोग करना चाहिए, हमने गत एक वर्ष में इन क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति की है, सिटीजन चार्टर पर एक विधेयक संसद में पेश किया है, जो सरकार के विभिन्न विभागों से उचित मानकों के साथ सेवाएं मांगने का नागरिकों को अधिकार देगा, सेवाओं की इलेक्ट्रोनिक डिलीवरी नामक विधेयक भी संसद में पेश किया गया है और जैसा कि नाम से पता चलता है यह हमारे नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी की व्यवस्था करता है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि दुर्भाग्य से लोकपाल और लोकायुक्त विधयेक संसद के पिछले सत्र में पारित नहीं किया जा सका, लेकिन मुझे आशा है कि हम जल्दी एक मजबूत लोकपाल कानून बना पाएंगे, सार्वजनिक वसूली को नियमित करने का एक विधेयक तैयार करने की दिशा में भी हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारे लोगों को सेवाओं की उपलब्धता में सुधार के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना कार्यान्वित की जा रही है, हमने लगभग 13 करोड़ आवासियों को आधार कार्ड उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति की है, जिससे कार्यक्रमों, विशेष रूप से जो गरीबों और वंचित लोगों के लिए हैं, के लाभ पहुंचाने में और त्रुटियां दूर करने में सहायता मिलेगी, हमने आधार योजना के अधीन अन्य 40 करोड़ आवासियों को लाने को भी हाल ही में मंजूरी दी है। मनमोहन सिंह ने कहा कि यह सब हमारे पहले के उपायों जैसे सूचना के अधिकार का अधिनियम, न्यायिक जवाबदेही विधेयक और व्हिसल ब्लोअर्स विधेयक को सुदृढ़ करते हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए हमें अभी बहुत कुछ करना बाकी है, इसलिए मैं आप सभी से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था 1010-11 में 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी, यह संकटग्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में सराहनीय उपलब्धि है, परंतु वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में जारी अनिश्चितता के कारण चालू वित्त वर्ष में विकास के कम होने या 7 और 7.5 प्रतिशत के बीच होने की संभावना है। गत वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य वस्तुओं के बारे में एक स्थायी समस्या रही है, हमारी सरकार ने आपूर्ति बाधाओं को जो मूल्य वृद्धि का एक कारण थी, कम करने के कई उपाय किये। इन उपायों और रिजर्व बैंक की अपनाई गई मौद्रिक सख्ती की नीति के परिणामस्वरूप हाल के सप्ताहों में प्राथमिक खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है, कुल मिलाकर मुद्रास्फीति भी कम हुई है, लेकिन विश्व के कठिन आर्थिक वातावरण विशेष रूप से चल रहे यूरो क्षेत्र के संकट और मौद्रिक सख्ती का विकास की दर पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर नियंत्रित करने का समाधान कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में है और यहां राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, मैं आग्रह करता हूं कि वे कृषि अनुसंधान और कृषि विस्तार प्रणाली के आधुनिकीकरण, कृषि में सार्वजनिक निवेश और कृषि-गत विपणन प्रणाली और व्यवहार में आधुनिकता जैसे क्षेत्रों की ओर अधिक ध्यान दें, इसको अनुकूल बनाने के लिए कोल्ड चैन और फसलोत्तर भंडारण सहित भंडारण की आधुनिक क्षमता तैयार करने को अब बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के लिए वित्तीय समर्थन की योजना में शामिल किया गया है, कृषि उत्पाद विपणन अधिनियम की समीक्षा करने और उसका संशोधन करने की आवश्यकता है, ताकि किसान अपना उत्पाद खुदरा दुकानों पर ला सके और खुदरा व्यापारी सीधे किसानों से खरीद सके। इससे किसानों को बेहतर उजरत मिल सकेगी, नुकसान में कमी हो सकेगी और खुदरा बाजार में प्रतिस्पर्धा के अवसर मिलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रीय विनिर्माण नीति की घोषणा की है, इसका उद्देश्य हमारे जीडीपी में विनिर्माण के भाग को एक दशक में 25 प्रतिशत तक बढ़ाना और सौ मिलियन नौकरियों के अवसर पैदा करने हैं, यह नीति राज्यों के साथ भागीदारी में औद्योगिक विकास के सिद्धांत पर आधारित है, केंद्र सरकार अनुकूल नीतिगत ढांचा तैयार करेगी, उपयुक्त वित्तीय सहायता के जरिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर आधारभूत ढांचे के विकास के लिए प्रोत्साहन देगी और राज्य सरकारों