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कॉरपोरेट और निवेशक में कोई अंतर नहीं-वित्त मंत्री

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कोलकाता। कोलकाता में भारतीय कॉरपोरेट और निवेशकों के साथ कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि कॉरपोरेट और निवेशक मजबूती से एक दूसरे से जुड़े हैं, परस्पर निर्भर हैं, और कभी-कभी तो इनमें अंतर भी नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और इसके विकास के नजरिए से इनके उद्देश्य अलग-अलग नहीं हो सकते बल्कि इनके उद्देश्य एक समान होने चाहिए हालांकि, कुछ थोड़े समय के लिए इनके हित अलग-अलग हो सकते हैं और कभी कभी उनमें टकराव भी हो सकता है, यह दोनों ही समाज के महत्वपूर्ण भाग का निर्माण करते हैं, जिसकी बहुसंख्य ज़रुरतें और अनिवार्यताएं हैं, इसलिए यह उपयुक्त होगा कि यह दोनों सतत् वृद्धि और समावेशी विकास के हमारे अभियान में एक साथ शामिल हों। उन्होंने कहा कि गत समय में कॉरपोरेट मंत्रालय प्रत्येक वर्ष सामयिक रुचि के मामलों पर भारतीय कॉरपोरेट सप्ताह का आयोजन करता आया है, इसके अलावा मंत्रालय अलग से विभिन्न महत्वपूर्ण शहरों में ‘भारतीय निवेशक कार्यक्रम’ का भी आयोजन करता रहा है, ताकि निवेशकों तक पहुंचा जा सके और कॉरपोरेट विकास में वृद्धि और राष्ट्रीय समृद्धि के संबंध में उन्हें जानकारी दी जा सके, इस वर्ष इन दो आयोजनों का मेल एक आयोजन में कर दिया गया है, जो एक अच्छा फैसला है, यह इन दो आयोजनों के उद्देश्यों को एकीकृत करने में मददगार होगा।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मेरी जानकारी में इस पहल के तत्वावधान में संपूर्ण भारत में इस महीने विभिन्न उद्योग और व्यवसायिक संगठनों के साथ छह आयोजन आयोजित किए गए हैं, मैं इन आयोजनों की साझेदारी में उनके सहयोग की सराहना करता हूं, ‘कॉरपोरेट वृद्धि, संचालन और समावेशन’ इस कार्यक्रम का विषय हैं, इन मुद्दों में से प्रत्येक पर निश्चित रुप से भारत अग्रगामी कदम उठा सकता है, इस कार्यक्रम में होने वाली चर्चाओं पर मैं पूरी तरह से गौर करुंगा और इन चर्चाओं के सार्थक विश्लेषण की आशा करता हूं। मौजूदा दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई है और काफी हद तक इसमें कॉरपोरेट क्षेत्र का योगदान रहा है, हालांकि कॉरपोरेट अर्थव्यवस्था में रिटेल निवेशकों की भागीदारी कम रही है, बावजूद इस तथ्य के कि घरेलू बचत की उतनी मात्रा मौजूद है जिसे विभिन्न निवेश विकल्पों के जरिए दिशा प्रदान की जा सकती है, इससे व्यक्तियों और परिवारों को उनकी बचत पर अधिक आय की प्राप्ति हो सकेगी और कॉरपोरेट क्षेत्र की वृद्धि को उनकी आय के साथ जोड़ा जा सकता है, इसके लिए एक प्रभावी पहल की आवश्यकता है, जहां लोगों को शिक्षित किया जा सके और साथ ही निवेश निर्णयों के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि निवेशकों के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की कई योजनाएं हैं 'निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष (आईईपीएफ)' इन योजनाओं में सर्वप्रधान है, भारत में व्यापार को आसान बनाने के जरिए कॉरपोरेट वृद्धि को पोषित करने में सरकार महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। वर्ष 2009 में सरकार ने कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिए स्वैच्छिक दिशा निर्देश