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एनसीटीसी राज्यों के क्षेत्राधिकार में दखल

अंतर्राज्यीय परिषद की तुरंत बैठक बुलाई जाए-भाजपा

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नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं प्रवक्ता जगत प्रकाश नड्डा ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा है कि नवंबर 2009 में मुंबई आतंकी हमले की पहली वर्षगांठ पर केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भारत के सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए एक विस्तृत व्यवस्था किये जाने की बात कही थी, इस योजना के एक अंग के रूप में उन्होंने राष्ट्रीय आतंकरोधी केंद्र की परिकल्पना की थी जो रॉ, खुफिया ब्यूरो और एनएसजी जैसी विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, तालमेल और गतिशीलता लाने के लिए प्रधान निकाय होगा, उस समय गृहमंत्री ने कहा था कि यह उनकी हार्दिक इच्छा है कि इससे मैदानी जंग (टर्फ वार) न होनी चाहिए, मगर वर्तमान स्थिति के अनुसार एनसीटीसी, खुफिया ब्यूरो के अधीन एक और एजेंसी बनकर रह गया है, आतंकवाद को रोकने एवं उसे समाप्त करने के लिए निगरानी रखने के उद्देश्य से बनाए गए एनटीआरओ का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय संविधान की अनुसूची 7 के अनुसार कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है, यद्यपि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारत सरकार आवश्यक पहल कर सकती है, तथापि यह आशा की जाती है कि वह ऐसा परामर्श लेकर तथा आम सहमति बनाकर ऐसा करेगी। कांग्रेसनीत यूपीए हठी है और अनेक संजीदा मामलों पर उसने राज्यों से सलाह मशविरा किये बिना ही कार्यवाही की है। बांग्लादेश के साथ तीस्ता समझौता, मल्टीब्रैंड खुदरा में एफडीआई, सांप्रदायिक हिंसा विधेयक ऐसे कुछ ताज़ा उदाहरण हैं, जहां पर केंद्र सरकार ने ‘ऐसा करने के अधिकार’ के बहाने अपने एजेंडे की पूर्णतया अनदेखी की है, इसलिए भाजपा मांग करती है कि इस मामले पर चर्चा करने के लिए अंतर्राज्यीय परिषद की तुरंत बैठक बुलाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा का यह दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई के मामलों में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अगस्त, 2011 में संसद में बोलते समय, राज्यसभा में विपक्ष के नेता, अरूण जेटली ने सरकार को याद दिलाया था कि एनआईए राष्ट्र की अपेक्षा के अनुरूप कार्य करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा था तीन वर्षों में एनआईए ने उस बड़े षड्यंत्र के लिए मुंबई मामले की जांच की, जिसमें देश और देश से बाहर के सैकड़ों षड्यंत्रकारी शामिल हैं, केवल एक व्यक्ति को दोषी पाया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत को सुरक्षित बनाने में इस सरकार के प्रयासों से विश्वास पैदा नहीं हुआ, राज्यसभा में अपना भाषण समाप्त करते हुए जेटली ने अगस्त, 2011 में कहा था राष्ट्रीय सुरक्षा वोट बैंक नीतियों के ऊपर है, आतंक को रोकने, आतंक का मुकाबला करने और आतंकवादियों को दंडित करने की व्यवस्था को मजबूत बनाना होगा, गृहमंत्री को मेरा अंतिम परामर्श है कि वे राष्ट्रीय हितों और सभी राष्ट्रभक्त भारतीयों की भावनाओं को ध्यान में रखें, यदि आप आतंक विरोधी कड़ी नीति अपनाते हैं, तो आप इस देश की बेहतर भलाई कर सकते हैं। यूपीए वोट बैंक की राजनीति कर रही है, वह राज्यों की परवाह किये बिना सभी शक्तियां स्वयं हड़पती जा रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एक ओर वह राज्य सरकारों को आतंकवाद के विरूद्ध उनकी लड़ाई में सुविधाएं प्रदान नहीं कर रही। गुजरात सरकार का संगठित अपराध निवारण विधेयक वर्षों से केंद्र की स्वीकृति के लिए लंबित है, जबकि महाराष्ट्र में वर्षों से इस प्रकार का कानून विद्यमान है। गैर-कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम में पोटा के अनेक उपबंध शामिल किये गये हैं। राजनीतिक कारणों से पोटा की आलोचना की जा रही है, परंतु उसे एक वैकल्पिक नाम से वैध बताया जा रहा है। एनटीआरओ, जिसे निगरानी रखने की एजेंसी के रूप में बनाया गया था, राजनीतिक निगरानी रखे जाने के लिए चर्चा में बना हुआ है। जिस तरीके से एनसीटीसी राज्यों से सलाह मशविरा किये बिना एक कार्यकारी आदेश से स्थापित किया जा रहा है, उस पर तृणमूल कांग्रेस जैसे यूपीए के अपने सहयोगी दल भी आपत्ति उठा रहे हैं।
यूपीए ने आतंक से लड़ने के बजाय उसे कलर कोड देने का सफल अभियान चलाया है, बिना सलाह मशविरा किये एनसीटीसी की स्थापना करके, जो राज्यों के क्षेत्राधिकार को हड़पने जैसी बात है, यूपीए ने संविधान के संघीय ढांचे पर स्पष्ट रूप से प्रहार किया है, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि राज्य इसके विरूद्ध खड़े हो रहे हैं।

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