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Tuesday 21 May 2019 02:17:17 PM
नई दिल्ली। वन्यजीवों के गैरकानूनी व्यापार के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस से पूर्व संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण भारत संस्था और भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने ‘सभी जानवर इच्छा से पलायन नहीं करते’ नाम से एक जागरुकता अभियान शुरु किया है, जिसका अत्यधिक प्रभाव देशभर के प्रमुख हवाई अड्डों पर देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि हाल में हवाई अड्डों पर गैरकानूनी तरीके से व्यापार करके लाए और ले जाने वाले वन्यजीवों एवं उनके विभिन्न अंगों को जब्त करने के संबंध में मीडिया में आईं खबरें इस बात का संकेत हैं कि वन्यजीवों की तेजी से तस्करी हो रही है। हवाई अड्डों के रास्ते तस्करी किए जानेवाले वन्यजीवों की प्रमुख प्रजातियों में स्टार कछुए, पक्षी, शहतूत, शोल, बाघ और तेंदुए के विभिन्न अंग, हाथीदांत, गैंडे के सींग, पैंगोलिन और पैंगोलिन की खाल, सीपियां, समुद्री घोड़ा, सी कुकुम्बर, रेंगने वाले जंतुओं की खालें, जीवित सांप, छिपकलियां, मूंगा और औषधीय जड़ी-बूटियां शामिल हैं।
अभिनेत्री और संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण की सद्भावना दूत एवं संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ओर से नियुक्त एसडीजी दूत दीया मिर्जा ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण, संयुक्तराष्ट्र एजेंसियों और जीआर समूह के अधिकारियों की उपस्थिति में अभियान की शुरुआत की। दीया मिर्जा ने इस अवसर पर कहा कि वन्यजीवों की तस्करी अनभिज्ञता के कारण हो रही है और तस्करी के समय इनके साथ बड़ी क्रूरता भी की जाती है। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि वन्यजीवों पर अधिक से अधिक जागरुकता पैदा की जाए और इनकी प्रजातियों की रक्षा के लिए सभी प्रतिबद्धत हों, ताकि इन्हें न केवल बचाकर रखा जा सके, बल्कि ये फल-फूल सकें। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूसीसीबी इस संगठित अपराध से मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वन्यजीवों को बचाने के लिए विभिन्न सरकारों और गैरसरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम करना कठिन है। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों पर यह जागरुकता अभियान जनमानस तक पहुंचने की दिशा में एक कदम है।
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव सीके मिश्रा ने कहा कि संरक्षण भारत की सहज प्रकृति है, वन्यजीवों को दुनियाभर में खतरों का सामना करना पड़ रहा है और दुनियाभर के अवैध बाजारों में भारत की वनस्पति एवं जीव-जंतुओं की मांग लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के अंतर्गत वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कठोर प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लोगों में जागरुकता पैदा करने के प्रयास से वन्यजीवों के संरक्षण में मदद मिलेगी। सीके मिश्रा ने कहा कि वन्यजीवों के अवैध व्यापार से कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं, दुनियाभर में संगठित वन्यजीव अपराध की श्रृंखलाएं फैलने के साथ यह उद्योग फल-फूल रहा है, भारत में वन्यजीवों के अवैध व्यापार में काफी तेजी आई है। उन्होंने कहा कि ‘सभी जानवर इच्छा से पलायन नहीं करते’ अभियान का उद्देश्य जागरुकता पैदा करना और वन्यजीवों के संरक्षण तथा उनकी रक्षा, तस्करी रोकने और वन्यजीव उत्पादों की मांग में कटौती लाने के लिए जनसमर्थन जुटाना है। सीके मिश्रा ने कहा कि यह अभियान संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण वैश्विक अभियान, जीवन के लिए जंगल के जरिए वन्यजीवों के गैरकानूनी व्यापार पर विश्वव्यापी कार्रवाई का पूरक है।
संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण भारत के प्रमुख अतुल बगाई ने कहा कि जैवविविधता और जंगलों की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले हर प्रकार के गैरकानूनी वन्यजीव व्यापार को समाप्त करने के लिए जागरुकता पैदा करना, कार्रवाई करना और कानूनों को कड़ाई से लागू करने की तत्काल आवश्यकता है और यह अभियान वन्यजीव तस्करी के प्रति जागरुकता पैदा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वन्यजीवों के संरक्षण अभियान के पहले चरण में बाघ, पैंगोलिन, स्टार कछुआ और टाउकेई छिपकली को चुना गया है, जिनका अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अवैध व्यापार होने के कारण उनका अस्तित्व खतरे में है। बाघ का उसकी खाल, हडि्डयों और शरीर के अंगों के लिए, छिपकली का उसके मीट और उसकी खाल का परम्परागत दवाओं में, स्टार कछुए का मीट और पालने के लिए तथा टाउकेई छिपकली का दक्षिण-पूर्व एशिया खासतौर से चीनी बाजारों में परम्परागत दवाओं के लिए अवैध व्यापार किया जाता है। दूसरे चरण में इससे अधिक खतरे वाली प्रजातियों शामिल किया जाएगा और तस्करी के अन्य मार्गों का पता लगाया जाएगा। भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की अपर निदेशक तिलोत्तमा वर्मा ने कहा कि हमारे वन्यजीवों और वनस्पति की विश्वभर में भारी मांग होने के कारण वन्यजीवों का सीमापार से निर्ममता के साथ गैरकानूनी व्यापार होता है।
भारत हवाई पत्तन प्राधिकरण और जीएमआर ग्रुप के सहयोग से देशभर के हवाईअड्डों पर यह अभियान चलाया जाएगा। डब्ल्यूसीसीबी और संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण ने एक संयुक्त कार्यक्रम शुरु किया है, जिसके तहत विभिन्न हितधारकों को वन्यजीव और वन्यजीव उत्पादों की तस्करी तथा गैरकानूनी कारोबार को रोकने के लिए जागरुक किया जाएगा। संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण संस्था पर्यावरण के हित के लिए काम करती है और विभिन्न देशों की सरकारों, निजी क्षेत्र, सिविल सोसाइटी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ पर्यावरण के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाती है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने की है, ताकि देश में संगठित वन्यजीव अपराधों का मुकाबला किया जा सके। वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम 1972 की धारा 38 (जेड) के तहत ब्यूरों को संगठित वन्यजीव आपराधिक गतिविधियों से जुड़ी आसूचना एकत्र करने और राज्यों तथा कानून लागू करने वाली एजेंसियों तक पहुंचाने का अधिकार है, ताकि अपराधियों के खिलाफ फौरन कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा इस धारा के तहत वन्यजीव अपराध डेटाबैंक को स्थापित करने का भी प्रावधान शामिल है। ब्यूरो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर प्रभाव डालने वाले वन्यजीव अपराधों से संबंधित मुद्दों, प्रासंगिक नीतियों और कानूनों पर सरकार को सलाह देता है।