जारी किए। जन पहलुओं को कानून में शामिल किया जाना चाहिए, उन्हें प्रस्तावित कंपनी विधेयक में शामिल किया गया है। एक लचीले और कम नियंत्रित कॉरपोरेट गवर्नेंस ढांचे को निर्मित करने का यह हमारे प्रयास का एक हिस्सा है, इसके अलावा वह नियंत्रण जो निवेशकों के हित की रक्षा के लिए आवश्यक हैं और एक उत्तरदायी तथा जवाबदेह बोर्ड का निर्माण कंपनी विधेयक में गवर्नेंस के ढांचे की विशिष्टता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉरपोरेटों और निवेशकों के हितों को सही प्रकार से संतुलित किया जाए।
उन्होंने कहा कि कंपनी विधेयक में कानून के वो तत्व शामिल किए गए हैं, जो विकसित बाजारों के लिए काफी बेहतरीन हैं, जैसे-डिजिटल युग में बोर्ड बैठकों के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग, आम बैठकों में इलेक्ट्रॉनिक मतदान, सेल्‍फ रजिस्ट्रेशन, छोटे शेयर धारकों के लिए एग्जिट विकल्प और इस प्रकार की अन्य चीजें इसके अलावा भारत में इसे प्रासंगिक बनाने के भी प्रावधान हैं, नए विधेयक में पुराने कानून के कई हिस्सों को समाविष्ट किया गया है और इसे एक नवीन और प्रासंगिक कानून के रुप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य के साथ इसमें सर्वश्रेष्ठ वैश्विक प्रणालियों को शामिल कर और भारत में कार्य करने की जटिलताओं, वास्तविकताओं को संतुलित करते हुए इसमें काफी परिवर्तन किया गया है। निरीक्षण, छोटे शेयर धारकों की सुरक्षा, प्रबंधन, व्यापारिक संचालन और संपूर्ण शासन के क्षेत्रों में विधेयक को सुदृढ़ किया गया है, इसके अलावा नए विधेयक में छोटे निवेशकों की सुरक्षा से संबंधित सकारात्मक कार्यवाही और निर्देशकों की भूमिका की संशोधित परिभाषा ताकि वे और अधिक प्रभावी, और उत्तरदायी हो सके, लेखाकारों की भूमिका में बढ़ोतरी और कंपनी के प्रति विश्वास की जिम्मेदारी वाले प्रत्येक व्यक्ति के धोखेबाजी, झूठे प्रमाण और गलत आचरण पर कठोर सजा का भी प्रावधान नए बिल में है।
उन्होंने कहा कि यह कहा जाता है कि जिस कानून को सही तरह से लागू न किया जा सके और जहां देरी से कार्रवाई हो उससे बेहतर है किसी कानून का न होना, नए विधेयक में ट्रिब्यूनलों, विशेष न्यायालयों और यहां तक कि उच्च न्यायालयों के नुमाइंदों के रुप में उनकी कुछ जिम्मेदारियां उठाने के लिए निचली अदालतों का भी प्रावधान है, जाहिर है कि प्रस्तावित विधेयक की सफलता इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करती है बजाए इसके कि यह कानून कितना अच्छा है। आज के विषय का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है ‘समाविष्टि’ और यह कॉरपोरेट क्षेत्र और समाज के रचनात्मक गठजोड़ से ही संभव है। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा को भली भांति समझा जाता है, पर इसका गलत अर्थ भी लगाया जाता है। इसे एक ऐसी अवधारणा के रुप मे समझा जा सकता है जो कॉरपोरेट और निवेशकों के साथ उस समाज के लिए भी समावेशी हो जिसका वो हिस्सा हैं। निवेशक जागरुकता और सुरक्षा कदमों जिसका पहले जिक्र किया गया है, के अलावा नवीन कंपनी बिल निवेशकों की सुरक्षा के उपाय और शासन के संदर्भ में भी प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। कॉरपोरेट धोखाधड़ी और समय पर कार्य पूर्ति को मजबूती के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं।

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