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नई दिल्ली। पशुधन के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए पशुओं के पैर और मुंह की बीमारी (एफएमडी) की रोकथाम के लिए भारत दृढ़ संकल्पित है, पशुओं के पैर और मुंह की बीमारी की रोकथाम में वैज्ञानिक विकास और तकनीकी चुनौतियों के विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री हरीश रावत ने कहा कि इस बीमारी के नियंत्रण से छोटे, सीमांत और संसाधनहीन किसानों की आजीविका में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि पशुओं में रिंडरपेस्ट के बाद देश में पैर और मुह की बीमारी होना पशुधन के विकास की सबसे बड़ी बाधा है, यह रोग पशुओं के निष्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिसके परिणाम स्वरूप प्रतिवर्ष लगभग 20,000 करोड़ रुपये तक का प्रत्यक्ष तौर पर नुकसान होता है, इसके अलावा इन बीमारियों की मौजूदगी के कारण पशुधन उद्योग से जुड़ी निर्यात संभावनाओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह व्यापार से जुड़ी एक ऐसी बाधा है, जो पशुधन और उनके उत्पादों को उन देशों में निर्यात होने से रोकती है, जो देश इन बीमारियों से मुक्त हैं, जबकि कार्य क्षमता घटने के कारण पशुओं में गर्भपात और बांझपन जैसी बीमारियों के कारण दूध उत्पादन में कमी से होने वाले अप्रत्यक्ष नुकसान की गणना नहीं की गयी है। हरीश रावत ने कहा कि देश से रिंडरपेस्ट और कौंटेजियस बौवीन प्लूरो–न्यूमोनिया का उन्मूलन होना इस क्षेत्र की सबसे अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।
हरीश रावत ने कहा कि भारत प्रतिवर्ष ट्राइवेलेंट टीके के लगभग 300 मिलियन खुराकों का उत्पादन करता है और अगले तीन से पांच वर्षों में इसकी मांग बढ़कर 600 से 800 मिलियन खुराक हो जाने की संभावना है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान अपने बंगलुरू परिसर में 100-150 मिलियन डोज़ो की अनुमानित क्षमता वाला एक नया संयंत्र स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, जो सार्वजनिक निजी भागीदारी के अधीन होगा। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के अनुमानों के अनुसार पशुधन और मत्स्य पालन क्षेत्रों से कुल मिलाकर मौजूदा मूल्यों पर वर्ष 2009-10 के दौरान लगभग 4,08,386 करोड़ रूपये मूल्य का उत्पादन किया गया। इस दौरान पशुधन से 3,40,473 करोड़ रूपये और मत्स्य पालन से 67,913 करोड़ रूपये मूल्य का उत्पादन हुआ जो धान (1,35,307 करोड़ रूपये), गेहूं (1,03,226 करोड़ रूपये) और गन्ना (37,766 करोड़ रूपये) के कुल मिलाकर 2,28,809 करोड़ रूपये मूल्य के उत्पादन से 29.7 प्रतिशत अधिक है।
उद्घाटन सत्र में कृषि राज्यमंत्री डॉ चरण दास महंत भी उपस्थित थे। सम्मेलन को पशु-पालन, दुग्ध और मत्स्य पालन विभाग के सचिव रूद्र गंगाधरन, डीएआरई के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ एस अय्यप्पन और एफएओ के मुख्य पशु-चिकित्सा अधिकारी डॉ जुआन लुब्रोट ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। आईसीएआर, डीएडीएफ और खाद्य और कृषि संगठन की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में विश्वभर से आये 600 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।