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नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में 43 जाने-माने भू-वैज्ञानिकों और खनन विशेषज्ञों को 2010 के राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्रदान किये। उन्होंने ये पुरस्कार खनिज खोज और भू-विज्ञान में व्यवहारिक, आधारभूत और खनन एवं संबद्ध विषयों में उपलब्धियों के लिए दिए। इस अवसर पर मीरा कुमार ने कहा कि इस समय जलवायु परिवर्तन और धरती का गर्म होना बड़ी चुनौतियों के रूप में उभरे हैं और इनका तोड़ प्राथमिकता देकर खोजा जाना चाहिए, खनिजों, पानी और ऊर्जा सहित प्राकृतिक संसाधनों की मांग बहुत बढ़ गई है, इनके नये स्रोतों का पता लगाने और उनका विकास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि नीति निर्धारकों और फैसला करने वालों को भू-वैज्ञानिक सूचना को प्रोत्साहित करना चाहिए और इन्हें विकास, नियोजन और कार्यक्रमों की मुख्य धारा में लाना चाहिए। मीरा कुमार ने सतत विकास की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि हमें खनिजों की खोज, खनन और पानी की भरपाई, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पनबिजली, भूताप-विद्युत, ज्वार ऊर्जा और बॉयोमास एनर्जी जैसे वैकल्पिक स्रोतों की खोज पर ध्यान देना चाहिए। शहरी कचरे और खेती के अपशिष्ट पदार्थों से ऊर्जा प्राप्त करने की कोशिशें तेज करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें देसी और पर्यावरण अनुकूल टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
मीरा कुमार ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि आज जिन लोगों को सम्मान मिला है, उससे इस क्षेत्र की ताकत का पता चलता है। उन्होंने खासतौर से प्रोफेसर सी लीलानंदम को बधाई दी, जिन्होंने भू-विज्ञान में अपने श्रेष्ठ काम के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त किया है। इस अवसर पर उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार 2010 के लिए 5 लाख रूपये दिये गये हैं। व्यक्तिगत वर्ग में हर विजेता को 2 लाख रूपये और टीम अवार्ड के रूप में हरेक को 60 हजार रूपये और युवा अनुसंधान पुरस्कार वर्ग में 50 हजार रूपये प्रदान किये गये।
खान मंत्रालय के राज्य मंत्री दिनशा जे पटेल ने खनिज और खनन क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए उपयुक्त माहौल पैदा करने की नीतियों के विवरण दिये। उन्होंने कहा कि इस दिशा में राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 एक व्यापक उपाय है, जिसने भारत में खनन क्षेत्र के भावी विकास की दिशा तय की है। उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया भर में उपलब्ध अति आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए हमें ज़मीन और समुद्र में खनिज भंडारों की खोज करने की जरूरत है। दिनशा जे पटेल ने कहा कि भू-वैज्ञानिकों को खनिजों के नए भंडार की खोज में प्रमुख भूमिका निभानी है, अधिकांश खनन क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से कमजोर और पिछड़े इलाकों में स्थित हैं, अत: उनके विकास पर जोर देने की जरूरत है। पुरस्कार विजेताओं की विस्तृत सूची पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।