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नई दिल्ली। कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने अनुसंधान और मानव संसाधन योजनाओं के दीर्घावधि विकास कार्यक्रमों के समेकन पर जोर दिया है ताकि कृषि के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की साझेदारी को सुनिश्चित किया जा सके। पवार ने कृषि विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों और आईसीएआर संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में यह बात कही। उन्होंने कहा कि आईसीएआर संस्थानों और राज्यों को कृषि विश्वविद्यालयों के सहक्रिया तंत्र को सशक्त बनाना चाहिए, ताकि एक ही प्रकार के कार्यों की पुनरावृति को रोका जा सके और संसाधनों के उचित उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके।
पवार ने कहा कि विश्व में खाद्य समस्याओं और बढ़ते खाद्य संकट के चलते, वैश्विक स्तर पर कृषि अनुसंधान तथा विकास पर बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है, लेकिन भारत में इन चुनौतियों का सामना करने के लिए संसाधनों को निरंतर उन्नयन पर जोर दिया जाता है। कृषि अनुसंधान तथा शिक्षण विभाग की ओर से कृषि विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता का उल्लेख करते हुए पवार ने राज्य सरकारों पर जोर दिया कि कृषि अनुसंधान शिक्षण तथा विस्तार कार्यक्रमों में निवेश में वृद्धि की जाए। इस अवसर पर विशिष्ट कृषि वैज्ञानिक तथा इस वर्ष के पदमश्री सम्मान से सम्मानित डॉ के एल चड्डा और डॉ वीपी सिंह को सम्मानित किया गया। समारोह में कृषि राज्य मंत्री डॉ चरणदास महंत भी मौजूद थे।