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नई दिल्ली। भारत और चीन ने व्यापार में विविधता लाने और दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए हाथ से बने भारतीय कार्पेट के चीन में निर्यात को बढ़ावा देने का फैसला किया है। केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग और वस्त्र मंत्री आनंद शर्मा ने चीन के क्विंघाई प्रांत के गवर्नर से मुलाकात की। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हाथ से बने भारतीय कार्पेट उद्योग को पहला दर्जा हासिल है। दुनिया में ऐसे कार्पेट के बाजार में भारत की हिस्सेदारी कुल वैश्विक कार्पेट आयात की 35 प्रतिशत है। क्विंघाई प्रांत में कार्पेट शहर जाइनिंग भारतीय हैंडमेड कार्पेट उद्योग के मामले में प्रमुख केंद्र है।
आनंद शर्मा ने कहा कि हैंडमेड कार्पेट के कुल निर्यात में से अमरीका को 65386 मिलियन अमरीकी डॉलर और 4.83 मिलियन अमरीकी डॉलर के हैंडमेड कार्पेट का निर्यात चीन को किया जाता है, जो दोनों उभरती और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच क्षमता से बहुत कम है। शर्मा ने भारत के प्रदर्शकों को सुझाव दिया कि वे चीन में प्रदर्शनियों में अपने उत्पादों को प्रदर्शित करें। उन्होंने भारतीय हैंडमेड कार्पेट के आयात पर कम शुल्क की आवश्यकता का मुद्दा भी उठाया। आनंद शर्मा ने कहा कि इन कार्पेट पर अधिक मदद नहीं मिलती। उन्होंने चीन में हैंडमेड कार्पेट के प्रभावी वितरण का भी सुझाव दिया। वर्ष 2011-12 के लिए भारतीय हैंडमेड कार्पेट उद्योग के लिए निर्यात लक्ष्य 800000 मिलियन अमरीकी डॉल्र निर्धारित किया गया है। यह उद्योग अत्यधिक श्रम प्रधान है और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराता है।