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Tuesday 25 June 2019 05:45:45 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार में आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज पीएमएवाई (यू), एससीएम और एएमआरयूटी के शहरी मिशनों की चौथी वर्षगांठ पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में देशभर में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की प्रगति पर एक वीडियो लॉन्च किया। हरदीप सिंह पुरी ने इस अवसर पर कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रमुख मिशनों और कार्यक्रमों के कारण शहरों में बदलाव की प्रगति जोरदार रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) कायाकल्प और शहरी बदलाव के लिए अटल मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन न केवल देश के शहरी परिदृश्य में बदलाव ला रहे हैं, बल्कि नागरिकों के जीवनयापन को भी सरल बनाने का काम सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 -2014 के दौरान किए गए कुल 1.57 लाख करोड़ रुपये के समग्र निवेश की तुलना में 2014 से 2019 के दौरान शहरी कायाकल्प में निवेश 10.31 लाख करोड़ रुपये हुआ है, जो 554 प्रतिशत बढ़ोतरी को दर्शाता है। पीएमएवाई (यू), अमृत और एससीएम में लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। उन्होंने कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के मिशन, अपने लक्ष्य और समयसीमा से आगे चल रहे हैं, शहरों के लिए यह बदलाव और प्रभाव आने वाले वर्षों में जारी रहेगा।
आवास राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत कुल 4.83 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 81 लाख से भी अधिक घरों के निर्माण की स्वीकृति से देश की शहरी ग़रीब आबादी के बड़े तबकों के लिए छत उपलब्ध कराना के उद्देश्य को पूरा करने में मदद मिली है, इनमें से 48 लाख घर निर्माण के विभिन्न चरणों में है, 26 लाख घर पूरा होने के बाद सौंप दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने का मिशन 'लक्ष्य' समय और निर्धारित लक्ष्य से आगे है। उन्होंने कहा कि 13 लाख से अधिक घरों के निर्माण में नई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है, 1.26 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता निर्धारित की गई है, जिसमें से 51 हजार करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उपाय के रूपमें घरों को महिला के नाम पर या संयुक्त स्वामित्व में उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की क्रेडिट से जुड़ी सब्सिडी योजना के तहत 18 लाख प्रतिवर्ष तक की आय के मध्यम आय वर्ग के परिवारों को पहलीबार घरों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है, घर के कारपेट एरिया को बढ़ाकर 200 वर्गमीटर कर दिया गया है। वर्ष 2005-2019 के दौरान सीएलएसएस के तहत 6.32 लाख से अधिक लोगों ने इससे लाभ उठाया है। उन्होंने कहा कि कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन को वैश्विक जलापूर्ति, सीवरेज ढांचे में सुधार, बच्चों का विकास, दिव्यांगों के अनुकूल हरे पार्कों और खुली जगह, तूफान के पानी की निकासी और गैर-मोटर चालित शहरी यातायात में सुधार और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहन देने के लिए शुरु किया गया है।
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि करीब 77,640 करोड़ रुपये लागत की राज्य योजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है, इन पहलों से 22 करोड़ से अधिक शहरी आबादी को लाभ पहुंचा है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन भवन अनुमति प्रणालियों को 11 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की सभी यूएलबी सहित 1,705 यूएलबी में लागू किया गया है, जिससे नागरिकों के जीवनयापन को सहज बनाना सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने कहा कि जल संकट से जल सुरक्षा की ओर बढ़ने के लिए 33,900 करोड़ रुपये लागत की 1,132 परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है, अभी तक 58 लाख पानी के नल कनेक्शन दिए गए हैं, इसके अलावा 81 लाख पानी के नल कनेक्शन और उपलब्ध कराए जाएंगे, मिशन के अंत तक सभी परिवारों को जल की आपूर्ति सुलभ होगी। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट जल को रिसाइकिल और पुर्नउपयोग के लिए 26,589 करोड़ रुपये लागत की 622 सीवरेज एवं सेप्टी टैंक प्रबंधन परियोजनाओं पर काम चल रहा है, 37 लाख सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि 108 लाख और सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे। मिशन की समाप्ति तक सीवर की कवरेज 31 प्रतिशत से बढ़ाकर 62 प्रतिशत की जा रही है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए हरी-भरी जगह जुटाने के लिए 593 करोड़ रुपये की लागत से 1,048 पार्क विकसित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 1,004 करोड़ रुपये की लागत से 1,356 पार्कों का विकास किया जा रहा है, इन पार्कों में महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगजनों की अनुकूल सुविधाएं जुटाई गई हैं। उन्होंने कहा कि करीब 353 शहरों में पंपों का ऊर्जा संबंधी परीक्षण पूरा हो चुका है, 11 हजार पंपों को बदलने की पहचान की गई है, 467 अमृत शहरों की क्रेडिट रेटिंग का कार्य पूरा हो चुका है, इनमें से 163 शहरों को निवेश योग्य ग्रेड रेटिंग प्राप्त हो चुकी हैं, जिसमें से 36 को ए माइनस और इससे ऊपर की रेटिंग दी गई है, आठ शहरी स्थानीय निकायों पुणे, हैदराबाद, भोपाल, इंदौर, विशाखापट्टनम, अमरावती, अहमदाबाद और सूरत ने 3,400 करोड़ रुपये मूल्य के निगम बांड जारी किए हैं।
