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दिल्ली में भारतीय हस्तशिल्प और उपहार मेला

राबर्ट वढ़ेरा की कंपनी आरटेक का भी स्टॉल

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नई दिल्ली। इंडिया एक्स्पो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, नई दिल्ली में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) का चार दिवसीय फ्लैगशिप आयोजन यानि एशिया के सबसे बड़े भारतीय हस्तशिल्प और उपहार मेले (आईएचजीएफ) के 33वें संस्करण का शुभारंभ हो गया है। हस्तशिल्प व्यापार की प्रमुख हस्तियों, विभिन्न देशों के खरीदारों, भारत में स्थित विदेशी कंपनियों के खरीद एजेंटों, केंद्र और उत्तर-प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और भारत और विदेशों के प्रेस प्रतिनिधियों की उपस्थिति में वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर इस मेले का उद्घाटन करेंगे।
आईएचजीएफ-स्प्रिंग 2012 में भारत के 28 राज्यों के लगभग दो हजार तीन सौ प्रदर्शक हिस्सा लेंगे, जो लगभग 950 उत्पाद श्रृंखलाओं, स्टाइल, कच्चे माल और अवधारणाओं आदि को प्रदर्शित करेंगे। इन प्रदर्शकों में प्रियंका गांधी वढ़ेरा के पति राबर्ट वढ़ेरा का भी आरटेक के नाम से स्टॉल है। राबर्ट वढ़ेरा का हस्तशिल्प का बड़ा कारोबार है। परिषद के अध्यक्ष अरविंद वढ़ेरा के अनुसार 30 से भी अधिक देशों से खरीदारों के इस मेले में शिरकत करने की संभावना है। वढ़ेरा ने बताया कि हालांकि इस मेले में प्रमुख तौर पर घर के सामान, साज-सज्जा की वस्तुएं और उपहार, फैशन आभूषण, बैग, बांस और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद, मोमबत्तियों, फर्नीचर आदि को प्रदर्शित किया रहा है, लेकिन पुनर्चक्रित और पर्यावरण अनुकूल वस्तुओं पर अधिक ज़ोर है।
मेले का अन्य आकर्षण जम्मू-कश्मीर राज्य से प्रस्तुत प्रदर्शनी है। जम्मू-कश्मीर क्षेत्र अपने परंपरागत हस्तशिल्प और कच्चे माल के लिए जाना जाता है, किंतु हाल के समय में नवीन डिजाइनों, नवीन उत्पाद श्रृंखलाओं और नवीन स्टाइलों का भी विकास हुआ है जो न केवल परंपरागत हैं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय ज़रूरतों के मुताबिक आधुनिक और समसामयिक भी हैं। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने कहा कि इस मेले में प्रदर्शित उत्पादों की विशिष्टता यह है कि इसमें हस्तशिल्प और हस्त निर्मित वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है, जहां मशीनों का प्रयोग केवल उत्पादों को अंतिम रुप देने के लिए होता है। हालांकि विश्व के अनेक हस्तशिल्प मेलों में हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित किया जाता है, लेकिन यह भी ध्यान रखने योग्य है कि चीन, ताइवान, कोरिया, इंडोनेशिया आदि देशों के हस्तनिर्मित उत्पादों मे प्रमुख रूप से मशीनों का इस्तेमाल होता है और हाथ का काम केवल इन उत्पादों को अंतिम रूप देने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि यह देश हजारों और लाखों की संख्या के बड़े ऑर्डर को पूरा करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत अभी भी हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित उत्पादों में अपना प्रमुख स्थान रखता है और यही कारण है कि भारत शिल्पकारिता और प्रस्तुतिकरण में विशिष्टता प्रस्तुत करता है, जिससे उत्पादों का और अधिक मूल्य संवर्धन होता है। मौजूदा वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दस माह में 8992.12 करोड़ रूपए के साथ हस्तशिल्प निर्यात ने 23.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जोकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 7294.48 करोड़ रूपए थी। डॉलर के संदर्भ में 2011-12 के पहले 10 महीनों में 1889.61 मिलियन अमेरिकी डॉलर के हिसाब से निर्यात में 18.91 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 1589.17 मिलियन डॉलर था।
इस चार दिवसीय मेले से बड़े निर्यात ऑर्डर की संभावना है। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन की केंद्रीय संस्था है। यह हस्तशिल्प में व्यापार को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ निर्यातकों, खरीदारों और सरकार के बीच संयोजक की भूमिका अदा करती है। अधिक जानकारी के लिए हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष अरविंद वढ़ेरा से +91-9837026298 पर और हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार से +91-9818272171 पर संपर्क किया जा सकता है।

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