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Monday 31 December 2012 03:40:23 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हिंदी संस्थान के साहित्यकारों को दिये जाने वाले 108 पुरस्कारों को बहाल करने की घोषणा की। उन्होंने इन पुरस्कारों में दी जाने वाली धनराशि को दोगुना करने की भी घोषणा की। इस अवसर पर उन्होंने राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के नाम पर भी पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की। उन्होंने हिंदी संस्थान के कर्मियों की रिटायरमेंट की आयु बढ़ाकर 60 करने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने हिंदी संस्थान के अंतर्गत समाप्त किये गये पदों को पुनर्जीवित करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार हिंदी के उत्थान के लिये हर संभव प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री ने ये सभी घोषणाएं कल यहां उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन हिंदी भवन के यशपाल सभागार में आयोजित शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ एवं सुब्रह्मण्य भारती स्मृति समारोह एवं काव्य गोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कीं। मुख्यमंत्री, जो हिंदी संस्थान के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि हिंदी के सम्मान की लड़ाई को समाजवादियों ने लड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में हिंदी की पहुंच निरंतर बढ़ रही है, लोग हिंदी को पसंद कर रहे हैं। हिंदी की पहुंच बढ़ाने में फिल्मों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार हिंदी को बढ़ावा देने और उसके प्रचार-प्रसार के सभी सार्थक प्रयास करेगी। हिंदी पूरे भारत को जोड़ने का काम करती है। उन्होंने कहा कि हिंदी को कामकाज की भाषा बनाने के फैसले समाजवादी सरकारों ने ही लिये हैं। हिंदी राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का भी कार्य करती है। उन्होंने हिंदी में अच्छे बाल साहित्य की आवश्यकता पर भी बल दिया। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ-साथ सुमन तथा भारती के चित्रों पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री को उत्तरीय तथा गंगा की प्रतिमा के साथ हिंदी संस्थान के प्रकाशनों का एक सेट भी भेंट किया। मुख्यमंत्री ने भी मंच पर आसीन कवि तथा उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ गोपाल दास ‘नीरज’ तथा उदय प्रताप सिंह को उत्तरीय भेंट किए।
कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह एवं संस्थान के निदेशक डॉ सुधाकर अदीब ने भी संबोधित किया। डॉ गोपालदास नीरज ने सुमन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए अपने संस्मरण भी सुनाये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।