आवास राज्यमंत्री ने कहा कि निगम बांड को जारी करने के काम को प्रोत्साहित करने के लिए एलबी के अनुसार जारी प्रत्येक 100 करोड़ मूल्य के निगम बांड के लिए 13 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जा रहा है, अभी तक निगम बांड जुटाने के लिए 181 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। स्मार्ट सिटी मिशन 25 जून 2015 को शुरु किया गया था, जो सबसे अधिक परिवर्तनकारी शहरी मिशनों में से एक है, इसका उद्देश्य स्मार्ट समाधानों के अनुप्रयोग द्वारा शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना और नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता का जीवन उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि सोलह एकीकृत नियंत्रण एवं कमांड केंद्रों के संचालन ने नागरिकों को अनेक ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराने में योगदान दिया है, इसने अपराध रोकथाम, बेहतर निगरानी और महिलाओं के प्रति अपराधों को कम करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि अभी तक 100 विशेष उद्देश्य वाहन का निर्माण हुआ है, 100 नकद स्तर सलाहकार मंचों का गठन किया गया है, 100 परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त किए गए हैं और 2.05 लाख करोड़ रुपये लागत की 5,151 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि एचसीएम में निविदा की परियोजनाओं की संख्या में मार्च 2018 के बाद 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, करीब 111 भारतीय शहरों को शामिल करते हुए जीवनयापन को सहज बनाने का सूचकांक 13 अगस्त 2018 को शुरु किया गया था। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य विभिन्न शहरी पहलों के माध्यम से शहरी पर्यावरण में हुई प्रगति का आकलन करने में शहरों को समर्थ बनाना है, यह ढांचा 4 स्तंभों संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक और वस्तुगत में जीवनयापन को सहज बनाने का मापन करता है। इस बारे में सबसे अच्छा काम करने वाले शहर हैं-पुणे, नवी मुंबई, वृह्त मुंबई, तिरूपति और चंडीगढ़।
राज्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बनाई गई स्मार्ट रोड ने सड़कों पर होने वाले हादसों में कमी लाकर सभी उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक पहुंच एवं रूट या मार्ग सुनिश्चित कर दिए हैं। इसके साथ ही स्मार्ट सड़कें पारगमन उन्मुख विकास को बढ़ावा दे रही हैं और उपयोगकर्ताओं को रास्ते में रुकने एवं मनोरंजन के लिए उपयुक्त स्थान भी उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने कहा कि अबतक 837 करोड़ रुपये की लागत से 25 शहरों में स्मार्ट सड़कों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, इसी तरह 59 शहरों में स्मार्ट सड़कें निर्माणाधीन हैं। उधर 36 शहरों ने निविदाएं जारी की हैं। 13,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत से 94 शहरों में स्मार्ट रोड परियोजनाओं पर काम पहले ही शुरू हो चुका है/ निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं। एससीएम के तहत स्मार्ट सौर ऊर्जा ने ग्रिड बिजली पर निर्भरता कम कर दी है। अब तक 113 करोड़ रुपये की लागत से 15 शहरों में संबंधित परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, इसके परिणामस्वरूप 19 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ। इसके साथ ही 45 शहरों में 850 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत वाली परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। दस शहरों में स्मार्ट अपशिष्ट जल परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और इनमें परिचालन जारी है, जबकि 50 शहरों में इस तरह की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, 24 शहरों में स्मार्ट वाटर परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और इनमें परिचालन जारी है, जबकि 56 शहरों में इस तरह की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि इंडिया स्मार्ट सिटीज फेलोशिप प्रोग्राम 39 युवा प्रोफेशनलों का चयन शहरी नियोजन एवं डिजाइन और संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में स्मार्ट सिटी फेलो के रूपमें किया गया है, ये प्रोफेशनल आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में स्मार्ट सिटी के मिशन निदेशक के कार्यालय अथवा चुनिंदा स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को विश्लेषिकी, अनुसंधान, प्रलेखन इत्यादि के संदर्भ में आवश्यक सहयोग देंगे।
जीवनयापन में सुगमता सूचकांक 2019 सूचकांक को बेहतर करके के तहत एक नया संस्करण ‘जीवन यापन में सुगमता सूचकांक 2019’ शुरु किया गया है, जिसके तहत परिणामों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है और जिसका उद्देश्य समस्त तीनों स्तम्भों में लोगों के जीवनयापन में सुगमता का आकलन करना है। भारत शहरी वेधशाला: आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में एक अत्याधुनिक भारत शहरी वेधशाला में परिचालन शुरु हो गया है, ये शहरों, शिक्षाविदों, उद्योग जगत और सरकारों के लिए विश्लेषिकी के माध्यम से अंतर्दृष्टि पैदा करने के लिए वास्तविक समय और अभिलेखीय दोनों ही स्रोतों से शहरों से प्राप्त होने वाले डेटा के विभिन्न स्रोतों से जुड़ी होगी। यह साक्ष्य नीति निर्माण की दिशा में उल्लेखनीय योगदान देगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।