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Thursday 20 June 2019 02:39:11 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज संसद में सत्रहवीं लोकसभा के पहले संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण में बड़े गर्व से कहा है कि लोकसभा चुनाव में देश के 61 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने मतदान कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है और दुनिया में भारत के लोकतंत्र की साख बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में भी लोगों ने लंबी कतारों में खड़े रहकर वोट दिया है, इस बार तो महिलाओं ने पहले की तुलना में अधिक मतदान किया है और उनकी भागीदारी पुरुषों के लगभग बराबर रही है। उन्होंने कहा कि करोड़ों युवाओं ने पहली बार मतदान करके भारत के भविष्य निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सफलतापूर्वक चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को बधाई दी और कहा कि चुनाव प्रक्रिया की सफलता में प्रशासन तंत्र के अनेक विभागों और विभिन्न संस्थानों के कर्मचारियों तथा सुरक्षाबलों का योगदान अत्यंत सराहनीय है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस लोकसभा में लगभग आधे सांसद पहलीबार निर्वाचित हुए हैं और लोकसभा के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या में 78 महिला सांसदों का चुना जाना नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत की विविधताओं का प्रतिबिंब इस संयुक्त सत्र में दिख रहा है, क्योंकि यहां हर आयु, गांव और शहर, हर प्रोफेशन के लोग दोनों सदनों के सदस्य हैं, अनेक सदस्य समाजसेवा से हैं, बहुत से सदस्य कृषि के क्षेत्र से हैं, व्यापार और अर्थजगत से हैं तो अन्य बहुत से सदस्य शिक्षा क्षेत्र से हैं, लोगों का जीवन बचाने वाले मेडिकल प्रोफेशनल्स हैं, लोगों को न्याय दिलाने वाले लीगल प्रोफेशनल्स भी हैं, फिल्म, कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने वाले सांसद भी यहां उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि सभी के विशेष अनुभवों से संसद में होने वाले विचार-विमर्श और ज्यादा समृद्ध होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि इस चुनाव में देश की जनता ने बहुत ही स्पष्ट जनादेश दिया है, सरकार के पहले कार्यकाल के मूल्यांकन के बाद देशवासियों ने दूसरी बार और भी मजबूत समर्थन दिया है, ऐसा करके देशवासियों ने वर्ष 2014 से चल रही विकास यात्रा को अबाधित एवं और तेज गति से आगे बढ़ाने का जनादेश दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले देश में जो वातावरण था, उससे सभी देशवासी भली-भांति परिचित हैं, निराशा और अस्थिरता के माहौल से देश को बाहर निकालने के लिए देशवासियों ने तीन दशकों के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार चुनी थी, उस जनादेश को सर्वोच्च मान देते हुए मेरी सरकार ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मंत्र पर चलते हुए बिना भेदभाव के काम करते हुए एक नए भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना शुरू किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैंने इसी वर्ष 31 जनवरी को इसी सेंट्रल हॉल में कहा था कि मेरी सरकार पहले दिन से ही सभी देशवासियों का जीवन सुधारने, कुशासन से पैदा हुई उनकी मुसीबतें दूर करने और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सभी जरुरी सुविधाएं पहुंचाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित है। उन्होंने कहा कि बीते पांच वर्ष के दौरान देशवासियों में यह विश्वास जगा है कि सरकार हमेशा उनके साथ है, उनका जीवन बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है, देशवासियों के विश्वास की इस पूंजी के आधार पर ही एक बार फिर जनादेश मिला है। उन्होंने कहा किदेश के लोगों ने जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए लंबे समय तक इंतजार किया, लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं, मेरी सरकार जन-साधारण को इतना सजग, समर्थ, सुविधायुक्त और बंधनमुक्त बनाना चाहती है कि अपने सामान्य जीवन में उसे सरकार का ‘दबाव, प्रभाव या अभाव’ न महसूस हो, देश के प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त करना मेरी सरकार का मुख्य ध्येय है। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार राष्ट्रनिर्माण की उस सोच के प्रति संकल्पित है, जिसकी नींव वर्ष 2014 में रखी गई थी, देशवासियों की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करते हुए अब सरकार उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप एक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और सर्वसमावेशी भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है, यह यात्रा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ की मूल भावना से प्रेरित है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नए भारत की यह परिकल्पना केरल की महान आध्यात्मिक विभूति, समाज सुधारक और कविनारायण गुरु के इन सद्विचारों से प्रेरित है-
जाति-भेदम मत-द्वेषम एदुमइल्लादे सर्वरुम।
सोदरत्वेन वाड़ुन्न मात्रुकास्थान मानित।।
