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नई दिल्ली। भारतीय हवाई कंपनियों को अपने इस्तेमाल के लिए सीधे एटीएफ आयात करने की आधारभूत सुविधाओं वाले आपूर्तिकर्ताओं से स्वयं ही गठजोड़ करना होगा। नागर विमानन मंत्रालय ने 15 फरवरी 2012 को वाणिज्य मंत्रालय को विमान कंपनियों द्वारा वायु टरबाईन ईंधन (एटीएफ) के सीधे आयात की मंजूरी देने के लिए कदम उठाने के वास्ते पत्र लिखा था। सात फरवरी 2012 को नागर विमानन पर मंत्री समूह की बैठक में लिए गए निर्णय के संदर्भ में यह पत्र लिखा गया था। मंत्री समूह ने अपनी बैठक में यह निर्णय लिया था कि वाणिज्य मंत्रालय भारतीय विमान कंपनियों के द्वारा अथवा उनकी ओर से सीधे रुप में वास्तविक उपयोगकर्ता और वास्तविक उपयोग के आधार पर एटीएफ के सीधे आयात को मंजूरी देगा।
उच्च आधार कीमत और उच्चतर करों की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में भारत में एटीएफ की कीमते 30 से 40 प्रतिशत अधिक होने की पृष्ठभूमि में यह निर्णय आया है। भारत के विभिन्न राज्यों में एटीएफ पर बिक्री कर अधिक उच्चतर पक्ष की ओर है और विभिन्न राज्यों में यह चार से 30 प्रतिशत के बीच है। भारतीय विमान कंपनियों के लिए एटीएफ को सस्ता करने के उद्देश्य से नागर विमानन मंत्री ने हाल ही में राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एटीएफ पर बिक्री कर में कमी लाने के लिए पत्र लिखा था। यह उल्लेखनीय है कि एटीएफ पर बिक्री कर से प्राप्त राजस्व राज्यों के कुल बिक्री कर में केवल 0.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत तक का ही योगदान करता है, जबकि हवाई कंपनियों की संचालन लागत का यह लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है, जिससे हवाई कंपनियों की संचालन लागत बहुत अधिक हो जाती है, हालांकि अधिकांश राज्यों ने इस पर अनुकूल प्रतिक्रया नहीं दी।