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Tuesday 25 June 2019 02:51:51 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, रॉबर्ट्सगंज के सांसद पकौदीलाल कोल और ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन के अंतर्गत अनुभव साझा करने के बारे में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एसपीएमआरएम नवपरिवर्तन और समेकित तथा समावेशी ग्रामीण विकास को प्रोत्साहन देकर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भू-स्थानिक क्लस्टर आधारित एकीकृत विकास पर ध्यान देता है। उन्होंने कहा कि एसपीएमआरएम ग्रामीण इलाकों की जीवनशैली में सुधार करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि एसपीएमआरएम को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करने के लिए उनके दूरदर्शिता पर आधारित विकास पर ध्यान देना चाहिए।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रत्येक मिशन के लिए धनराशि की आवश्यकता होती है, लेकिन मिशन की सफलता समुदाय और उसके स्वामित्व पर समान रूपसे निर्भर करती है। उन्होंने सलाह दी कि ग्रामीण-शहरी पलायन को कम किया जा सकता है, यदि हम इन क्लस्टरों में रोज़गार, शिक्षा और मूलभूत सुविधाएं प्रदान करें। उन्होंने बाजार से जुड़े कौशल विकास पर जोर दिया और कहा कि विषय आधारित क्लस्टरों को विकसित किया जाना चाहिए, जिससे उद्यम संबंधी कौशल को और क्लस्टर की क्रय शक्ति को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि सफाई और स्वच्छ वातावरण को प्रदान करने में स्वच्छता प्रमुख भूमिका निभाती है और इसे समुदाय की भागीदारी की मदद से तथा एक जनआंदोलन बनाकर किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की सराहना की, क्योंकि इससे स्वच्छता में बड़े पैमाने पर सुधार लाने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2018 में कराए गए अध्ययन के अनुसार तीन लाख बच्चों को पेचिश से बचाया जा सका, क्योंकि 2015 में कराए गए अध्ययन की तुलना में स्वच्छता की स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन क्लस्टरों में स्वच्छता का कार्य शुरु किया जाए।
राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि लोगों की सहभागिता के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं, इस कारण ग्रामीण आबादी अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई है। उन्होंने कहा कि सरपंच, भारत सरकार और ग्रामीण आबादी के बीच कड़ी का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण-शहरी क्लस्टरों में विकास योजनाओं से रोज़गार अवसरों का सृजन होगा और ग्रामीण पलायन में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले क्लस्टर को पुरस्कार दिया जाना चाहिए, ताकि यह दूसरे क्लस्टरों के लिए प्रेरणादायक साबित हो। उन्होंने रोज़गार आधारित कौशल विकास पर जोर दिया। संसद सदस्य पकौदीलाल कोल ने कोडई क्लस्टर में हुए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मूलभूत अवसंरचना सुविधाएं बेहतर हुई हैं, यह क्लस्टर पहले अंधेरे से घिरा रहता था, इस कार्यक्रम से बिजली आपूर्ति की सुविधा मिली है और यह क्षेत्र प्रकाशित हुआ है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिन्हा ने कार्यशाला के आयोजन की सराहना की। कार्यशाला में निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में रर्बन मिशन के तहत विकास कार्यों के संदर्भ में अनुभव साझा किए। अमरजीत सिन्हा ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि कृषि विनिर्माण सामग्री का 50 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादन किया जाता है, ग्रामीण क्षेत्र, सेवा क्षेत्र में 20 प्रतिशत का योगदान देते हैं, क्लस्टरों की 75 प्रतिशत आबादी गैर-कृषि कार्य करती है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, उत्तराखंड, केरल, नागालैंड, कर्नाटक, हरियाणा और मध्य प्रदेश के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। प्रतिभागियों ने कहा कि मिशन के तहत अवसंरचना का विकास हुआ है और इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण, बेकरी उद्योग, परिधान विनिर्माण, ई-रिक्शा सेवा, कृषि उपकरण बैंक जैसी गतिविधियों से लोगों की आय में वृद्धि हुई है। कई राज्यों ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के क्रियांवयन और प्रभाव के बारे में जानकारी दी। बैठक में 275 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें 80 निर्वाचित प्रतिनिधि थे।
एसपीएमआरएम का लक्ष्य है-मूलभूत सुविधा प्रदान करने के साथ आर्थिक विकास की गतिविधियां। मिशन का उद्देश्य 300 क्लस्टरों में समग्र विकास करना है, इनमें से 279 क्लस्टरों को एकीकृत क्लस्टर कार्य योजना के तहत मंजूरी दी गई है, इन 279 क्लस्टरों के लिए अनुमानित निवेश 26,258 करोड़ रुपये है, इस धनराशि में से 5,150 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके है जिसमें 800 करोड़ रुपये का क्रिटिकल गैप फंडिंग शामिल है। क्लस्टर की मूल सुविधाओं में शामिल हैं-सभी घरों को 24/7 जलापूर्ति, आवास तथा क्लस्टर स्तरपर ठोस और द्रव अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाएं, ग्रामीण सड़कें, यातायात सुविधाएं आदि। छोटे और मध्यम स्तर के उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए क्लस्टरों में कृषि सेवा और प्रसंस्करण, पर्यटन, कौशल विकास आदि क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।