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नई दिल्ली। सऊदी अरब के सहायक पेट्रोलियम मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज ने नई दिल्ली में तेल और गैस के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के बारे में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री आरपीएन सिंह से बातचीत की। भारत-सऊदी अरब ऊर्जा परामर्श के अंतर्गत दोनों पक्षों के बीच शिष्टमंडल स्तर की बातचीत हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और इंडियन आयल कार्पोरेशन, तेल और प्राकृतिक गैस आयोग, भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद सऊदी अरब के सहायक मंत्री ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री एस जयपाल रेड्डी से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच पेट्रोलियम क्षेत्र में सहयोग से संबंधित अनेक मुद्दों पर विचार विमर्श किया। दोनों पक्षों के बीच विश्व की पेट्रोलियम स्थिति और विशेष रूप से एशिया और भारत में पेट्रोलियम की बढ़ती मांग के बारे में चर्चा हुई। आरपीएन सिंह ने बताया कि भारत की तेल शोधन क्षमता के विस्तार के चलते आगे आने वाले वर्षों में भारत को सऊदी अरब से अधिक मात्रा में तेल की आवश्यकता होगी। भारतीय पक्ष ने यह भी बताया कि राजीव गांधी ग्रामीण एलपीजी वितरण योजना के अंतर्गत देश के और अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी सुविधा के तेजी से विस्तार को देखते हुए एलपीजी (बुटेन और प्रोपेन) की आवश्यकता भी बढ़ेगी।
भारत इस समय सऊदी अरब से लगभग 20 लाख टन एलपीजी का आयात कर रहा है। बातचीत के दौरान बुटेन और प्रोपेन की आपूर्ति में सऊदी कंपनी अरमको की समय-समय पर एकतरफा कटौती करने और ऋण पत्र की बजाय शीर्ष कंपनी की गारंटी के आधार पर कच्चे तेल की आपूर्ति के बारे में एमआरपीएल कंपनी के अनुरोध आदि जैसे मुद्दों पर भी सऊदी अरब के साथ चर्चा हुई। भारत ने सऊदी अरब को ओपीएएल कंपनी की पेट्रो-रसायन परियोजना दहेज और ओएमपीएल कंपनी की पेट्रो-रसायन परियोजना मंगलौर सहित पेट्रोलियम क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं में निवेश में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया। एक महत्वपूर्ण निवेशक के रूप में सऊदी अरब से इन परियोजनाओं में पूंजी भागीदारी के बारे में विचार करने की पेशकश की गई। इंडियन आयल कंपनी की एन्नौर की एलएनजी परियोजना, बीपीसीएल कोच्ची का एलएनजी टर्मिनल, एचपीसीएल की विजाग में रिफायनरी और इंडियन आयल कार्पोरेशन के पारादीप के पेट्रो-रसायन संयंत्र जैसे अन्य प्रस्तावित निवेश अवसरों के बारे में भी चर्चा हुई।
सऊदी अरब और भारत, 88 सदस्य देशों वाले अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच (आईईएफ) के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। इस मंच की वैश्विक ऊर्जा वार्ताओं में मुख्य भूमिका रहती है। दोनों पक्षों ने मंच से संबंधित कई मुद्दों के बारे में भी बातचीत की। विश्व के तेजी से बढ़ते बाजार के रूप में भारत के महत्व को स्वीकार करते हुए सऊदी अरब ने दीर्घावधि आधार पर भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के बारे में सहमति जताई। सऊदी अरब ने कच्चे तेल और एलपीजी की अधिक मात्रा में आपूर्ति के भारत के अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। सऊदी अरब ने कहा कि वह पेट्रोलियम व्यापार और निवेश से संबंधित भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी गौर करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार में अनिश्चितता को देखते हुए दोनों देशों के बीच हुई इस बातचीत को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सऊदी अरब विश्व का कच्चे तेल का प्रमुख उत्पादक देश है और भारत तेल आयात करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। सऊदी अरब ने 2010-11 के दौरान भारत को 2.7 करोड़ मीट्रिक टन कच्चे तेल की आपूर्ति की।