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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में नंदादेवी बायोस्फेयर रिज़र्व (जैव मंडल) के वर्ष 2011-12 के लिए दो करोड़ रुपये की वार्षिक योजना की मंजूरी दी गई। इसमें से 92 लाख रुपये प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, 26.20 लाख रुपये मूल्य संवर्धन गतिविधियों, 24.60 लाख रुपये सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों, 21.50 लाख रुपये सामाजिक कल्याण के कार्यों, 19 लाख रुपये ईको टूरिज्म सपोर्ट, 7.25 लाख रुपये क्षमता विकास और जन जागरूकता, 0.50 लाख रुपये शोध, अध्ययन और अनुश्रवण, 4.55 लाख रुपये संस्थागत सपोर्ट और 4 लाख रुपये अनुदान पर व्यय किए जाएंगे।
ज्ञातव्य है कि नंदादेवी बेसिन 1939 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित की गई, सन् 1982 में 730 किलोमीटर वर्ग क्षेत्रफल को राष्ट्रीय पार्क घोषित किया गया, सन् 1988 में नंदादेवी बायोस्फेयर रिज़र्व घोषित किया गया। वर्ष 2005 में वैली आफ फलावर्स और नंदादेवी नेशनल पार्क को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स घोषित किया गया। इस रिज़र्व में स्नो लेपर्ड, मस्क डियर, ब्राउन बीयर, ब्लू शिप, भरल, गोरल, रेड फाक्स, मोनाल जैसे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु और ब्रह्म कमल, भोजपत्र आदि दुर्लभ वनस्पतियां पायी जाती हैं।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि सामुदायिक आधारित पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा होम स्टे की व्यवस्था की जाए। बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को रहने के लिए स्थानीय माहौल दिया जाए, इससे रिज़र्व के आस-पास रहने वाले गांव के लोगों की आमदनी बढ़ेगी, पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों को पर्वतीय क्षेत्र की संस्कृति, रहन-सहन और परंपराओं को समझने और जानने का मौका मिलेगा, इससे आस-पास के लगभग 134 गांवों को लाभ मिलेगा, इसके साथ ही आस-पास के लोगों में वन्य जीवों के प्रति जागरूकता भी फैलायी जाए, उनकी शिक्षा और जीवन यापन के सुधारने में भी मदद की जाए। बैठक में सचिव पर्यटन एसएस संधू, जिलाधिकारी चमोली रंजीत सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव श्रीकांत चंदोला, निदेशक बीके गॉगटे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।