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रियाद। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने रियाद में शाह अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल साउद से भेंट की, जो 30 मिनट तक चली। मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने संतोष व्यक्त किया कि दोनों देश सामरिक भागीदारी, खासकर सुरक्षा, रक्षा, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
संबंधों में गर्मजोशी का प्रदर्शन करते हुए शाह अब्दुल्ला ने भारत-सऊदी अरब के बीच संबंधों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका की खुले दिल से प्रशंसा की। उन्होंने भारत के साथ संबंध सुदृढ़ करने की दिशा में उत्कंठा व्यक्त की। शाह अब्दुल्ला ने सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की सऊदी अरब के आर्थिक और सामाजिक जीवन को समृद्ध करने में उल्लेखनीय भूमिका की प्रशंसा की। एके एंटनी ने आशा व्यक्त की कि शहजादा सलमान और शहजादा खालिद के साथ आज होने वाली बातचीत के परिणामस्वरूप दोनों देशों के लाभ के लिए रक्षा संबंधों को मजबूत करने में विशेष पहल होगी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में वर्तमान स्थिति भारत के लिए बड़ी चिंता की बात है और उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह संकट शांतिपूर्ण वार्ता से हल कर लिया जाएगा। भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए एके एंटनी ने सऊदी अरब सल्तनत को खाड़ी क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण सामरिक भागीदार बताया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का हमारी विदेश नीति में अत्यधिक महत्व है। यह कच्चे तेल के हमारे कुल आयात के आधे से अधिक जरूरत को पूरा करता है। यह क्षेत्र संभवत: भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों ने 2010-11 में 130 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का व्यापार किया। एके एंटनी ने कहा कि छह मिलियन से अधिक भारतीय इस क्षेत्र में रहते हैं और काम करते हैं, हम उनकी सुरक्षा और खुशहाली की दिशा में उनकी मेजबान सरकारों की सहायता की सराहना करते हैं।
भारत की आर्थिक सफलताओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के ढांचे के भीतर प्राप्त की गई है। रक्षा मंत्री, जो रियाद की दो दिन की यात्रा पर हैं, ने कहा कि भारत आतंकवाद समाप्त करने और पायरेसी विरोधी उपायों की दिशा में समन्वित तौर पर खाड़ी क्षेत्र में सभी देशों के साथ घनिष्ठता से काम कर रहा है। एके एंटनी ने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी यात्रा भारत-सऊदी रक्षा संबंधों को नई दिशा देगी। यह दोनों देशों के बीच उभरती सामरिक भागीदारी का एक महत्वपूर्ण कारक है।