अर्थात एक आदर्श स्थान वह है, जहां जाति और धर्म के भेदभाव से मुक्त होकर सभी लोग भाई-भाई की तरह रहते हैं। उन्होंने कहा कि तीन सप्ताह पहले 30 मई को शपथ लेते ही सरकार नए भारत के निर्माण में और तेज़ी के साथ जुट गई, एक ऐसा नया भारत बनाने के लिए जहां हर व्यक्ति को आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध हों, जहां प्रत्येक देशवासी का जीवन बेहतर बने और उसका आत्मसम्मान बढ़े, जहां बंधुता और समरसता सभी देशवासियों को एक दूसरे से जोड़ती हो, जहां आदर्शों और मूल्यों की हमारी बुनियाद और भी मजबूत बने और जहां विकास का लाभ हर क्षेत्र में एवं समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह नया भारत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के आदर्श भारत के उस स्वरूप की ओर आगे बढ़ेगा, जहां लोगों का चित्त भयमुक्त हो और आत्मसम्मान से उनका मस्तक ऊंचा रहे। उन्होंने कहा कि हर भारतवासी के लिए यह गौरव का विषय है कि जब वर्ष 2022 में हमारा देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करेगा तब हम नए भारत के निर्माण के अनेक राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल कर चुके होंगे, नए भारत के स्वर्णिम भविष्य के पथ को प्रशस्त करना, मेरी सरकार का संकल्प है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सरकार के नए संकल्पों नई योजनाओं और देश की प्रगति के लिए सबके लिए कार्ययोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नए भारत के इस पथ पर ग्रामीण भारत मजबूत होगा और शहरी भारत भी सशक्त बनेगा, उद्यमी भारत को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और युवा भारत के सपने पूरे होंगे, सभी व्यवस्थाएं पारदर्शी होंगी, ईमानदार देशवासी की प्रतिष्ठा और बढ़ेगी, 21वीं सदी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होंगे और शक्तिशाली भारत के निर्माण के सभी संसाधन जुटाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन्हीं संकल्पों के परिप्रेक्ष्य में 21 दिन के अल्प समय में ही मेरी सरकार ने तेज़ी से किसानों, जवानों, विद्यार्थियों, उद्यमियों, महिलाओं तथा समाज के अन्य वर्गों के कल्याण हेतु कई फैसले लिए हैं और उनपर अमल करना भी शुरु कर दिया है, साथ ही कई नए कानून बनाने की दिशा में भी पहल की गई है। उन्होंने कहा कि देश के निर्धन परिवारों को गरीबी से मुक्ति दिलाकर ही हम अपने संवैधानिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, जैसे पिछले पांच वर्ष के दौरान देश में किसानों, मजदूरों, दिव्यांगजनों, आदिवासियों और महिलाओं के हित में लागू की गई योजनाओं में व्यापक स्तर पर सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि गरीबों को सशक्त बनाकर ही उन्हें गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाला जा सकता है, यही दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय का कार्यरूप है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार का मानना है कि सभी राजनैतिक दल, सभी राज्य और 130 करोड़ देशवासी भारत के समग्र और त्वरित विकास के लिए एकमत हैं। उन्होंने कहा कि हमारे जीवंत लोकतंत्र में पर्याप्त परिपक्वता आ गई है, देश के किसी न किसी हिस्से में प्रायः कोई न कोई चुनाव आयोजित होते रहने से विकास की गति और निरंतरता प्रभावित होती रही है। उन्होंने कहा कि आज समय की मांग है कि ‘एक राष्ट्र-एक साथ चुनाव’ की व्यवस्था लाई जाए, जिससे देश का विकास तेज़ी से हो सके और देशवासी लाभांवित हों, ऐसी व्यवस्था होने पर सभी राजनैतिक दल अपनी विचारधारा के अनुरूप, विकास व जनकल्याण के कार्यों में अपनी ऊर्जा का और अधिक उपयोग कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं सभी सांसदों का आह्वान करता हूं कि वे एक राष्ट्र-एक साथ चुनाव के विकासोन्मुख प्रस्ताव पर गंभीरता-पूर्वक विचार करें। राष्ट्रपति ने कहा कि इसी वर्ष हमारे संविधान को अंगीकृत किए जाने के 70 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए संविधान ही सर्वोपरि है, हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि देश के सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संविधान सम्मत तरीके ही उपयोग में लाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान, देश के समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, स्वतंत्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा तथा बंधुता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनप्रतिनिधि तथा देश के नागरिक के तौरपर हम सभी को अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देनी होगी, तभी देशवासियों को हम नागरिक कर्तव्यों के पालन की प्रेरणा दे पाएंगे। उन्होंने सांसदों को सुझाव दिया कि वे गांधीजी के मूलमंत्रों को हमेशा याद रखें, गांधीजी ने कहा था कि हमारा हर फैसला इस बात पर निर्भर होना चाहिए कि उसका प्रभाव समाज के सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति पर क्या पड़ेगा, आप भी उस मतदाता को याद रखिए जो अपना सब काम छोड़कर, तमाम कठिनाइयों के बीच वोट देने के लिए निकला, पोलिंग बूथ तक गया और मतदान करके देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया, उसकी आकांक्षाओं को पूरा करना ही आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने आगामी पांच वर्ष के दौरान भारत के नव निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करने तथा अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाने का आह्वान किया।