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नई दिल्ली। आवास एवं शहरी ग़रीबी शमन मंत्रालय, शहरी ग़रीबी हटाने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित एक योजना अखिल भारतीय आधार पर 1 दिसंबर 1997 से कार्यांन्वित कर रहा है। वर्ष 2009-10 से इस योजना को व्यापक रूप से ठीक-ठाक किया गया है। इस योजना के अंतर्गत शहरी बेरोज़गारों और ग़रीबों को रोज़गार देने और अपना काम धंधा शुरू करने के लिए सहायता दी जाती है। ये रियायतें ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वालों को उपलब्ध हैं। दिहाड़ी पर काम देकर उन्हें कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है और ऐसा करते हुए लाभप्रद सार्वजनिक संपत्ति का सृजन किया जाता है।
इस योजना का जोर खासतौर से कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर है, ताकि शहरी ग़रीबों को रोज़गार के अवसर या खुद का काम धंधा शुरू करने के लिए सहायता दी जाए और इस तरह से शहरी ग़रीबी की समस्या का समाधान किया जाए। इसके लिए पड़ोसी ग्रुप, पड़ोसी समितियों और सामुदायिक विकास सोसायटी आदि की सहायता ली जाती है। पुरानी स्कीम में कुछ संशोधन करके प्रमुख परिवर्तन किये गये हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-विशेष वर्ग के राज्यों (8 पूर्वोत्तर राज्य और 3 पर्वतीय राज्य यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), केंद्र और राज्यों के बीच निधियां जुटाने का अनुपात बदलकर 75-25 की बजाय 90-10 कर दिया गया है।
योजना के एक घटक शहरी स्वरोज़गार कार्यक्रम के लाभार्थियों के लिए शिक्षा सीमा हटा दी गई है। पहले यह नौंवी कक्षा से ज्यादा शिक्षित न हो की जगह अब सहायता की पात्रता के लिए शिक्षा की कोई सीमा नहीं निर्धारित की गई है। स्व रोज़गार (व्यक्तिगत वर्ग) के लिए परियोजना लागत की सीमा पहले की 50 हजार से बढ़ाकर दो लाख कर दी गई है। सब्सिडी भी बढ़ाकर परियोजना लागत की 25 प्रतिशत कर दी गई है। अधिकतम (50,000 रूपये) पहले यह परियोजना लागत की 15 प्रतिशत (अधिकतम 7500 रूपये) थी। ग़रीब महिलाओं के उद्यम समूह के लिए सब्सिडी परियोजना लागत की 35 प्रतिशत या रूपये तीन लाख अथवा ग्रुप के हर सदस्य के लिए 60, 000 रूपये (जो भी कम हो) है। न्यूनतम संख्या 10 से घटाकर 5 कर दी गई है। हर सदस्य के लिए प्रति सदस्य सहायता पात्रता की सीमा भी मौजूदा 1000 से बढ़ाकर 2000 रूपये कर दी गई है।
शहरी मज़दूरी रोज़गार कार्यक्रम के उस घटक के रूप में जो 1991 की जनगणना के अनुसार 500,000 लाख आबादी वाले कस्बों के लिए कार्यक्रम के अंतर्गत निर्माण कार्यों के लिए सामग्री और मज़दूरी का अनुपात 60-40 था, अब इसमें 10 प्रतिशत की (दोनों तरफ) परिवर्तनशीलता राज्यों, संघशासित प्रदेशों को दी गई है। शहरी ग़रीबों के घटक का कौशल प्रशिक्षण फिर से गठित किया गया है। अब शहरी ग़रीबों को गुणवत्ता वाला कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा और इसे प्रमाणन से जोड़ा जाएगा। ऐसा प्रशिक्षण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप तरीके से दिया जाएगा और इसमें आईआईटी, एनआईटी, पोलिटेक्निक, आईटीआई जैसी जानी मानी एजेंसियों की सहायता ली जाएगी। प्रति प्रशिक्षणार्थी पीछे औसत खर्च सीमा भी 2600 से बढ़ाकर 10000 रूपये कर दी गई है।
योजना के लिए कुल आवंटन राशि का तीन प्रतिशत केंद्र स्तर पर उन विशेष और नई परियोजनाओं के लिए रख लिया जाएगा, जिन्हें निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत ग़रीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को स्व-रोज़गार अथवा कौशल विकास के जरिये ग़रीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए शुरू किया जाना है। इस संशोधित स्कीम में ये घटक हैं-शहरी स्व-रोज़गार कार्यक्रम, शहरी महिला स्व-सहायता कार्यक्रम, शहरी ग़रीबों में रोज़गार प्रोत्साहन के लिए कौशल प्रशिक्षण, शहरी मज़दूरी रोज़गार कार्यक्रम और शहरी सामुदायिक विकास तंत्र। वर्ष 2010-11 के दौरान राज्यों, संघशासित प्रदेशों को इस स्कीम के अंतर्गत 581.50 करोड़ रूपये की राशि जारी की गई थी।