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Friday 21 June 2019 03:41:36 PM
रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर रांची में सामूहिक योगाभ्यास में हिस्सा लिया। योगाभ्यास सत्र आरंभ होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा आदर्श वाक्य शांति, सद्भाव और प्रगति के लिए योग होना चाहिए। इस अवसर पर सभी का अभिवादन करते हुए उन्होंने योग के संदेश का प्रचार-प्रसार करने में अहम भूमिका निभाने वाले मीडियाकर्मियों और सोशल मीडिया से जुड़े लोगों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे आधुनिक योग के संदेश को शहरों से गावों तक और ग़रीब एवं आदिवासी समुदाय के लोगों के घर तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने योग को बीमारियों से सबसे ज्यादा तकलीफ उठाने वाले ग़रीब और आदिवासी लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बनाए जाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज के बदलते समय में हमारा ध्यान रोग से बचाव के साथ ही आरोग्य पर भी होना चाहिए, योग हमें आरोग्य होने की शक्ति प्रदान करता है, योग की मूल भावना और प्राचीन भारतीय दर्शन यही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग का उद्देश्य हमारे द्वारा पार्कों और चटाई पर कुछ समय के लिए किए जाने वाले योगाभ्यास भर से पूरा नहीं होता, योग एक अनुशासन और समर्पण है, जिसका जीवनभर पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने योग को आयु, रंग, जाति, सम्प्रदाय, मत, पंथ, अमीरी, गरीबी और देशों की सीमाओं से परे बताते हुए कहा कि योग सबका है और सब योग के हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम ये कह सकते हैं कि भारत में योग के प्रति जागरुकता हर कोने तक, हर वर्ग तक पहुंची है ड्राइंगरूम से बोर्डरूम तक, शहरों के पार्कों से लेकर खेल कम्पलेक्सों तक, गली-कूचों से आरोग्य केंद्रों तक सब जगह योग ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि योग प्राचीन और आधुनकि दोनों है, यह निरंतर विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि सदियों से योग का सार एक ही रहा है-स्वस्थ शरीर, स्थिर मन और एकता की भावना। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग ज्ञान, कर्म और भक्ति का एक आदर्श मिश्रण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया योग को अपना रही है, हमें योग के बारे में और अधिक अनुसंधान पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग को दवाओं, फिजियोथेरेपी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विषयों से जोड़ा जाना चाहिए।