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Friday 21 June 2019 01:21:21 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत की मौजूदगी में डॉ अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र और दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के बीच एक समझौता हुआ है, जिसपर डीएआईसी और डीआईसीसीआई के संयुक्त प्रयासों की सराहना करते हुए थावरचंद गहलोत ने कहा है कि समझौते का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति महिलाओं और युवाओं के बीच दलित उद्यमिता, सशक्तिकरण, कौशल विकास क्षमता निर्माण तथा सामाजिक आर्थिक स्थितियों पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रभाव पर अनुसंधान के माध्यम से एससी और एसटी समुदायों का सशक्तिकरण करना है। डीएआईसी के निदेशक अतुल देव शर्मा और डीआईसीसीआई के मिलिंद काम्बले ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
डीआईसीसीआई दलित उद्यमियों को एकसाथ जोड़ने का काम करने के साथ ही उनके लिए एक संसाधन केंद्र के रूपमें भी काम करता है और इसके माध्यम से उनके आर्थिक और सामाजिक समस्याओं के समाधान में मदद करता है, ऐसे में दलित समुदाय के आर्थिक और सामाजिक बदलाव के लिए अनुसंधान का काम देख रहे डीएआईसी का डीआईसीसीआई के साथ आना दलित समुदाय के उत्थान के लिए काफी महत्व रखता है। इस संयुक्त उपक्रम के माध्यम से डॉ अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र यह देखने का प्रयास करेगा कि एससी और एसटी समुदाय किस हद तक अपने बूते अपना व्यवसाय शुरु कर पाया है, इससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आखिर किस वजह से दलित युवाओं में पर्याप्त उद्यमिता की भावना नहीं विकसित की जा सकी, जिसके जरिए वह दुनिया में और लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकते थे।
डीएआईसी और डीआईसीसीआई के बीच सहयोग के मुख्य क्षेत्र इस प्रकार हैं-अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोगात्मक प्रयास करने के लिए डीएआईसी और औद्योगिक संगठनों के बीच संबंधों को मजबूत करना। ज्ञान बैंक बनाने के लिए संयुक्त प्रयास, जिसका उपयोग विद्वानों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं की सुविधा के लिए किया जा सकता है। शैक्षिक सामग्री और प्रकाशनों का आदान-प्रदान करना। व्याख्यान कार्यक्रम संगोष्ठी और शैक्षिक चर्चाओं का आयोजन करना, कर्मचारियों के लिए संयुक्त अनुसंधान कार्य करना ताकि पाठ्यक्रम की समीक्षा की जा सके और शिक्षण एवं अनुसंधान कौशल को निखारा जा सके। संयुक्त रूपसे सलाहकार सेवाएं देना। बेहतर अनुसंधान और नीतिगत सुझावों के लिए शिक्षा संस्थाओं में उद्योग के तकनीकी ज्ञान को शामिल करने के लिए जमीन तैयार करना। शैक्षणिक और नीतिगत अनुसंधान से संबंधित गतिविधियों और स्टार्टअप के लिए क्षमता निर्माण के वास्ते उद्योगों और संस्थानों, मंत्रालयों, अनुसंधान केंद्रों और एजेंसियों द्वारा डीएआईसी और डीआईसीसीआई की परियोजनाओं को प्रायोजित करने के लिए एक सामान्य आधार तैयार करना।
डीएआईसी और डीआईसीसीआई दोनों को आपसी प्रयासों से ज्ञान उत्पादों पर बौद्धिक संपदा अधिकार होगा। मूल शैक्षिक अनुसंधानों के लिए परिसर में निःशुल्क सुविधाएं उपलब्ध कराना। अनुभव साझा करने और संस्थागत निर्माण गतिविधियों में भागीदारी। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षण गतिविधियों के रूपमें नियमित क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना, उदाहरण के लिए इसमें भारतीय प्रशासन प्रणाली की विशेष परियोजनाओं और गतिविधियों के लिए सीखने और समर्थन सेवाएं शामिल हो सकती हैं। भारतीय शिक्षाविदों, अधिकारियों और पेशेवरों के लिए विशेष रूपसे सीखने के तरीकों, अनुसंधान और नीति विश्लेषण, प्रशासन, सामाजिक न्याय और सामाजिक तथा वित्तीय समावेशन के क्षेत्रों में प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। कौशल विकास के उभरते रुझानों और रोज़गार से संबंधित विषयों पर अनुसंधान सहयोग। श्रमिकों और वयस्कों के लिए दूरस्थ शिक्षा के लिए अभिनव शिक्षण कार्यक्रम विकसित करना।