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खिलाड़ियों के लिए राष्‍ट्रीय कल्‍याण निधि

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नई दिल्ली। युवा मामले और खेल मंत्रालय, घायल, विकलांग हुए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों को उनके इलाज के लिए, खिलाड़ी राष्‍ट्रीय कल्‍याण निधि योजना से वित्तीय सहायता उपलब्‍ध कराता है। निधि के प्रबंधन और प्रशासन के लिए एक सामान्‍य समिति गठित है। युवा मामलों एवं खेल मंत्री इस समिति के अध्‍यक्ष हैं। खेल विभाग के सचिव, युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार, भारतीय ओलंपिक संघ के अध्‍यक्ष, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो प्रख्‍यात खिलाड़ी, जिनमें एक महिला हो और संयुक्‍त सचिव (खेल) भी इस समिति में शामिल हैं। सहायता की राशि बढ़ाने के लिए इस योजना को 20 अक्टूबर 2009 को संशोधित किया गया था।
खिलाड़ियों को उपलब्‍ध कराई जाने वाली वित्तीय सहायता इस प्रकार है-दरिद्रता की स्थिति में रह रहे खिलाड़ियों को सहायता-प्रख्‍यात खिलाड़ियों को जो अब दरिद्रता की स्थिति में रह रहे हैं, एकमुश्त वित्तीय अनुदान सहायता दी जा सकती है, जो अधिकतम पांच लाख रुपये होगी।, प्रशिक्षण और अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धा में भाग लेने के दौरान घायल होने पर सहायता–प्रख्‍यात खिलाड़ियों या उनके परिवारों को निम्‍नलिखित योजना के अंतर्गत एकमुश्‍त सहायता दी जा सकती है-प्रशिक्षण या अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतियोगिता के दौरान घातक चोट लगने के मामले में अधिकतम पांच लाख रुपये की सहायता।, घातक चोट के अलावा अन्‍य चोट लगने के मामले में अधिकतम दो लाख रुपये की सहायता, लेकिन शर्त यह है कि सहायता किसी भी मामले में 10,000 हजार रुपये से कम नहीं होगी।, प्रख्‍यात खिलाड़ियों के परिवारों को सहायता-दरिद्रता की स्थिति में रह रहे प्रख्‍यात खिलाड़ियों के परिवारों को भी एकमुश्‍त वित्तीय सहायता दी जा सकती है, लेकिन यह किसी भी मामले में दो लाख रुपये से अधिक नहीं होगी।, इलाज के लिए सहायता–गरीबी की स्थिति में प्रख्‍यात खिलाड़ियों को इलाज के लिए वित्तीय सहायता दी जा सकती है, लेकिन यह दो लाख रुपये से अधिक नहीं होगी।, खेल प्रवर्तकों को सहायता–ख्‍याति प्राप्‍त रहे रेफरी, प्रशिक्षकों और अंपायरों को, जो अब खुशहाल न हों और गरीबी की स्थिति में हों, एकमुश्‍त वित्तीय सहायता उपलब्‍ध कराई जा सकती है, लेकिन यह 50,000 रुपये से अधिक नहीं होगी।, अध्‍यक्ष का विवेकाधिकार–अध्‍यक्ष पात्र मामलों में, यहां तक कि जो तकनीकी रूप से हकदार नहीं है, मामले के तथ्‍यों और परिस्थितियों के आधार पर वित्तीय सहायता स्‍वीकृत कर सकते हैं। अध्‍यक्ष को सहायता की मात्रा निर्धारित करने का विवेकाधिकार प्राप्‍त है।

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