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Thursday 21 March 2013 10:51:25 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के विवादित बयान को मुस्लिम पोलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ तसलीम अहमद रहमानी ने इसे राजनीति में नैतिकता का स्तर करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को बाहर से समर्थन देने के बदले दलाली खाने और दूसरे तरीके से राजनीतिक लाभ लेने के आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि अगर ये आरोप सही हैं, तो ये मुल्क की अवाम के साथ धोखा है। इस सिलसिले में उन्होंने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के लोकसभा में भाषण की आलोचना करते हुए डॉ रहमानी ने कहा कि जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष ने मुलायम सिंह यादव के बचाव में भाषण दिया है, उसने सपा और भाजपा के बीच होने वाली संदिग्ध बातचीत से पर्दा उठा दिया है।
डॉ तसलीम अहमद रहमानी का कहना है कि सपा अब अल्पसंख्यकों को नज़रअंदाज कर सांप्रदायिक पार्टियों से हाथ मिलाने जा रही है, जिसका ताजा उदाहरण लोकसभा में भाजपा का मुलायम सिंह के बचाव में खड़ा होना है, जबकि इससे पहले भी सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह से अपील कर चुके हैं कि अगर वे अपनी कुछ नीतियां बदल दें तो सपा उन्हें समर्थन देने को तैयार है, राजनाथ सिंह ने भी उनके इस बयान का स्वागत करते हुए सपा को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया था, इससे साफ जाहिर होता है कि समाजवादी पार्टी के संबंध सांप्रदायिक पार्टियों से हैं, जिसका असर उत्तर प्रदेश में गाहे बगाहे देखा जा सकता है।
उनका कहना है कि सपा अब पूरी तरह से सांप्रदायिकता के जाल में फंस चुकी है, जो उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी यह समझना होगा केंद्र में यूपीए सरकार को बरकरार रखने के लिए इस तरह कि पार्टियों की ब्लैकमेलिंग से देश का नुकसान हो रहा है और लोकतंत्र के नाम पर आम आदमी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ा किया जा रहा है, जिसकी जिम्मेदार कांग्रेस है। डॉ रहमानी देश की जनता से अपील करते हुए कहा है कि आने वाले चुनाव में इस तरह की पार्टियों का पूर्णरुप से बहिष्कार करें।