स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। प्रवासी भारतीय मामलों का मंत्रालय उन देशों को अधिकतम 15 लाख रुपए तक की राशि प्रदान करता है, जहां भारतीय कामगार रहते हैं। यह राशि उस देश में रहने वाले भारतीय कामगारों की संख्या के अनुपात में दी जाती है। मंत्रालय की ओर से यह योगदान शुरू में 3 वर्षों के लिए या तब तक के लिए दिया जाता है, जब तक यह राशि स्वयं अर्जित करने योग्य नहीं हो जाती है, जो भी अवधि कम हो, यह राशि वार्षिक आधार पर दी जाती है और दूतावासों के वित्तीय साधनों की कमी पूरी करने के लिए है। भारतीय समुदाय कल्याण कोष की राशि दूतावासों के प्रमुखों को दे दी जाती है और वे इस राशि का उपयोग तथा इसके लाभार्थियों का रिकार्ड रखते हैं।
इस कोष से राशि जिन कार्यक्रमों के लिए दी जाती है, वे इस प्रकार हैं-घरेलू क्षेत्रों में काम करने वाले जरूरतमंद भारतीय कामगारों के रहने की व्यवस्था के लिए, भारतीय समुदाय के जरूरतमंद लोगों को आपात स्थिति में चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए, वहां अटके हुए भारतीयों को विमान से वापस लाने के लिए, जरूरी मामलों में शुरूआती कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए, आकस्मिक खर्चों के लिए या भारतीय कामगार के पार्थिव शरीर को वापस भारत लाने के लिए, या वहां पर उनके अंतिम संस्कार के लिए, जहां उसके स्पांसर उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं और स्वयं पीड़ित परिवार खर्च नहीं उठा पा रहा है।
इस राशि के वितरण की प्रक्रिया इस प्रकार है-दूतावास के प्रमुख स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हर मामले में मौखिक या लिखित अनुरोध पर विचार करेंगे। दूतावास का सक्षम अधिकारी मामले की जांच करेगा और दूतावास प्रमुख को अपनी सिफारिश देगा। ठहरने के लिए प्रति व्यक्ति दी जाने वाली सहायता की सीमा तय होगी और यह सहायता अधिकतम 15 दिन के लिए होगी।