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Wednesday 17 July 2019 01:03:29 PM
नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (डॉट) और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) ने देश के राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ब्रॉडबैंड तैयारी सूचकांक (बीआरआई) विकसित करने के उद्देश्य से एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रथम अनुमान वर्ष 2019 में ही जारी किए जाएंगे और इसके बाद वर्ष 2022 तक इस तरह के अनुमान हर साल जारी किए जाएंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री संजय शामराव धोत्रे, डिजिटल संचार आयोग की अध्यक्ष एवं दूरसंचार विभाग में सचिव अरुणा सुंदरराजन, दूरसंचार विभाग में संयुक्त सचिव अमित यादव, आईसीआरआईईआर के निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ रजत कथूरिया और आईसीआरआईईआर में सचिव गीता नायर भी इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने के दौरान उपस्थित थे।
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी) 2018 में ब्रॉडकास्टिंग एवं विद्युत क्षेत्रों की मौजूदा परिसंपत्तियों का उपयोग कर एक सुदृढ़ डिजिटल संचार बुनियादी ढांचा बनाने की जरूरत को रेखांकित किया गया है, जिसमें राज्यों, स्थानीय निकायों एवं निजी क्षेत्र के सहयोगात्मक मॉडल भी शामिल हैं, तदनुसार इस नीति में यह सिफारिश की गई है कि निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ देशभर में मार्ग के अधिकार यानी राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) से जुड़ी चुनौतियों से निपटने हेतु राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक ब्रॉडबैंड तैयारी सूचकांक (बीआरआई) विकसित किया जाना चाहिए। यह सूचकांक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के स्तर पर अंतर्निहित डिजिटल बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की मौजूदा स्थिति के साथ-साथ संबंधित बातों का आकलन करेगा।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) से जुड़े कार्यक्रमों में इस तरह की कवायद से निवेश संबंधी आवंटन के लिए राज्यों द्वारा निर्दिष्ट रणनीतिक विकल्पों को समझने में मदद मिलेगी। सहकारी संघवाद की भावना के अंतर्गत यह सूचकांक राज्यों को भारत में डिजिटल समावेश एवं विकास के समग्र उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक दूसरे से सीखने और संयुक्त रूपसे भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस अनुसंधान के तहत विकसित की गई पद्धति को अपनाने के साथ-साथ हर साल इस्तेमाल में लाया जाएगा, ताकि नई नीति के तहत वर्ष 2022 के लिए लक्ष्यों के रूपमें तय किए गए विभिन्न मानदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन का सुव्यवस्थित ढंग से आकलन किया जा सके। इसके परिणामस्वरूप राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग करने के साथ-साथ उनके प्रदर्शन को सही ढंग से समझना इस कवायद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो जाएगा।
ब्रॉडबैंड तैयारी सूचकांक (बीआरआई) में दो हिस्से होंगे। पहले हिस्से में बुनियादी ढांचागत विकास पर फोकस किया जाएगा जो नौ पैमानों पर आधारित होगा। दूसरे हिस्से में मांग पक्ष से जुड़े पैमाने या मानदंड शामिल होंगे, जिन्हें प्राथमिक सर्वेक्षणों के जरिए दर्ज किया जाएगा। इसमें कई संकेतक जैसे कि इंटरनेट कनेक्शन युक्त कम्प्यूटर या लैपटॉप का उपयोग करने वाले परिवार (प्रतिशत में), फिक्स्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन वाले परिवार (प्रतिशत में), कुल इंटरनेट उपयोगकर्ता या यूजर (आबादी के प्रतिशत के रूपमें) इत्यादि शामिल होंगे। प्राथमिक सर्वेक्षण वर्ष 2022 तक हर साल किया जाएगा।
प्रस्तावित बीआरआई संकेतक इस प्रकार हैं। आरओडब्ल्यू और टावर पर राज्य की नीति की उपलब्धता (दूरसंचार विभाग के आरओडब्ल्यू नियम 2016 पर आधारित) के अनुसार आरओडब्ल्यू से जुड़े वे मामले जिनमें प्रथम आवेदन के 60 दिनों के भीतर अनुमति दे दी गई है-भूमि एवं भवन के स्वामित्व वाले सभी सरकारी प्राधिकरणों में आरओडब्ल्यू मंजूरी के लिए एक केंद्रीकृत आईटी पोर्टल की उपलब्धता। राज्यों द्वारा राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता 2016 को अपनाना। फाइबरयुक्त मोबाइल टावर (प्रतिशत में) प्रति वर्ग किलोमीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति 100 परिवार फाइबर किलोमीटर की संख्या। एफटीटीएक्स (पीएचसी सहित अस्पताल, पुलिस स्टेशन, स्कूल एवं सीएससी) से जुड़े सार्वजनिक संस्थान या कार्यालय (प्रतिशत में) ग्रिड आपूर्ति प्राप्त करने वाले टावर (प्रतिशत में) (अवधि: शहर 20 घंटे, गांव 12 घंटे)। नगरनेट-शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉट स्पॉटों की संख्या। जन वाई-फाई-ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉट स्पॉटों की संख्या।