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लिएंडर पेस जो है असली शहंशाह

मनमोहन हर्ष

राडाक स्टीपनेक/radak stipanek

नई दिल्ली। भारतीय टेनिस के जांबाज खिलाड़ी लिएंडर पेस ने ऑस्ट्रेलियन ओपन टेनिस स्पर्धा में चैक गणराज्य के जोड़ीदार राडाक स्टीपनेक के साथ पुरूष युगल खिताब जीतकर डबल्स मुकाबलों में करियर ग्रैंड स्लेम मुकम्मल करने का एजाज हासिल किया है। आलमी टेनिस की प्रतिष्ठित ग्रैंड स्लेम स्पर्धाओं में 13वीं बार खिताब जीतने वाले लिएंडर पेस ने वर्ष 1991 से लेकर अब तक युगल मुकाबलों में देश और दुनियां के करीब 100 खिलाड़ियों के साथ जोड़ी बनाई है। करयिर के हर मोड़ पर अपने जोड़ीदारों के साथ सफलता की नजीर पेश करते हुए पेस ने युगल मुकाबलों के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों की सूची में अपना खास मुकाम बनाया और टेनिस कोर्ट पर कालजयी प्रदर्शन करते हुए कोर्ट पर अपनी महारत की अमिट छाप छोड़ी है।
ग्रैंड स्लेम टेनिस के इतिहास से लेकर डेविस कप में लिएंडर की कामयाबीं की दास्तान बताती है गोया वे खेल के मैदान पर टीम भावना के असली शहंशाह हैं। ऑस्ट्रेलियन ओपन में पेस की यह कामयाबी न केवल भारतीय टेनिस के लिए यादगार लम्हा है, बल्कि चैक खिलाड़ी स्टीपनेक को लिएंडर की संगत में मिला यह दुर्लभ तोहफा है। आलमी टेनिस में अपनी अनेकानेक गौरवमयी उपलब्धियों से तिरंगे की शान को बुलंद करने वाले लिएंडर पेस जिजीविषा और जिंदादिली के पर्याय हैं। टेनिस कोर्ट पर लिएंडर ने अपने रैकेट से देश के लिए स्वर्णिम सफलताओं से फिजाओं में सदैव प्रेरणा की संजीवनी उलीचकर नए अध्याय रचे हैं। पहाड़ सरीखी, कठिनतम और जटिलताओं से भरी चुनौतियों की छाती पर अपने अंदाज में जीत का झंडा गाड़ने का जो हुनर लिएंडर ने पाया है, वह अपने आप में बेमिसाल है।
नाउम्मीदी की घड़ियों में एड़ी चोटी का जोर लगाकर देश का सिर ऊंचा रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश और चाह उनके लिए सफलता का मूलमंत्र रहा है। इसे साधकर उन्होंने कोर्ट पर शीर्ष वरीयताओं का मानमर्दन किया है। टेनिस कोर्ट पर मातृभूमि के गौरव के लिए प्रतिपक्ष में मौजूद चुनौतियों को जमींदोज कर वे लगातार देश को अविस्मरणीय सौगात से नवाज रहे हैं। लिएंडर पेस के ग्रैंड स्लेम खिताबों पर दृष्टिपात करे तो उन्होंने सर्वप्रथम 1999 के टेनिस सर्किट में हमवतन महेश भूपति के साथ पुरूष युगल स्पर्धाओं में धूम मचाई। पेस-भूपति की जोड़ी इस वर्ष चारों ग्रैंड स्लेम स्पर्धाओं के फाइनल तक पहुंची। फ्रेंच ओपन और विम्बल्डन में उन्होंने खिताब जीते। पेस का 1999 के विंबलडन में प्रदर्शन इस लिहाज से ऐतिहासिक था कि उन्होंने मिश्रित युगल में भी लीसा रेमंड के साथ सिरमौर बनकर दोहरे खिताब जीते। उन्होंने 2001 में पुनः भूपति के साथ फ्रेंच ओपन में कामयाबी का डंका बजाया।