को नीति में निहित उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, नीति के नये प्रारूप में राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र एक महत्वपूर्ण उपाय है, मैं मुख्य सचिवों से इस बात पर ध्यानपूर्वक विचार करने का आग्रह करुंगा कि राज्य किस प्रकार राष्ट्रीय विनिर्माण नीति का सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें बड़ी संख्या में अपने लोगों को कौशलपूर्ण या हुनरमंद बनाने की आवश्यकता भी है, ताकि वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओं में उत्पादक रूप में व्यस्त हो सकें और उसके साथ-साथ एक अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए माकूल आमदनी भी कमा सकें। वर्ष 2018 तक भारत को लगभग 26 करोड़ हुनरमंद लोगों की आवश्यकता होगी, यह मांग तब तक पूरी नहीं की जा सकती, जब तक कि हम कौशल विकास के लिए आदर्शपूर्ण कार्यक्रम न अपनाएं। हमारी सरकार ने कौशल विकास के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें प्रभावशाली सफलता मिली है, हमें इस दिशा में और कदम उठाने की आवश्यकता है। मुझे कुछ राज्यों से कौशल विकास के क्षेत्र में किये गए अच्छे कार्य की भी जानकारी है, इसलिए मैं चाहता हूं कि सभी राज्य राष्ट्रीय प्रयास के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएं। खाद्य सुरक्षा विधेयक का पेश किया जाना सरकार का एक ऐतिहासिक कदम है, इस विधेयक में न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्रत्येक परिवार को खाद्यान्न की उचित मात्रा उपलब्ध कराने की व्यवस्था है, बल्कि इसमें उचित पौष्टिक मानकों के अनाज का प्रावधान करने की व्यवस्था है, जोकि गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं तथा 14 वर्ष तक की आयु तक के बच्चों के लिए मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा, ये वैधानिक पात्रता तभी यथार्थ रूप ले सकती है, जब हम अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करें और वह सुधार कारगर तथा त्वरित होना चाहिएं, उन्होंने राज्यों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण को समाप्त करने की ओर तत्काल ध्यान देने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि देश में पिछले एक वर्ष में आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर स्थिति कुल मिलाकर स्थिर रही है, परंतु गंभीर चुनौतियां और खतरे, प्रमुख रूप से वामपंथी उग्रवाद, सीमा पार के आतंकवाद, धार्मिक कट्टरवादिता और जातिवादी हिंसा से अभी भी विद्यमान हैं, इनसे सुदृढ़ और कारगर रूप से निपटने की आवश्यकता है, केंद्र सरकार राज्य सरकारों को इस दिशा में किये जाने वाले प्रयासों में हर संभव सहायता देना जारी रखेगी। इसी प्रकार आधारभूत घाटा चिंता का अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, यह घाटा अभी भी बड़ा है और यह हमारी विकास प्रक्रिया को सीमित करने वाली बाधाओं में से एक है, हमें आधारभूत घाटे को पाटने के लिए अभिनव उपाय तालशने की आवश्यकता है, हालांकि हमने पिछले कुछ वर्षों में कुछ प्रगति की है, उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे आधारभूत ढांचे के विकास के क्षेत्रों, खासकर सड़कों, राजमार्गों और सिंचाई की सुविधाओं की ओर अधिक ध्यान दें। आपदा प्रबंधन भी एक अन्य क्षेत्र है, जिसकी और व्यवस्थित रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को विश्वास है कि देश के सामने विविध चुनौतियों का सामना करने के वास्ते हमारे प्रयासों में अभिनवता की महत्वपूर्ण भूमिका है, यही कारण है कि हम चालू दशक को अभिनवता का दशक बनाना चाहते हैं, अभिनवता या नवीनता और सृजनता को प्रोत्साहित करना चाहिए और राष्ट्र की गंभीर समस्याओं के समाधान के नये तरीके तलाशने चाहिए, देश में नवीनता को प्रोत्साहित करने का अनुकूल वातावरण तैयार करना चाहिए, सरकार ने एक राष्ट्रीय अभिनवता परिषद (नेशनल इनोवेशन काउंसिल) गठित की है, जो समावेशी अभिनवता की नीतियां तैयार करेगी और अभिनव 2010-20 का रोड़ मैप तैयार करेगी, हम अपने बच्चों और अपने युवाओं में अभिनवता विचार को प्रोत्साहित करने के लिए कई नये उपाय भी कर रहे हैं, इसके लिए 13वें वित्त आयोग ने देश के प्रत्येक जिले के लिए एक करोड़ रुपये के अनुदान का प्रावधान किया है, मुख्य सचिव अपने-अपने राज्यों में अभिनवता और सृजनता को प्रोत्साहित करने की और पर्याप्त ध्यान दें।