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ऊर्जा सुरक्षा उपलब्धता व पहुंच आवश्यक-प्रधान

देश में रिफाइनरी और विपणन इकाइयों का मजबूत नेटवर्क

अन्वेषण और उत्पादन क्षेत्र के लिए ओएएलपी समझौता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 17 July 2019 04:47:38 PM

signature signed with oalp bid round-ii and iii

नई दिल्ली। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग कार्यक्रम निविदा-II और III के तहत आवंटित 32 ब्लॉकों के समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकार ने ओएएलपी निविदा, चरण-दो और तीन को क्रमशः 7 जनवरी और 10 फरवरी 2019 को लांच किया था। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक निविदा प्रक्रिया के तहत निविदा चरण-II में 14 ब्लॉकों (कुल क्षेत्रफल लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर) और चरण-III में 5 सीवीएम ब्लॉकों सहित कुल 23 ब्लॉकों (कुल क्षेत्रफल लगभग 32,000 वर्ग किलोमीटर) का प्रस्ताव दिया गया था। निविदा के दोनों चरण 15 मई 2019 को समाप्त हो गए हैं। मूल्यांकन के पश्चात 6 कम्पनियों को कुल 32 ब्लॉकों की मंजूरी दी गई। इसके लिए राजस्व साझा समझौता पत्रों पर केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में हस्ताक्षर हुए। आवंटित किए गए 32 ब्लॉकों का कुल क्षेत्रफल 58,998 वर्ग किलोमीटर है, (जमीन पर 31,551 वर्ग किलोमीटर, समुद्र में 27,447 वर्ग किलोमीटर)।
पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कच्चे तेल और गैस के उत्पादन को बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि देश में रिफाइनरी और विपणन इकाइयों का मजबूत नेटवर्क है, अन्वेषण और उत्पादन क्षेत्र के लिए अपार संभावनाएं है और ओएएलपी समझौता इस दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है और इसके लिए ऊर्जा सुरक्षा, उपलब्धता और पहुंच आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष में ऊर्जा खपत के संदर्भ में भारत चीन को पीछे छोड़ देगा, पांच वर्ष के दौरान निरंतर नीतिगत सुधार और मजबूत निर्णय लिए गए हैं।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश उत्पादन साझा करने की स्थिति से राजस्व साझा करने की ओर बढ़ा है, अन्वेषण और उत्पादन क्षेत्र में अधिकतम कार्य प्रतिबद्धता कार्यक्रम की शुरूआत हुई है, ये सभी निर्णय उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से लिए गए हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ओएएलपी के तहत सफल निविदाकर्ताओं को यह आश्वासन दिया गया है कि विचार-विमर्श और परामर्श के माध्यम से सभी मुद्दें सुलझा लिए जाएं, परियोजनाओं में विलंब नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जनवरी 2018 के दौरान ओएएलपी निविदा चरण-I के तहत 55 ब्लॉकों के लिए 110 निविदाएं प्राप्त हुई थीं, अक्टूबर 2018 में इन 55 ब्लॉकों को आवंटित किया गया था, इन ब्लॉकों से तेल/ गैस का पहला उत्पादन 2023 में होने की उम्मीद है।
भारतीय अन्वेषण और उत्पादन क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी को और भी सुविधाजनक बनाने के लिए हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) ने राजस्व साझा समझौता मॉडल अपनाया है। इसके तहत रॉयल्टी की निम्न दर, कोई तेल उपकर नहीं, विपणन और कीमत निर्धारित करने की स्वतंत्रता, पूरे वर्ष भर निविदा प्रक्रिया, पारम्परिक और गैर-पारम्परिक हाइड्रोकार्बन संसाधनों के लिए एक लाइसेंस तथा एक आसान, पारदर्शी और तेज निविदा प्रक्रिया शामिल हैं। एचईएलपी/ ओएएलपी के तहत देश के अन्वेषण क्षेत्रफल में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। देश का अन्वेषण क्षेत्रफल वर्ष 2019 तक 3,00,000 वर्ग किलोमीटर होने की उम्मीद है। चौथे चरण के लिए अभिरूचि पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 15 मई 2019 थी और पांचवें चरण के लिए अभिरूचि पत्र 15 नवंबर 2019 तक जमा किए जा सकते हैं।

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