पेस ने 2003 में महिला टेनिस की साम्राज्ञी मार्टिना नवरातिलोवा के साथ जोड़ी बनाई और वे ऑस्ट्रेलियन ओपन तथा विंबलडन में विजेता रहे। इसके बाद पेस 2006 में मार्टिन डेम के साथ यूएस ओपन पुरूष युगल और 2008 में कारा ब्लैक के साथ अमेरिकी ओपन के मिश्रित युगल में सरताज बने। पिछले साल लुकास डलोही के जोड़ीदार के रूप में पेस ने फ्रेंच और यूएस ओपन के पुरूष युगल खिताबी जीतकर अपने ग्रैंड स्लेम खिताबों की संख्या दो अंकों में पहुंचा दिया। ग्रैंड स्लेम स्पर्धाओं में 13 वें खिताब के साथ ही लिएंडर पेस ने टेनिस के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शुमार रॉड लेवर के कीर्तिमान (12 ग्रैंट स्लेम) को पीछे छोड़ दिया है। रॉड लेवर ने 1950, 1960 और 1970 में अलग-अलग तीन दशकों में विंबलडन जीतने का कारनामा अंजाम दिया था। लिएंडर पेस ने 2010 में विंबलडन में अपनी जीत के साथ ही अलग-अलग दशकों 1990, 2000 एवं 2010 के दौरान खिताब मिश्रित युगल खिताब जीतने का रिकार्ड भी अपने नाम कर लिया था। पेस का यह रिकार्ड इस मायने में अनोखा था कि उन्होंने तीनों दशकों में तीन अलग-अलग महिला जोड़ीदारों के संग खिताब जीता।
पेशेवर टेनिस की चकाचौंध और गलाकाट स्पर्धा से अलग डेविस कप में किसी खिलाड़ी की नही बल्कि उसके मुल्क की प्रतिष्ठा दांव पर होती है। जहां तक लिएंडर का सवाल है, डेविस कप में देश के लिए रैकेट थामकर कोर्ट के पर उतरते हुए उन्होंने सदैव अपनी क्षमताओं से बढ-चढ़कर प्रदर्शन किया है और अपनी सफलताओं से भारतीय टेनिस को नए आयाम दिए है। इस प्रतिष्ठित स्पर्धा में अपने चमत्कारिक खेल से बारम्बार उच्च वरीयताओं को धूल चटाने वाला उनका प्रदर्शन नजीर बन चुका है। सही मायनों में यदि इसका मूल्यांकन और विश्लेषण किया जाए तो पेस देश और दुनियां के सर्वकालिक श्रेष्ठ डेविस कप सितारों में शामिल होने के हकदार है। 
खेल के मैदान पर देश के गौरव के लिए पिल पड़ने का जज्बा कैसे श्रेष्ठता के मापदंडों को ढहाकर किसी अल्पख्यात या निम्न वरीयता वाले खिलाड़ी की सफलताओं की सैरगाह में तब्दील हो जाता है, इसके लिए पेस से बढ़कर कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता। पेस 1996 के अटलांटा ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतकर 44 वर्षों बाद देश के लिए ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने। अब तक 5 ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके पेस का सपना है, कि वह एक ओर ओलंपिक में देश की नुमाइंदगी करे। साल के आगाज में ऑस्ट्रेलियन ओपन में इस कामयाबी के बाद पेस इस वर्ष लंदन में ओलंपिक में खेलकर ने केवल भारत और एशिया की ओर से सर्वाधिक ओलंपिक खेलने के रिकार्ड की बराबरी करने को बेताब है, बल्कि वहां देश के लिए युगल में पदक जीतने को भी प्रतिबद्ध। लिएंडर की मौजूदा फार्म और टेनिस के प्रति उनके जुनून को देखते हुए यह लक्ष्य कोई मुश्किल नहीं है।

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