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Thursday 21 March 2013 10:46:27 AM
लखनऊ। रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है कि वह आरडी निमेश जांच आयोग की रिपोर्ट में तब्दीली करने की कोशिश कर रही है। हालांकि इस आरोप की पुष्टि के लिए रिहाई मंच ने कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, मगर अपना आरोप जारी रखते हुए कहा है कि जब रिपोर्ट सबके सामने आ चुकी है और उसने तारिक-खालिद की गिरफ्तारी पर एसटीएफ और आईबी को कटघरे में खड़ा कर दिया है, तब ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि इन पुलिस वालो को वह क्यों बचाना चाहती है?
रिहाई मंच के नेता और अवामी कांउसिल के महासचिव असद हयात और रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने ई-मेल में कहा है कि सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के आरडी निमेश जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिए जाने और उसके कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों के जिनमें कचहरी विस्फोटों के आरोपियों तारिक और खालिद की गिरफ्तारियों को संदिग्ध बताते हुए पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं की मीडिया में आ जाने के बाद अगर सरकार कहती है कि रिपोर्ट उसके पास नहीं है, तो इससे सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठते हैं। उन्होंने शक जाहिर किया कि सरकार सांप्रदायिक और अपराधी पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए रिपोर्ट में बदलवा सकती है और इसीलिए सरकार निमेश कमीशन की रिपोर्ट के अपने पास न होने की बात फैला रही है।
रिहाई मंच के नेताओं ने आतंकवाद के नाम पर कैद मुस्लिम बेगुनाहों के सवाल पर मुसलमानों को लगातार गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव कभी उलेमाओं के सम्मेलन में तो कभी संसद में सफेद झूंठ बोल रहे हैं कि उनकी सरकार ने आतंकवाद के नाम पर बंद बहुत सारे बेगुनाह मुस्लिमों को छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने एक भी बेगुनाह को नहीं छोड़ा है, उल्टे सीतापुर के मोहम्मद शकील को 12 मई 2012 को उनकी सरकार में ही दुबग्गा से और आजमगढ़ के मदरसे में पढ़ने वाले दो कश्मीरी छात्रों वसीम बट्ट और सज्जाद बट्ट को अलीगढ़ से आतकंवाद के झूंठे आरोप में पकड़ा गया।
रिहाई मंच के नेताओं ने जमीयत के सम्मेलन में मुलायम के इस वादे को भी वादाखिलाफी बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाहों की जमानत की अर्जी का विरोध नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने चुनाव में मुकदमें वापस लेने का वादा किया था, इसलिए मुसलमान जमानत के झुनझुने से उनके झांसे में नहीं आने वाला, मुसलमानों को इन बेगुनाहों की मुकम्मल आजादी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेगुनाहों की रिहाई के साथ ही इन आतंकी घटनाओं के वास्तविक अपराधियों को सजा दिलाने का सवाल भी जुड़ा है, लिहाजा सरकार बेगुनाहों को छोड़ कर सूबे में हुई हर आतंकी घटना की सीबीआई जांच कराए।
रिहाई मंच ने कहा कि सपा और कांग्रेस आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष मुसलमानों के सवाल पर लोगों को गुमराह करने के लिए जेबी सांसदों विधायकों और उलेमा संगठनों से अपने लिए सम्मेलन आयोजित करवा रही हैं। रिहाई मंच ने कहा कि सियासी दहशतगर्दों को मंच देकर आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों के उत्पीड़न का खात्मा नहीं किया जा सकता और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई का सवाल सिर्फ मुस्लिम समुदाय का सवाल नहीं है, यह लोकतंत्र का सवाल है कि इस देश में लोकतंत्र रहेगा कि फासीवाद।