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Wednesday 22 May 2019 05:41:41 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने मानसून सीजन के दस्तक देने से पहले अग्रिम योजना बनाने के साथ-साथ मानव, भौतिक एवं वित्तीय संसाधनों की तैनाती के जरिए बेहतर तैयारियां सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का आह्वान किया है। राजीव गाबा ने दक्षिण-पश्चिम मानसून 2019 के लिए तैयारियों की समीक्षा करने के लिए आयोजित राहत आयुक्तों एवं सचिवों के वार्षिक सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बलों की व्यवस्था करने के अलावा केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और राज्य आपदा राहत कोष के तहत हरसंभव सहायता मुहैया कराएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष आपदा राहत के लिए राज्यों को एसडीआरएफ के तहत 7000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि एवं एनडीआरएफ के तहत 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम जारी की थी। राजीव गाबा ने शहरी स्थानीय निकायों, राज्य आपदा राहत बल, अग्निशमन सेवा और नागरिक रक्षा के क्षमता निर्माण का आह्वान किया, क्योंकि किसी भी आपदा के दौरान ये सभी ही सबसे पहले राहत एवं बचाव कार्यों में जुट जाते हैं।
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने राज्यों से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों की कवरेज बढ़ाने का अनुरोध किया, ताकि प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसानों को तत्काल राहत दी जा सके। राजीव गाबा ने कहा कि हाल ही में आए चक्रवाती तूफान फोनी के दौरान जान-माल की न्यूनतम क्षति हुई है और ऐसा भारतीय मौसम विभाग के मौसम का सटीक पूर्वानुमान करने, समय पर संसाधनों की समुचित व्यवस्था, केंद्र एवं राज्य सरकारों और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल होने से ही यह संभव हो पाया। उन्होंने चक्रवाती तूफान फोनी से आई तबाही के असर को कम करने में विभिन्न एजेंसियों के उत्कृष्ट योगदान की सराहना करते हुए राज्यों से कहा कि उन्हें आपदा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं को और ज्यादा बढ़ाना चाहिए। गृह सचिव ने संयुक्तराष्ट्र की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि आपदाओं के कारण पिछले दो दशक में विश्वभर में तीन लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापक आर्थिक नुकसान हुआ था, अकेले भारत को वर्ष 1997 से लेकर वर्ष 2017 तक की अवधि के दौरान 80 अरब डॉलर का भारी नुकसान उठाना पड़ा।
राजीव गाबा ने भारत में विभिन्न तरह की आपदाओं की आशंका का जिक्र करते हुए कम से कम आर्थिक नुकसान सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक उपाय के रूपमें ऐसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का निर्माण करने का आह्वान किया, जो आपदाओं की मार सहने में सक्षम हों। गृह सचिव ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की अतिरिक्त बटालियनों को मंजूरी दे दी है और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं दिल्ली-एनसीआर में नई बटालियनें तैनात की जा रही हैं। इस अवसर पर भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ केजे रमेश ने कहा कि भारत में आपदा जोखिम में कमी करने के मामले में एक नया मानक स्थापित किया है, जिसका सफल प्रदर्शन हाल ही में आए चक्रवाती तूफान फोनी के दौरान किया गया था। उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विभाग विभिन्न हितधारकों के सहयोग से अत्यंत उन्नत पूर्व चेतावनी मौसम प्रणाली विकसित करने में जुटा हुआ है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य डॉ डीएन शर्मा ने कहा कि भारत प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली मौतों की संख्या में व्यापक कमी सुनिश्चित करने में सफल रहा है, जहां एक ओर पिछले वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण 385 लोगों की मौत हुई थी, वहीं दूसरी ओर इस वर्ष यह आंकड़ा घटकर 195 रह गया।
डॉ डीएन शर्मा ने कहा कि एनडीएमए ने वर्ष 2015 में शहरी बाढ़ प्रबंधन योजना पेश की थी, जिसका उपयोग मानसून के दौरान आने वाली बाढ़ से निपटने में एक सटीक उपाय के रूपमें किया जा सकता है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल के महानिदेशक एसएन प्रधान ने कहा कि पूर्वानुमान, संसाधनों की समुचित तैनाती और विभिन्न हितधारकों के बीच सक्रिय साझेदारियां प्राकृतिक आपदाओं से कारगर ढंग से निपटने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ इष्टतम तैनाती के लिए प्रतिबद्ध है और वह विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिल-जुलकर काम करेगा। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव संजीव जिंदल ने कहा कि मानसून की तैयारियों पर वार्षिक सम्मेलन की अवधि पहलीबार दो दिन बढ़ा दी गई है, ताकि मानसून सीजन के दस्तक देने से पहले व्यापक योजनाएं बनाई जा सकें। राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों और भारतीय मौसम विभाग, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय एवं केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया।