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नई दिल्ली। वर्तमान में यह अनुमान है कि विद्युत उपकरण उद्योग 5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और 10 लाख से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है। यह मांग 2012 तक बढ़कर क्रमश: 15 लाख और 20 लाख होने का अनुमान है। आज भी विद्युत उपकरण उद्योग तकनीकी रूप से सक्षम, कुशलता से युक्त और नियुक्ति करने के लिए तैयार कुशल एवं रोजगार देने लायक मानव शक्ति को प्राप्त करने की प्रमुख समस्या का सामना कर रहा है। यह उद्योग बढ़ते हुए कुशलता अंतर से ग्रस्त है, जो प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है। कुशल मानव शक्ति के अभाव के कारण विद्युत उपकरण उद्योग समस्या ग्रस्त है क्योंकि इसके अनुसंधान एवं विकास, परामर्श, डिजाइन एवं विस्त़ृत इंजीनियरिंग कार्य जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
तकनीकी शिक्षा प्रणाली से देश में अभिनव विचारधारा को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में पुराना प्रशिक्षण दिया जा रहा है और प्रशिक्षित छात्र उद्योग की अभिलाषाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक कि प्रशिक्षित पर्यवेक्षक एवं इंजीनियर भी उपलब्ध नहीं हैं और जो शिक्षित हैं वह अच्छी तरह प्रशिक्षित नहीं हैं, और वे उद्योग की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। उपरोक्त कारकों के कारण उद्योग की श्रम उत्पादकता चीन और कोरिया की श्रम उत्पादकता की तुलना में बहुत कम हैं। आईईईएमए पूंजीगत वस्तुओं एवं इंजीनियरिंग क्षेत्रों में उपक्रम कौशल परिषदों की स्थापना के लिए भारी उद्योग विभाग एवं राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के साथ नियमित रूप से बातचीत कर रहा है।
यह एक महत्वपूर्ण कारण है, जो उद्योग को गैर प्रतियोगी बना रहा है और यह परियोजनाओं की समय पर समाप्ति पर भी प्रभाव डाल रहा है। इसलिए उद्योग के सभी खंडों के लिए आवश्यक कर्मचारियों के प्रशिक्षण की तत्काल आवश्यकता है जिसके लिए पॉलिटैक्निकों एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों के पाठ्क्रम में परिवर्तन किए जाएं। विद्युत उपकरण उद्योग की प्रस्तावित मिशन योजना में गठित एक कार्यदल विशेष रूप से इस क्षेत्र के बारे में विचार करेगा और अपेक्षित हस्तक्षेपों की सिफारिश करेगा।