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नई दिल्ली। सामाजिक समूह के आंकड़े और वर्तमान सांख्यिकी प्रणाली: उभरते नीतिगत मुद्दों, आंकड़ों की जरूरतों और सुधारों के बारे में गुरूवार को नई दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। इसका आयोजन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) और भारतीय दलित अध्ययन संस्थान ने संयुक्त रूप से किया है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री श्रीकांत जेना ने इसका उद्घाटन किया। केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, शिक्षाविदों और नीति निर्धारकों को संबोधित करते हुए श्रीकांत जेना ने इस तरह की संगोष्ठियां आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की संगोष्ठियां सामाजिक समूहों से जुड़ी नीतियों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार करने के लिए मंच प्रदान करती हैं, क्योंकि विशेष समस्याओं के लिए विशेष समाधान की जरूरत होती है।
श्रीकांत जेना ने कहा कि सच्चर समिति की सिफारिशों के अनुसार मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय डेटा बैंक को सामाजिक समूहों और सामाजिक धार्मिक श्रेणियों के लिए विस्तृत आंकड़ों की जरूरत है। उन्होंने भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के विभिन्न प्रावधानों का जिक्र करते हुए न केवल देश के भीतर बल्कि देश के बाहर रहने वाले लोगों के बीच असमानता को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पंचवर्षीय योजनाओं के जरिये सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रही है, जिनका उद्देश्य ग़रीबी को कम करना और पर्याप्त आर्थिक विकास पर जोर देना है, जिसमें साक्षरता, शिक्षा और स्वास्थ्य शामिल है।
श्रीकांत जेना ने आंकड़ों, विशेषकर सामाजिक समूह के आंकड़ों के ठीक से संग्रह और प्रसार प्रणाली और विश्लेषण पर जोर दिया, क्योंकि यह योजना, नीति बनाने और सामाजिक समूहों के लिए केंद्रित कार्यक्रम तैयार करने के लिए उपयोगी रहती है। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर सुखदेव थोरट, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में मुख्य सांख्यिकीविद् और सचिव डॉ टीसीए अनंत और केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय में महानिदेशक एसके दास ने संबोधित किया। वक्ताओं ने सही आंकड़ों की जरूरत पर बल दिया ताकि योजनाकार अच्छी नीतियां और कार्यक्रम तैयार कर सकें।