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पुडुचेरी। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों एवं खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के केंद्रीय राज्य मंत्री, प्रोफेसर केवी थॉमस ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को केंद्र सरकार की एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि इससे खाद्य सुरक्षा में बुनियादी परिवर्तन आएगा और यह एक कल्याणकारी उपाय के बजाय अधिकार बन जाएगा। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि अपने ढंग का यह दुनिया का शायद अकेला कानून होगा। पुडुचेरी में सामाजिक क्षेत्र के मुद्दों पर अखिल भारतीय संपादक सम्मेलन में प्रोफेसर थॉमस ने कहा कि इस विधेयक में एक व्यापक तरीके से जीवन चक्र दृष्टिकोण अपना कर खाद्य सुरक्षा मुद्दे को हल करने की कोशिश की गयी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कानून के कार्यान्वयन पर बहुत ज्यादा खर्च नहीं होगा, इससे लाभान्वित होने वाले क्षेत्र और पात्रता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2012-13 के लिए खाद्य सब्सिडी की रकम 88,997 करोड़ रूपये होने की संभावना है, लेकिन अगर हम 2011 की जनगणना के आधार पर लक्षित सार्वजनिक वितरण व्यवस्था से लाभान्वित होने वालों की समसामयिक संख्या को ध्यान में रखें तो सब्सिडी की राशि 1,09,795 करोड़ रुपये होगी, इसकी तुलना में इस विधेयक के अंतर्गत अनुमानित सब्सिडी राशि 1,12,205 करोड़ रुपये यानी 2,410 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि होगी।
प्रोफेसर थॉमस ने कहा कि इस संबंध में कुछ राज्यों की यह अवधारणा बेबुनियाद है कि यह विधेयक सीमित करने वाला है और अधिक क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अगर सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को सबके लिए खोल दिया जाए तो उसमें बाधक होगा। इस विधेयक में टीपीडीएस के अंतर्गत न्यूनतम पात्रता विनिर्दिष्ट कर दी गयी है और इसके जरिए कानून के अमल में आ जाने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी तय कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के अंतर्गत कम अनाज आवंटित किए जाने संबंधी आशंकाएं भी ठीक नहीं हैं। इस विधेयक में अखिल भारतीय स्तर पर कवरेज के अनुरूप राज्यवार कवरेज के मुद्दे पर अभी कोई फैसला होना बाकी है।